धान का हाल न बिगाड़ दे मौसम | Merikheti

धान का हाल न बिगाड़ दे मौसम

0

मौसम की करवट ने धान किसानों की हालत खराब कर दी है। पंजाब—हरियाणा को छोड़ दें तो किसान अभी भी फसल में खरपतवार निकालने के काम में लगे हैं। जिन राज्यों में सिंचाई जल के समुचित साधन हैं वहां फसल जल्दी लग गई लेकिन बाकी जगहों पर देरी से लगी। देरी से लगी फसल में खरपतवार और रोगों का नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है। एक हफ्ते से मानसून की ज्यादातर इलाकों में बेरुखी किसानों को खून के आंसू रुला रही है।

धान की फसल बगैर पानी के नहीं होती। पानी लगाना ही इसके विकास के लिए जरूरी नहीं होता। मौसम में नमी का प्रतिशत बरसात से ही बढ़ता है और बनता है लेकिन एक हफ्ते से उमस और गर्मी ने हलक सुखा दिया है।

बीमारियों का बढ़ रहा प्रकोप

मौसम की प्रतिकूलता किसी भी फसल के विकास को प्रभावित करती है। कीट प्रभाव हो या फिर रोगों का प्रभाव, प्रतिकूल मौसम का इन सब समस्याओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। अभी तक कई इलाकों में बकानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे। अब धान की सूंडी का प्रभाव दिखने लगा है। गर्मी के कारण फसल का विकास भी रुक गया है।

क्या करें किसान

धान की फसल में उर्वरक प्रबंधन का काम करीब करीब समाप्त हो गया है। इसके बाद भी मौसम के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नैनो यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान राज्य में थायो​यूरिया के उपयोग से भी मौसम के दुष्प्रभाव को कम करने के आशातीत परिणाम सामने आए हैं। किसान इसका उपयोग भी कर सकते हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More