भारत में ऐसे करें डेज़ी फूल की खेती

भारत में ऐसे करें डेज़ी फूल की खेती

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डेजी एक सजावटी पौधा है जिसे दुनिया भर में उगाया जाता है। इसे अफ्रीकी डेज़ी, ट्रांसवाल डेज़ी और जरबेरा के फूल के नाम से भी जाना जाता है। फिलहाल मुख्य तौर पर इसका उत्पादन नीदरलैण्ड, इटली, पोलैण्ड, इजरायल और कोलम्बिया आदि देशों में किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि भारत में भी इस फूल की मांग तेजी से बढ़ी है। जिसके कारण कई राज्यों के किसानों ने डेज़ी फूल की खेती करना शुरू कर दी है। फिलहाल इस फूल की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि राज्यों में हो रही है।

डेजी फूल की खेती

यह एक बहुत ही लोकप्रिय फूल है, जिसका उपयोग घर की साज सज्जा में किया जाता है। इसके साथ ही इन फूलों का उपयोग गुलदस्ते बनाने में और विवाह में सजावट के दौरान भी बहुतायत में हो रहा है। इसलिए बाजार में इन फूलों की मांग बढ़ गई है, जिसके कारण भारत के किसान इस खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। मांग के अनुसार डेजी फूल की खेती करके किसान भाई अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

डेजी फूल के लिए इस प्रकार की जलवायु होती है उपयुक्त

डेजी फूल की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है। इसकी खेती के लिए ठंड में धूप तथा गर्मियों में छायादार जगह की जरूरत होती है। अगर दिन का तापमान 20°C-25°C और रात का तापमान 12°C-15°C के बीच हो तो यह डेजी फूल की खेती के लिए उपयुक्त वातावरण हो सकता है। इसलिए इसकी खेती के लिए ग्रीन हाउस या पॉलीहाउस सबसे उपयुक्त विकल्प माना जाता है। उष्णकटिबंधीय जलवायु में डेजी फूल की खेती खुले मैदानों में भी की जा सकती है।

इस प्रकार से करें मिट्टी का चयन

डेजी फूल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन लेटराइट मृदा इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी से जल के उचित निकास के लिए व्यवस्था होना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही मिट्टी का पीएचमान 5.0 से 7.2 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जीवांश पदार्थों की उपयुक्त मात्रा मिलाने पर डेजी फूल  के पौधों की वृद्धि तेजी से होती है।

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ये हैं डेजी फूल की उन्नत किस्में

डेजी फूल की लगभग 70 अलग-अलग किस्में है जो विभिन्न रंगों के फूल देती हैं। इसलिए हम आपको फूलों के रंगों के आधार पर किस्मों को बताने जा रहे हैं।

  • सफ़ेद फूल की उन्नत किस्में : फरीदा, व्हाइट मारिया, विंटर क्वीन, डेल्फी और स्नोफ्लेक।
  • नारंगी रंग के फूल की किस्में : कोजक, ऑरेंज क्लासिक, कैरेरा, मारा सोल और गोलियथ।
  • जामुनी रंग के फूल की किस्में : ब्लैक जैक और ट्रीजर।
  • पीले रंग वाले फूल की किस्में  : तलासा, फ्रेडकिंग, नाडजा, पनामा, फूलमून, डोनी, सुपरनोवा, मेमूट और यूरेनस।
  • लाल रंग के फूल वाली किस्में : साल्वाडोर, रेड इम्पल्स, फ्रेडोरेल्ला, रुबीरेड, वेस्टा और तमारा।
  • गुलाबी रंग के फूल की किस्में :  रोसलिन, मारा, सल्वाडोर, पिंक एलिगेंस, रोसलिन, टेरा क्वीन और वेलेंटाइन।

ऐसे करें खेत की तैयारी

खेत में पलाऊ की सहायता से जुताई करके पुरानी फसल के बचे हुए अवशेषों और खरपतवारों को नष्ट करके मिट्टी में मिला दें। इसके बाद कम से कम 2 से 3 बार जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरी बना लें। खेत की जुताई करते समय गोबर की खाद मिलाएं। इससे खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। मिट्टी भुरभुरी होने के उपरांत अंत में खेत में पाटा चलाकर खेत की मिट्टी को पूरी तरह से समतल कर दें।

