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जानें कठिया गेहूं की टॉप पांच उन्नत किस्मों के बारे में

Published on: 11-Nov-2023

कठिया गेहूं की यह टॉप उन्नत किस्में एच.डी.-4728 (पूसा मालवी), एच.आई. - 8498 ( पूसा अनमोल), एच. आई. - 8381 (मालव श्री ), एम.पी.ओ.-1215 और एम.पी.ओ – 1106 किसानों को कम समय में 6.28 टन तक उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं। इसके अतिरिक्त इन उन्नत किस्मों के गेहूं में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने के लिए पोषक तत्व विघमान रहते हैं। हमारे भारत देश में किसान काफी बड़े स्तर पर गेहूं की खेती करते हैं, जिसको किसान बाजार में बेचकर ज्यादा मुनाफा हांसिल करते हैं। यदि आप भी गेहूं की खेती से बेहतरीन मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप ऐसे में गेहूं की कठिया प्रजातियों का चयन कर सकते हैं। क्योंकि यह प्रजाति गेहूं का बंपर उत्पादन देने की क्षमता रखती है। यदि एक तरह से देखें तो भारत में कठिया गेहूं की खेती लगभग 25 लाख हेक्टेयर रकबे में की जाती है। कठिया गेहूं में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने हेतु पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त कठियां गेहूं आद्यौगिक इस्तेमाल के लिए बेहतर होता है।

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दरअसल, इससे निर्मित होने वाले सिमोलिना (सूजी/रवा) से जल्दी पचने वाले व्यंजन जैसे कि - पिज्जा, स्पेघेटी, सेवेइयां, नूडल, वर्मीसेली इत्यादि तैयार किए जाते हैं। इसमें रोग अवरोधी क्षमता ज्यादा होने की वजह से बाजार में इसकी काफी ज्यादा मांग रहती है। ऐसी स्थिति में आज हम किसानों के लिए कठिया गेहूं की टॉप पांच उन्नत प्रजातियों की जानकारी लेकर आए हैं, जो 100 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही, प्रति हेक्टेयर 6.28 टन तक पैदावार प्रदान करती है।

निम्नलिखित कठिया गेहूं की पांच उन्नत किस्में

एच.डी. 4728 (पूसा मालवी)

कठिया गेहूं की यह प्रजाति 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस प्रजाति के दाने बड़े एवं चमकीले होते हैं। गेहूं की कठिया एच.डी.-4728 (पूसा मालवी) प्रजाति से किसान प्रति हेक्टेयर 5.42 से 6.28 टन तक उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। यह प्रजाति तना और पत्ती के गेरुई रोग के प्रति रोधी मानी जाती है।

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एच.आई. 8498 (पूसा अनमोल)

इस प्रजाति को किसान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के इलाकों में सहजता से कर सकते हैं। कठिया गेहूं की इस प्रजाति में जिंक व आयरन की भरपूर मात्रा विघमान होती है।

एच. आई. - 8381 (मालव श्री)

यह प्रजाति विलंब से बुवाई की जाने वाली होती है। कठिया गेहूं की एच. आई. - 8381 (मालव श्री) प्रजाति से कृषक प्रति हेक्टेयर 4.0 से 5.0 टन तक उपज हांसिल कर सकते हैं।

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एम.पी.ओ. 1215

कठिया गेहूं की इस प्रजाति से किसान प्रति हेक्टेयर तकरीबन 4.6 से 5.0 टन तक उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। इस प्रजाति की फसल 100 से 120 दिन के समयांतराल में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।


 

एम.पी.ओ 1106

कठिया गेहूं की एम.पी.ओ 1106 प्रजाति लगभग 113 दिन के अंदर पूर्णतय पक जाती है। यह प्रजाति सिंचित इलाकों में भी शानदार पैदावार देने की भी क्षमता रखती है। कठिया गेहूं की इस प्रजाति को मध्य भारत के कृषकों के द्वारा सर्वाधिक पैदा किया जाता है।

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