सूरजमुखी की खेती | खाने का तेल होगा सस्ता | Merikheti

खाने का तेल होगा सस्ता

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पिछले कुछ समय से आम उपभोक्ताओं की शिकायत रही है, कि खाने के तेल के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। सरकार की तरफ से भी कहा गया कि मलेशिया से आने वाले पाम आयल पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के कारण ऐसा हुआ है। लेकिन, अब उम्मीद बंधती दिख रही है, कि खाने के तेल के दाम में गिरावट आ सकती है। लेकिन, सवाल यह भी है कि क्या किसानों को इससे फायदा होगा या नुकसान ?

खबर यह है, कि सूरजमुखी उगाने वाले कई राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा में अभी सूरजमुखी के बीज निकालने का समय आ गया है। भारत हर साल करीब 2 लाख टन सूरजमुखी तेल का उत्पादन करता है। लेकिन, इस बीच खबर यह है, कि तिलहन की मांग में कमजोरी आई है, न सिर्फ सूरजमुखी बल्कि सरसों, सोयाबीन, मूंगफली की कीमत में भी कमी देखी गयी है। दूसरी तरफ, पाम आयल की मांग में तेजी देखी जा रही है।

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जानकारों की माने तो, अभी से ठीक 6 महीना पहले जहां सूरजमुखी तेल की कीमत 2,500 डॉलर प्रति टन थी, वहीं यह करीब आधा घटकर 1,360 डॉलर प्रति टन रह गया है। माना जा रहा है, कि यह विदेशों से तेल आने के कारण हुआ है, विदेश से आने वाला यह तेल ही किसानों को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि उसकी कीमत ११२ रूपये प्रति किलो तय की गयी है। दूसरी तरफ, किसानों को एक किलो सूरजमुखी बीज निकालने में 40 रूपये का खर्च बैठता है। यानी, उसकी कीमत हो गयी 152 रूपये। तो सवाल है, कि वह 112 रूपये वाली कीमत का मुकाबला कैसे करेगा ? जाहिर है, ऐसे में किसान सूरजमुखी का तेल बनाने से अधिक उसके अन्य प्रोडक्ट बनाना पसंद करेंगे, जिससे कि उनका मुनाफ़ा बढ़ सके। सूरजमुखी से अन्य कई प्रोडक्ट, जैसे मुर्गी दाना और पशु आहार आदि भी बनाए जाते हैं।

एक और समस्या है, विदेश से आने वाले सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क नहीं है। हां, यह कोटा के तहत जरूर लाया जा रहा है, इस वजह से सप्लाई कम हो गया है और विक्रेता इसका फायदा उठा रहे हैं। जाहिर है, भारत में तिलहन उत्पादन तभी बढ़ सकता है, जब किसानों को उनकी उपज का मूल्य बेहतर मिलेगा। विदेश से आने वाले पाम आयल, सूरजमुखी के मुकाबले सस्ता पड़ता है, इस वजह से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार को कीमत में अन्तर के बारे में सोचना होगा।

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