डेजी फूल की खेती के लिए इस प्रकार से तैयार करें बेड

डेजी फूल की खेती के लिए ऐसे बेड तैयार करने चाहिए जिनमें पानी निकास की उचित व्यवस्था हो। ताकि पानी जल्द से जल्द खेत से बाहर भेजा जा सके। फूलों के पौधों की रोपाई के लिए 1.5 फीट ऊंचे और 2 से 3 फीट चौड़े बेड बनाने चाहिए। इसके साथ ही कतार से कतार की दूरी 1 फीट होना चाहिए। अगर किसान बेड बनाते समय नीम की खली का प्रयोग करते हैं तो पौधों में नेमाटोड जैसा रोग नहीं लगेगा।

इस समय पर करें डेजी फूल की बुवाई

डेजी फूल की बुवाई साल में तीन बार की जा सकती है। साल की शुरुआत में जनवरी से मार्च के बीच इसकी बुवाई की जा सकती है, इसके बाद जून से जुलाई और नवंबर से दिसंबर के बीच इसकी बुवाई की जा सकती है।

डेजी फूल की रोपाई

जब इस फूल के पौधों की रोपाई करें तो यह ध्यान रखें कि पौधे का क्राउन मिट्टी से 2-3 सेमी ऊपर होना चाहिए। इसके साथ ही कतार से कतार की दूरी 35-40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25-30 सेमी होना चाहिए। एक बेड पर दो कतारों में डेजी फूल के पौधों को लगाया जा सकता है।

इस प्रकार से करें खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

डेजी फूल की खेती करते समय खेत तैयार होने के पहले 20 टन प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद डालें। इसके साथ ही वर्मी कंपोस्ट का भी प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही प्रति एकड़ के हिसाब से 40 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश का प्रयोग करें। मिट्टी में आयरन की कमी होने की स्थिति में 10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से फेरस सल्फेट का का भी प्रयोग किया जा सकता है।

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उर्वरक का प्रयोग फसल के अच्छे उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में खेतों में उर्वरक का उचित प्रबंध किया जाना आवश्यक है। शुरूआती दिनों में पानी में घोलकर एनपीके खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है। जब पौधे में फूल आना शुरू हो जाएं तब कैल्शियम, बोरॉन, मैग्नेशियम और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करना चाहिए। इससे फूलों का उचित विकास होता है। यह छिड़काव तीन से चार सप्ताह के बाद 2 से 3 बार करना चाहिए।

सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

डेजी फूल की खेती में रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए। इसके बाद एक महीने तक लगातार सिंचाई करते रहें। डेजी फूल के पौधों को अन्य पौधों की अपेक्षा ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ये पौधे प्रतिदिन औसतन 700 मिलीलीटर पानी लेते हैं।

खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल की समय समय पर आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे खरपतवार खेत में बढ़ने नहीं पाएगा और नष्ट हो जाएगा।

डेजी फूल की खेती में रोग और कीटों का प्रयोग

इस फसल में कली सड़न, ख़स्ता फफूंदी आदि रोगों का प्रकोप होता है। इसके साथ ही डेजी फूल की खेती में चेपा, थ्रिप्स, सफ़ेद मक्खी, रेड स्पाइडर माइट और नेमाटोड जैसे कीट भी आक्रमण कर देते हैं। इनसे निपटने के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें और उचित दवाइयों का प्रयोग करें।

डेजी फूल की तुड़ाई

इसके पौधों में रोपाई के 12 सप्ताह बाद ही फूल आने लगते हैं, लेकिन शुरुआत में अच्छी गुणवत्ता न होने के कारण फूलों कि तुड़ाई 14 सप्ताह बाद शुरू की जाती है। डेजी फूल को डंठल के साथ तोड़ा जाता है जिसकी लंबाई 55 सेंटीमीटर के आस पास होती है। डेजी के फूलों को बहुत सावधानी से तोड़ना चाहिए नहीं तो फूल खराब हो जाएंगे। तोड़ने के बाद इन्हें साफ पानी से भारी हुई बाल्टी में रखा जाता है ताकि फूलों की गुणवत्ता बरकरार रहे। एक साल में डेजी का एक पौधा औसतन 45 फूल तक दे सकता है।

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डेजी फूलों की मांग एवं विपणन

अगर उत्पादन की बात करें तो डेजी फूलों का उत्पादन ज्यादातर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल और अरुणाचल प्रदेश में किया जाता है। लेकिन इसकी मांग दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलौर, कोलकाता जैसे बाजारों में ज्यादा है। इसका प्रयोग ज्यादातर शादियों में साज सज्जा में किया जाता है। इसलिए इसकी बिक्री पर किसानों को अच्छी खासी कमाई होती हैं। डेजी फूल की खेती करके किसान कम समय में ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं।

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