कृषि कार्यों के अंतर्गत ड्रोन के इस्तेमाल से पहले रखें इन बातों का ध्यान

By: MeriKheti
Published on: 05-Aug-2022

भारत सरकार की 2025 से पहले किसानों की आय को दोगुना करने की नीति के तहत, साल 2021 में कृषि कार्यों के अंतर्गत ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर सुदृढ़ सोच के रूप में ड्रोन पॉलिसी रूल्स 2021 (Drone policy Rules 2021) को पेश किया गया। इस पॉलिसी के तहत कुछ महत्वपूर्ण तथ्य, जैसे कि ड्रोन उड़ाने के लिए अनुमति और अलग-अलग एरिया के लिए लगाई गई कुछ पाबंदी के साथ ही, जलवायु के अनुसार मौसम को ध्यान रखते हुए ड्रोन के इस्तेमाल करने की तकनीक को भी पेश किया गया है। पिछले कुछ समय से भारत सरकार की भारतीय कृषि का मशीनीकरण करने की सोच के लिए भी ड्रोन तकनीक का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

ड्रोन तकनीक का कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल

ड्रोन तकनीक का कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक इस्तेमाल अलग-अलग कीटनाशी और खरपतवार नाशी को बड़े खेतों में सीमित मात्रा में स्प्रे करने के लिए किया जाता है। ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ना सिर्फ इससे पूरे खेत में एक समान छिड़काव किया जा सकता है, बल्कि, साथ ही ऐसे रसायनिक उर्वरकों से किसान भाइयों का संपर्क भी कम हो जाता है जो कि उन्हें कई प्रकार की बीमारियों से भी दूर रखने में सहायक होता है।

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पेस्टिसाइड के छिड़काव में ड्रोन का इस्तेमाल :

भारत की जलवायु और मिट्टी में कुछ कमियों की वजह से अनेक प्रकार की कीटनाशक बीमारियां फसलों में नुकसान पहुंचा सकती है। इन्हीं का निदान करने के लिए कुछ बड़े किसान ड्रोन की सहायता से पेस्टिसाइड का छिड़काव करते हैं। परंपरागत कीटनाशी स्प्रे करने की तुलना में ड्रोन से छिड़काव करने की वजह से किसान भाइयों को कुछ फायदे हो सकते हैं,जैसे कि :

  1. पूरे क्षेत्र में एक समान मात्रा में कीटनाशक छिड़काव होने के साथ ही रसायनिक उर्वरकों का सीमित रूप से इस्तेमाल होना।
  2. सीमित इस्तेमाल की वजह से मृदा की उर्वरता को बराबर बनाए रखना।
  3. बड़े खेत में छिड़काव के लिए लगने वाली मजदूरी में कटौती।
  4. पानी और मृदा प्रदूषण में कमी
  5. छिड़काव करने वाले व्यक्ति का रासायनिक उर्वरकों से संपर्क ना होने की वजह से बीमारियों से बचाव

फसल की निगरानी में ड्रोन का इस्तेमाल :

तकनीकी के बेहतर इस्तेमाल की वजह से, आज के समय में बनने वाले ड्रोन अनेक प्रकार के फोटो कैमरा और दूसरे कई फीचर्स के साथ आते है। इनकी मदद से, यदि आपका खेत बहुत बड़ा है तो आसानी से घर बैठे ही अपनी फसल की हेल्थ की जांच की जा सकती है। घर बैठे ही आप पता लगा सकते हैं कि आपके खेत के कौन से हिस्से में फसल की वर्द्धि दूसरी जगह की तुलना में कम है, कौन से एरिया पर कीटनाशक का छिड़काव अधिक मात्रा में किया जा सकता है। साथ ही अगले सीजन की शुरूआत में ही उस जगह का अच्छी तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है।

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फसल प्रबंधन में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल :

ड्रोन तकनीक और कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ समय से योगदान देने वाली स्टार्ट-अप कम्पनियों की वजह से ऐसे बेहतरीन तकनीक के ड्रोन बनाए गए हैं, जिनकी मदद से आप घर बैठे ही अपने खेत में बीज और कई दूसरी ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल कर सकते है। इसकी वजह से आप के खेत में फसल का प्रबंधन कम लागत में ही, आसानी से बहुत बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। फसल प्रबंधन अच्छा होने की वजह से खेत की उत्पादकता स्वतः ही पहले की तुलना में बढ़ जाएगी। बिहार के पटना जिले में ड्रोन तकनीक से जुड़ी हुई एक स्टार्टअप 'एडवेंचर-ड्रोन' ने स्थानीय किसान भाइयों के साथ मिलकर लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्र में बीज बोए और साथ ही उसी स्थान से ही बीज के पल्वित होने के साथ इस्तेमाल में आने वाले कुछ रासायनिक और जैविक उर्वरकों का भी आसानी से छिड़काव किया।

