बकरी पालन बिजनेस: टॉप 5 नस्लों से शुरू करें बकरी पालन, मिलेगा शानदार मुनाफा!

Published on: 13-Nov-2025
Updated on: 13-Nov-2025

भारत में बकरियों की टॉप 5 नस्लें, जानें खासियत

बकरी को अक्सर “गरीब की गाय” कहा जाता है, क्योंकि यह कम लागत में अधिक लाभ देने वाला पशु है। आज के समय में बकरी पालन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में यह न केवल पारंपरिक रूप से किया जा रहा है, बल्कि अब एक संगठित और लाभदायक बिजनेस के रूप में भी उभर रहा है। बकरी पालन से जुड़कर कई किसान आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं और अपनी आजीविका में बड़ा सुधार किया है। यदि आप भी बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए सही नस्ल का चयन बेहद महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं भारत की प्रमुख बकरियों की नस्लों और उनकी विशेषताओं के बारे में, ताकि आप अपने क्षेत्र के अनुसार सही नस्ल का चुनाव कर सकें।

भारत में पाई जाने वाली प्रमुख बकरियों की नस्लें

भारत में करीब 19 मान्यता प्राप्त बकरी नस्लें पाई जाती हैं, जिन्हें उनके क्षेत्र के अनुसार वर्गीकृत किया गया है — जैसे हिमालयी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र। नीचे कुछ 5 प्रमुख नस्लों का विवरण दिया गया है।

1. पश्मीना बकरी (Pashmina Goat Farming)

  • यह नस्ल मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों जैसे लद्दाख, लाहौल और स्पीति घाटियों में 3400 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाई जाती है।
  • पश्मीना बकरी आकार में छोटी लेकिन बहुत आकर्षक होती है, और इसकी चाल तेज होती है।
  • यह नस्ल दुनिया के सबसे मुलायम और गर्म ऊन पश्मीना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
  • एक बकरी से औसतन 75 से 150 ग्राम तक पश्मीना प्राप्त होता है, जिससे उच्च गुणवत्ता के कपड़े तैयार किए जाते हैं।

2. जमुनापारी बकरी (Jamunapari Goat Farming)

  • उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की यह नस्ल देश की सबसे लोकप्रिय बकरियों में से एक है।
  • यह आकार में बड़ी, लंबी और सुंदर बकरी होती है, जिसके कान लंबे और लटकते होते हैं।
  • नर बकरी का वजन 65 से 86 किलोग्राम तक और मादा का वजन 45 से 61 किलोग्राम तक होता है।
  • जमुनापारी बकरी दूध और मांस दोनों के लिए उपयुक्त है — यह प्रतिदिन 2.25 से 2.7 किलोग्राम तक दूध देती है, जिसमें लगभग 3.5% वसा होती है।

3. बीटल बकरी (Beetal Goat Farming)

  • बीटल नस्ल को देश की उत्कृष्ट नस्लों में गिना जाता है। इसका रंग लाल या भूरा होता है, और कई बकरियों पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं।
  • नर बकरी का वजन 65-86 किलोग्राम और मादा का 45-61 किलोग्राम होता है।
  • मादा बकरी लगभग 1 किलोग्राम प्रतिदिन दूध देती है।
  • यह नस्ल पहाड़ी और उत्तरी भारत के लिए उपयुक्त है और इसे दूध व मांस दोनों के लिए पाला जा सकता है।

4. बारबरी बकरी (Barbari Goat Farming)

  • यह नस्ल उत्तर प्रदेश के इटावा, एटा, आगरा, मथुरा जिलों और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। 
  • बारबरी बकरियाँ सफेद, लाल और भूरे रंग के मिश्रण में देखी जाती हैं, जिनके बाल छोटे होते हैं। 
  • वयस्क नर का वजन 36-45 किलोग्राम और मादा का 27-36 किलोग्राम तक होता है। 
  • ये 108 दिनों की अवधि में प्रतिदिन 0.9 से 1.25 किलोग्राम तक दूध देती हैं, जिसमें लगभग 5% वसा होती है।

5. बंगला बकरी (Bengal Goat Farming)

  • बंगला नस्ल की बकरियाँ मुख्य रूप से पूर्वी भारत में पाई जाती हैं। ये काले, भूरे और सफेद रंगों में मिलती हैं।
  • इनका मांस स्वादिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाला होता है।
  • नर बकरी का वजन 14-16 किलोग्राम और मादा का 9-14 किलोग्राम तक होता है।
  • यह नस्ल साल में दो बार बच्चे देती है, जिनमें अक्सर जुड़वाँ बच्चे होते हैं।
  • बंगला बकरी की खाल की भी भारत और विदेशों में खास मांग है, खासतौर पर फुटवियर उद्योग में।

बकरियाँ हर प्रकार की जलवायु में आसानी से पाली जा सकती हैं — चाहे ठंडी पहाड़ियाँ हों या गर्म रेगिस्तान।

समशीतोष्ण क्षेत्रों में दुधारू नस्लें अधिक पाई जाती हैं, जबकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मांस व दोहरे उद्देश्य वाली नस्लें अधिक प्रचलित हैं। बकरी कैप्रा (Capra) वंश की सदस्य है और यह बोविडे (Bovidae) परिवार से संबंधित है। अगर आप कम निवेश में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो बकरी पालन एक बेहतरीन विकल्प है — बस सही नस्ल का चुनाव और उचित प्रबंधन से आप इसे सफल व्यवसाय में बदल सकते हैं।

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