हाइवे में हजारों ट्रकों के फंसने से लाखों मीट्रिक टन सेब हुआ खराब - Meri Kheti

हाइवे में हजारों ट्रकों के फंसने से लाखों मीट्रिक टन सेब हुआ खराब

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जम्मू कश्मीर के सेब (Apple) के किसान पहले ही संकट में हैं और अब हाइवे में जाम लगने के बाद उनके सामने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। इन दिनों जम्मू कश्मीर को बाकी भारत से जोड़ने वाले मेन हाइवे NH-44 में कुछ दिक्कत आ गई है, जिसके कारण आवागमन सुचारु रूप से नहीं चल रहा है। इसलिए सेब से लदे सैकड़ों ट्रक बीच में ही फंस गए हैं, जिसके कारण अब तक हजारों क्विंटल सेब खराब हो चुका है। इसका सीधा असर किसानों के ऊपर पड़ रहा है।

चूंकि अब सेब की सप्प्लाई आगे नहीं बढ़ रही है, इसलिए जम्मू कश्मीर की मंडियों में सेबों की डिमांड भी कम हो गई है, जिसके कारण सेबों को बेंचने पर किसानों को वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं। जम्मू कश्मीर के सेब व्यपारियों का कहना है कि यदि कुछ दिनों में हालात सामान्य नहीं हुए तो और भी ज्यादा सेब खराब हो सकते हैं, जिससे उनका घाटा बढ़ जाएगा। व्यापरियों की मांग है कि सरकार को जल्दी से जल्दी हाइवे की मरम्मत करवाकर आवागमन को बहाल करना चाहिए, ताकि सेब को खराब होने से पहले ही बाजार में पहुंचाया जा सके।

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कैसे खराब हुआ इतनी बड़ी मात्रा में सेब ?

इस साल अच्छी बरसात होने के साथ ही अनुकूल मौसम होने की वजह से जम्मू कश्मीर में बम्पर सेब का उत्पादन हुआ है, जिसके कारण मंडियों में सेब की आवक बढ़ गई है। यहीं से सेब उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों को भेजा जाता है। लेकिन देश को जम्मू कश्मीर से जोड़ने वाले मुख्य हाइवे पर इन दिनों मरम्मत का कार्य चल रहा है, जिसके कारण हजारों की संख्या में सेब ट्रक फंस गए हैं और सेबों की स्थिति खराब होना प्रारम्भ हो चुकी है।

कितनी कीमत का माल लगा है दांव पर ?

जम्मू कश्मीर सेब संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों के अनुसार, अभी तक लगभग 8,000 सेब से लदे हुए ट्रक हाइवे में फंसे हुए हैं, जिनमें कम से कम 100 करोड़ रूपये का माल लोड है। ये ट्रक पिछले दो हफ़्तों से एक भी कदम आगे नहीं बढ़े हैं, जिसके कारण इनमें रखा हुआ माल सड़ने लगा है। अभी तक इसकी जानकारी नहीं है कि इन हालातों में और कितने दिनों तक ये ट्रक हाइवे में फंसे रहेंगे। इस साल बम्पर उत्पादन की वजह से जम्मू कश्मीर में सेब का उत्पादन 21 लाख मीट्रिक टन से अधिक हुआ है।

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जम्मू कश्मीर का सेब उद्योग पहले ही चुनौतियों का सामना कर रहा है, यहां के सेब किसानों और व्यापारियों को ईरान से आने वाले सेब से घाटा हो रहा है। ईरान से आने वाले सेब के कारण बाजार में कम्पटीशन बढ़ गया है। इसलिए राज्य के सेब व्यापारियों और किसानों ने ईरान से सेब के आयत में प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है। इसके अलावा बाजार ये भी खबर है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाकर रूस के व्यापारी अपना सेब भारत में खपा रहे हैं। बड़ी मात्रा में रूसी सेब अफगानिस्तान होते हुए भारत आ रहा है, हालांकि भारतीय अधकारियों ने इन बातों का खंडन किया है।

भारत दुनिया में सेब का सातवाँ सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जिसमें जम्मू कश्मीर अपना विशेष स्थान रखता है। भारत में सेब की खेती सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर में ही होती है। सेब की खेती से राज्य को हर साल लगभग 1500 करोड़ रूपये की आमदनी होती है। अगर देश में उत्पादित होने वाले सभी फलों की बात की जाए, तो सभी फलों के बीच सेब का शेयर 3 प्रतिशत के आस पास है। इसलिए सरकार को चाहिये कि जल्दी से जल्दी हाइवे की मरम्मत करवाई जाए और आवागमन को बहाल किया जाए, ताकि किसानों तथा सेब व्यापारियों को लग रहे घाटे को कम किया जा सके।

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