लेट्यूस की बढ़ी डिमांड, विदेशी सब्जी किसानों के लिए हो रही मुनाफे का सौदा - Meri Kheti

लेट्यूस की बढ़ी डिमांड, विदेशी सब्जी किसानों के लिए हो रही मुनाफे का सौदा

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आजकल लोग ट्रेंडी सब्जियों का खाना काफी पसंद कर रहे हैं. इसमें दो राय नहीं है, कि ज्यादातर ट्रेंडी सब्जियां विदेशी होती हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो विदेशी सब्जियों को खाने का खुमार भारतीयों के सिर चढ़ कर बोल रहा है. भारतीयों की पसंद के चलते किसी और को फर्क पड़े न पड़े लेकिन हमारे किसान भाइयों को काफी मुनाफा हो रहा है.

आज हम आपको एक ऐसी विदेशी सब्जी के बारे में बताने जा रहे है, जो आजकल भारतीयों को काफी पसंद आ रही है. इस सब्जी का नाम है लेट्यूस. जी हां लेट्यूस की खेती करना किसानों के लिए किसी फायदे के सौदे से कम नहीं है. जो अच्छा खासा मुनाफा भी दे रही है.

हम इस बात से ऐतराज नहीं कर सकते की आज के दौर के लोगों को विदेशी किस्म के खाने काफी पसंद आ रहे हैं. आखिर आये भी क्यों ना, विदेशी खाने लोगों को भारतीय खाने से ज्यादा हेल्दी जो लगते हैं. आपको बता दें की विदेशी डिशेज में इस्तेमाल की जाने वाली इन सब्जियों को ज्यादातर विदेशों से ही मंगवाया जाता है. लेट्यूस भी उन्हीं सब्जियों में से एक है. जो एक पत्तेदार और नकदी फसल है. आपने सलाद, बर्गर, पिज्जा जैसी कई डिशेज में लेट्यूस जरुर खाया होगा. देखा जाए तो बड़े बड़े माल्स और बाजार में ये काफी महंगा मिलता है. इसका इस्तेमाल कई तरह की डिशेज को तैयार करने में किया जाता है. प्रोटीन और अमीनो एसिड से भरपूर लेट्यूस को सेहत के लिहाज से काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. इसकी अनगिनत खासियत की वजह से ये काफी ज्यादा लोकप्रिय है. अगर आप भी लेट्यूस की खेती करके मोटा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो इससे पहले इसकी खेती करने के सही तरीके के बारे में जान लेना जरूरी है.

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जानिए कैसी चाहिए जलवायु?

लेट्यूस की खेती करने का मन बना रहे हैं, तो आपको इसकी जलवायु के बारे में जान लेना चाहिए. लेट्यूस की खेती के लिए 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के मासिक औसत तापमान के साथ साथ ठंड के मौसम में ये अच्छे से बढ़ता है. ज्यादा तापमान लेट्यूस की पत्तियों में कडवाहट का कारण बन सकता है. इसके साथ ही इसेक टिप जलने और सड़ने की वजह बन सकती है.

अगर लेट्यूस की खेती के लिए मिट्टी का तापमान तकरीबन 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है तो इसके बीज ठीक तरह से अंकुरित नहीं हो सकेंगे. साथ ही इस बात का ध्यान भी रखें की इसकी बुवाई के समय तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और कटाई के समय इसका तापमान 20 से 28 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी है. अगर इसकी खेती में 100 से 150 सेमी तक बारिश होती है, तो ये काफी अच्छा हो सकता है.

कैसी हो मिट्टी?

लेट्यूस की खेती कई तरह की मिट्टी में की जाती है. हालांकि अच्छे रिजल्ट के लिए रेतीली दोमट और दानेदार दोमट मिट्टी अच्छी होती है. उस मिट्टी का पीएच मां 6.6 से 8 तक होना चाहिए. साथ ही पानी की अच्छी निकासी होनी चाहिए, इसके अलावा अम्लीय मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती.

कैसे करें खेत को तैयार?

