404 page not found

404 page not found

Ad

 सोयाबीन की फसल को प्रभावित करने वाले रोग व उनकी रोकथाम

सोयाबीन की फसल को प्रभावित करने वाले रोग व उनकी रोकथाम

सोयाबीन की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाती है। ऐसे में सोयाबीन की बंपर पैदावार लेने के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्में और बुवाई के सही तरीके की जानकारी होना बेहद जरूरी है। सोयाबीन के किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं। क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है। इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है।बतादें, कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन...
जून में उगाई जाने वाली फसलों की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

जून में उगाई जाने वाली फसलों की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

खेती किसानी में बहुत से आतंरिक और बाहरी कारक फसलीय उत्पादन को प्रभावित करते हैं। इनमें से एक प्रमुख कारक फसल बुवाई के समय का चयन करना है। किसान भाइयों को बेहतर उपज हांसिल करने के लिए हर एक माह के मुताबिक फसलों की बुवाई और कृषि कार्य करना चाहिए। साथ ही, फसल की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए, ताकि बंपर उत्पादन हांसिल किया जा सके। ऐसे में कृषकों के पास प्रति महीने कृषि कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि ज्यादा उपज के साथ उच्च गुणवत्ता प्राप्त हो सके।भारत में मौसम के आधार पर भिन्न-भिन्न...
फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अधिकांश आबादी कृषि या कृषि से जुड़े कार्यों से आजीविका चलाती है। वर्तमान में भारत के कई पढ़े-लिखे शिक्षित लोग नौकरी को छोड़कर कृषि में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। साथ ही, सफलता भी हांसिल कर रहे हैं। इसी कड़ी में फूलों की खेती करके श्रीकांत बोलापल्ली ने एक छोटी स्तर से शुरुआत करके आज वार्षिक करोड़ों की आय का मुकाम हांसिल किया है। उन्होंने फूलों की खेती करने से पूर्व आधुनिक कृषि तकनीकों के विषय में सही से जानकारी ग्रहण की और इसका अनुसरण करके इसको कृषि में लागू किया। आज...
महिंद्रा सेल्स रिपोर्ट अप्रैल 2024: जानें महिंद्रा ट्रैक्टर्स की बिक्री बढ़ी या घटी

महिंद्रा सेल्स रिपोर्ट अप्रैल 2024: जानें महिंद्रा ट्रैक्टर्स की बिक्री बढ़ी या घटी

महिंद्रा ट्रैक्टर्स अपनी क्षमता में भिन्न-भिन्न बहुउद्देशीय ट्रैक्टर तैयार कर लॉन्च करता है। महिंद्रा ट्रैक्टर्स समस्त उपकरणों को कुशलतापूर्वक और कम गति से चला सकते हैं। महिंद्रा कंपनी के ट्रैक्टर्स की रखरखाव पर आने वाली लागत कम होने की वजह से आपको आसानी से मुनाफा कमाने में सक्षम बनाती है।महिंद्रा समूह का हिस्सा, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर (एफईएस) ने अपनी अप्रैल 2024 में हुई ट्रैक्टर्स की बिक्री के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं। महिंद्रा ट्रैक्टर का अप्रैल 2024 की बिक्री में काफी शानदार प्रदर्शन रहा है। महिंद्रा ने भारत में कितने ट्रैक्टर्स बेचे हैं ?महिंद्रा ट्रैक्टर्स...
केंद्र ने अब इफको नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी दी मंजूरी

केंद्र ने अब इफको नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी दी मंजूरी

इफको नैनो यूरिया के उपरांत इफको के दूसरे तरल उर्वरक इफको नैनो यूरिया प्लस को केंद्र सरकार ने तुरंत ही मंजूरी दी थी। वहीं, अब केंद्र ने इफको नैनो जिंक (तरल) और इफको नैनो कॉपर (तरल) को भी तीन साल के लिए अधिसूचित कर दिया है। नैनो यूरिया के ऊपर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) नैनो जिंक लिक्विड और नैनो कॉपर लिक्विड निर्मित करने की मंजूरी भी दे दी है। केंद्र ने यह स्वीकृति तीन वर्ष के लिए फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 के अंतर्गत दी है। इस संबंध में अधिसूचना भी...
किसानों के दिल में जगह बना रहा 50 HP में सॉलिस कंपनी का शक्तिशाली ट्रैक्टर

किसानों के दिल में जगह बना रहा 50 HP में सॉलिस कंपनी का शक्तिशाली ट्रैक्टर

भारतीय कृषकों के बीच कुछ कंपनियों के ट्रैक्टर काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं। सॉलिस यानमार ऐसी ही एक कंपनी है। यह कंपनी इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड (ITL) का प्रमुख ब्रांड है। सॉलिस के जापानी तकनीक वाले ट्रैक्टर भारत के कृषकों की प्रत्येक आवश्यकता को पूर्ण कर रहे हैं। यदि आप कृषि या उससे जुड़े कार्यों को आत्मविश्वास के साथ करना चाहते हैं, तो सॉलिस 5015 ई ट्रैक्टर सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। जापानी तकनीक से तैयार किए गया 50 एचपी का यह ट्रैक्टर किसानों की समृद्धि के लिए समर्पित है। सॉलिस 5015 ई ट्रैक्टर अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फीचर्स...
फ्री बोरिंग योजना : किसानों के खेतों में फ्री बोरिंग लगा रही सरकार

फ्री बोरिंग योजना : किसानों के खेतों में फ्री बोरिंग लगा रही सरकार

कृषि में अच्छी उपज पाने के लिए पानी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। उत्तर प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसान जिनको ग्रामीण हिस्सों में सिंचाई करते समय पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। समुचित मात्रा में जल ना होने की वजह से किसानों को फसल की सिंचाई के लिए बोरिंग की जरूरत पड़ती है। परंतु, आर्थिक हालत मजबूत ना होने की वजह से कुछ किसान बोरिंग करवाने के लिए समर्थ नहीं होते हैं। इस वजह से उनकी फसलें बर्बाद हो जाती हैं।किसान भाईयों की इन समस्त समस्याओं को मन्देनजर रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मई माह में कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य

फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मई माह में कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य

कृषि में अच्छी उत्पादकता के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। सबसे पहले जुताई किसी भी फसल की खेती के लिए सर्वप्रथम कार्य है। फसल की पैदावार खेत की जुताई पर आश्रित होती है। क्योंकि, अब रबी फसलों की कटाई का कार्य तकरीबन पूर्ण हो चुका है। अब ऐसे में किसान खरीफ सीजन की खेती की तैयारियों में जुट गए हैं। रबी फसल की कटाई के पश्चात खेत बिल्कुल खाली हो जाते हैं।परंतु, खरीफ सीजन की खेती शुरू करने से पहले किसानों को ग्रीष्मकालीन जुताई अवश्य कर लेनी चाहिए। जमीन की उर्वरता को बढ़ाने के लिए...