ड्रोन जीपीएस की मदद से खेत का निरीक्षण :

उड़ीसा सरकार के द्वारा चलाई गई ड्रोन जीपीएस स्कीम (Drone GPS Scheme) के तहत, आप घर बैठे ही कृषि विभाग के द्वारा दिए जाने वाले ड्रोन का इस्तेमाल कर अपने खेत का बिल्कुल निशुल्क निरीक्षण कर सकते है। इस ड्रोन में जीपीएस के साथ ही कई अलग प्रकार के सेंसर लगे होते है, जो कि किसान को उसके खेत का कुल क्षेत्रफल बताने के अलावा मिट्टी का अनुमान लगाकर इस्तेमाल में होने वाले फर्टिलाइजर की भी उपयुक्त जानकारी दे रहे है। साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता का पता लगाकर उस खेत में उगने वाली उपयुक्त फसल की सलाह भी कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किसान भाइयों को दी जा रही है। इस तैयार डाटा को सॉफ्टवेयर की मदद से सरकार को भी भेजा जा रहा है, जिसके माध्यम से आने वाले समय में सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का निर्धारण अलग-अलग क्षेत्र के अनुसार किया जा सकेगा।

ड्रोन का इस्तेमाल कर फसल में कीट या बीमारियों के निदान की तैयारी :

हाल ही में केरल में राज्य सरकार के द्वारा चलाए गए एक अभियान के तहत एर्नाकुलम जिले में कॉफी में होने वाली बीमारियों का पता भी ड्रोन तकनीक की वजह से ही लगाया गया है। अब कृषि वैज्ञानिक, उत्तरी भारत के राज्यों में भी जल्दी ही ड्रोन का इस्तेमाल कर बीमारियों के निदान की तैयारी कर रहे हैं। ड्रोन तकनीकी का एक फायदा यह भी है, कि इसकी मदद से किसानों को बहुत ही जल्दी और सटीक डाटा मिल जाता है, जिसकी किसी भी बीमारी के प्रति वह त्वरित रूप से निर्णय ले सकते हैं और बीमारी को पूरे खेत में फैलने से पहले ही रोका जा सकता है। इसके अलावा किसी प्रकार के कीट या फिर बीमारी की वजह से आप के खेत में कोई नुकसान होता है तो उस नुकसान की जानकारी भी ड्रोन के माध्यम से ही सरकारी अधिकारियों के द्वारा एकत्रित की जा रही है, जिसके बाद आसानी से किसानों को मुआवजा मिल पाएगा।

ड्रोन की मदद से पौध लगाना :

कृषि वैज्ञानिकों और एक ड्रोन स्टार्टअप के द्वारा आसाम के गुहावाटी जिले तथा उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से कई फसलों की पौध को सीधे जमीन में लगाया गया है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस तकनीक की मदद से पौधे को लगाने में किसानों को होने वाले खर्चे में लगभग 90% तक की कमी आ सकती है। इसके अलावा दो पौध के बीच में रहने वाली दूरी का भी ड्रोन के द्वारा ही नियंत्रण किया जाता है और इसमें गलती होने की गुंजाइश बहुत ही कम रहती है, इतनी सटीकता से पौध रोपण होने की वजह से उत्पादकता में लगभग 30% तक की वर्द्धि देखी जा रही है।

इंश्योरेंस क्लेम में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किसानों के लिए होगा फायदेमंद :

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भारतीय किसानों को पहले से ही कम कीमत में बेहतरीन इंश्योरेंस क्लेम (Insurance Claim) की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। अब ड्रोन की मदद से इंश्योरेंस क्लेम के दौरान होने वाली देरी को भी काफी आसानी से कम किया जा सकता है और इससे कम जमीन वाले किसानों को बहुत फायदा होगा क्योंकि तकनीक के कम इस्तेमाल की वजह से ज्यादा नुकसान उन्हीं के खेतों को होता है।

सरकार द्वारा चलाई गई ड्रोन के इस्तेमाल की कुछ स्कीम की जानकारी

ऊपर बताई गई जानकारी से किसान भाइयों ने यह तो समझ लिया होगा कि एक साधारण से ड्रोन की मदद से उनकी फसल को कितना फायदा हो सकता है, अब हम आपको बताएंगे सरकार के द्वारा चलाई गई ऐसी कुछ सरकारी स्कीम, जिनकी मदद लेकर आप आसानी से अपने खेत में भी ड्रोन का इस्तेमाल कर सकेंगे :

कृषि मशीनीकरण पर सबमिशन स्कीम (Sub-Mission on Agricultural Mechanization (SMAM))