लेट्यूस की खेती के लिए जमीन को पहले से ही तैयार कर लेना चाहिए. इसके लिए लगभग दो से तीन बार खेत की जुताई करनी चाहिए. जिसके बाद मिट्टी की जांच करनी चाहिए.ताकि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकारी मिल सके. अगर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है तो उसमें ठीक तरीके से सूक्ष्म पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जा सके.

जानिए लेट्यूस की बुवाई का सही समय

लेट्यूस की बुवाई का सही समय सितम्बर के बीच से नवंबर के बीच तक का समय सही होता है. इन महीनों के दरमियान नर्सरी तैयार करने का अच्छा मौका होता है.

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कैसे करें लेट्यूस की बुवाई?

आप चाहें तो लेट्यूस को पौधे या बीज किसी भी रूप में बुवाई कर सकते हैं. अगर बीज रोप रहे हैं, तो एक लाइन की दूसरी लाइन से दूरी करीब 45 सेंटी मीटर की होनी चाहिए. वहीं एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी तकरीबन 30 सेंटी मीटर की होनी चाहिए. वहीं बीजों की बात करें तो, उनके बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर तक की होनी चाहिए. आपको बता दें की बीजों के अंकुरण में करीब तीन से चार दिन का समय लगता है. वहीं बीज जब चार से छह हफ्ते का हो जाए तो ये खेत में रोपने लायक तैयार हो जाते हैं.

कैसे करें सिंचाई?

अच्छी और ज्यादा उपज हर किसान को चाहिए होती है. अगर आप भी लेट्यूस की अच्छी उपज चाहते हैं, तो इसकी सिंचाई से जुड़ी जानकारी भी आपको जान लेनी चाहिए. इसकी फसल को हल्की एयर बार बार सिंचाई की जरूरत होती है. आप चाहें तो सिंचाई तकनीक फरो, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे फसल की अच्छी गुणवत्ता मिलेगी. हालांकि लेट्यूस की फसल के लिए हफ्ते डेढ़ हफ्ते के बीच में सिंचाई अच्छी मानी जाती है.

कैसी हो खाद?

लेट्यूस की खेती में खाद के इस्तेमाल के लिए प्रति एकड़ यूरिया 55 किलोग्राम, एकल सुपर फास्फेट उर्वरक लगभग 70 से 75 किलोग्राम, पोटैशियम, नाइट्रोजन करीब 20 से 25 किलोग्राम, फास्फोरस लगभग 10 से 12 किलोग्राम और गली हुई रुड़ी की खाद को प्रति एकड़ 15 टन के हिसाब से डालना चाहिए. बता दें कि पौधों को रोपने से पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस की पूरी मात्रा को अच्छे से डाल दें. बाकी की बची हुई नैत्रोजं को पौधों को रोपने के करीब 6 हफ्ते बाद डालना चाहिए.

कैसे करें कीट और रोकथाम?

लेट्यूस की फसलों को भी अन्य फसलों की तरह कीटों और रोगों से बचाने की जरूरत होती है. अगर आपको इसकी फसलों पर रस चूसने वाले कीड़े दिखें तो करीब 150 लीटर पानी में इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एसएल 60 मिली को अच्छे से मिलकार स्प्रे करना चाहिए.

कैसे करें कटाई?

लेट्यूस की फसलों को तैयार होने में डेढ़ से दो महीने का समय लगता है. जिसके बात यह पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसकी कटाई करने के लिए लेट्यूस के बिलकुल बीच वाली पत्तियों को छोड़कर बाहर की पत्तियों को काटा जा सकता है. इसके कुछ दिन बाद फिर से नई पत्तियां आ जाती हैं. सुबह का समय फसल की कटाई के लिए अच्छा माना जाता है. क्योंकि इससे पत्ते ताजे रहते हैं. कटाई के बाद पत्तों को उनके शेप के अनुसार छंटाई कर देना चाहिए.

लेट्यूस की फसल ५० किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से देती है. लेट्यूस को तीन हफ्तों के स्टोर करके बॉक्स में रखा जा सकता है, जिस वजह से किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है.

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