इस स्कीम के तहत भारत के छोटे और सीमांत किसानों को लगभग 40 से 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस सब्सिडी की अधिकतम कीमत दस लाख रुपए तक की होगी, पर किसान भाइयों को यह ध्यान रखना होगा कि यह दस लाख रुपए केवल उन्हीं किसानों को मिलेगा जो कुछ किसान यूनिवर्सिटी, जैसे कि आईसीएआर औऱ कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े हुए रहेंगे। इसके अलावा, यदि आपने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री एग्रीकल्चर से की हुई है तो बिना किसी कृषि केंद्र से जुड़े हुए भी आप 50% तक सब्सिडी का फायदा उठा सकेंगे। इसके लिए आपको अपने गांव में स्थित कस्टम हायरिंग सेंटर पर जाकर आवेदन जमा करवाना होगा, एक बार आवेदन जमा होने पर आपकी योग्यता के आधार पर मैसेज और ईमेल के जरिए कृषि विभाग के द्वारा ड्रोन की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध करवा दी जाएगी।

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किसान ड्रोन स्कीम

कृषि विभाग के द्वारा ड्रोन किसान यात्रा के तहत भारत में केमिकल मुक्त कृषि पर पिछले कुछ समय से ज्यादा ही ध्यान दिया जा रहा है और इसी के तहत अब ड्रोन शक्ति स्कीम और किसान ड्रोन स्कीम की मदद से भारत की खेती को अलग स्तर पर ले जाने की तैयारियां की जा रही है। किसान ड्रोन में एक पोषक तत्व और कीटनाशकों से भरा हुआ एक बड़ा टैंक होता है, जिसकी क्षमता 5 किलो से लेकर 10 किलो तक हो सकती है। इस ड्रोन की मदद से आप अपने खेत में सीमित मात्रा में और खेत के हर कोने में एक समान कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे। इस ड्रोन को एक एकड़ भूमि में कीटनाशी छिड़काव में लगभग 15 मिनट का समय लगेगा। इतने कम समय की वजह से आसानी से कोई भी किसान घर से ही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। किसान ड्रोन का एक और इस्तेमाल खेत से सब्जी मंडियों तक सब्जी और फलों को पहुंचाने के लिए भी किया जाएगा। इस ड्रोन की मदद से खेत में उगी हुई सब्जियों को 10 किलोमीटर तक के एरिया तक उपलब्ध सब्जी मंडी में पहुंचाया जा सकेगा और आने वाले समय में इस एरिया को बढ़ाने की तैयारियां भी की जा रही है।

स्वामित्व स्कीम

किसान भाई अब ड्रोन की मदद से अपने खेत की सम्पूर्ण जानकारी मोबाइल एप पर सुरक्षित कर सकते है और उस डेटा में खुद से ही बदलाव भी किया जा सकता है। इस एप में ही आप लिख सकेंगे की आपने अपने खेत में कौन से उर्वरक का इस्तेमाल किया था और उससे आपको कितनी उत्पादकता प्राप्त हुई थी। इसके अलावा इसी एप में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई नई एडवाइजरी और फसल में लगने वाले उर्वरक की निश्चित मात्रा की जानकारी भी दी जाएगी।

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कृषि में काम आने वाले ड्रोन की कितनी होगी कीमत

वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे कृषि ड्रोन इंटरनेट पर आधारित स्मार्ट टेक्नोलॉजी से संचालित होते है और इनकी कीमत लगभग पांच लाख रुपए से लेकर दस लाख रुपए के बीच में होती है। शुरुआती दौर में कीमत अधिक होने के बाद धीरे-धीरे नए आविष्कार होने की वजह से अब सरकार के द्वारा सब्सिडी के तहत ड्रोन किसानों को बिल्कुल मुफ्त भी उपलब्ध करवाया जा रहा है, क्योंकि अब एक दस लाख रुपए तक के ड्रोन को खरीदने के लिए सरकार के द्वारा 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।

कृषि क्षेत्र में ड्रोन इस्तेमाल करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान :-

उड्डयन मंत्रालय और कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई एक सयुंक्त एडवाइजरी के तहत खेती में काम आने वाले ड्रोन के इस्तेमाल से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि:-

  1. जिस क्षेत्र में आप कीटनाशक छिड़काव करना चाहते है, उस क्षेत्र को ड्रोन उड़ाने से पहले ही तय करके रखना होगा।
  2. ड्रोन के द्वारा कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए सरकार के द्वारा अनुमति प्राप्त कीटनाशी का ही इस्तेमाल करना होगा।
  3. ड्रोन उड़ाने से पहले आपको कीटनाशी छिड़काव के लिए दी जाने वाली स्पेशल ट्रेनिंग लेनी होगी, जिसे वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा डीडी किसान चैनल पर समय-समय पर प्रसारित किया जाता है।

आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को खेती में काम आने वाले ड्रोन से संबंधित संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी और Merikheti.com के द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल से होने वाले फायदे की यह जानकारी भविष्य में आप के लिए उपयोगी साबित होगी।

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