लोबिया की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

By: MeriKheti
Published on: 09-Jul-2023

खरीफ फसलों की बुवाई का समय चल रहा है। अब ऐसी स्थिति में लोबिया की खेती छोटे किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। यदि आप भी कम भूमि पर खेती-किसानी करते हैं, क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको लोबिया की खेती के बारे में बताएंगे। भारत में छोटे और लघु किसानों की तादात काफी ज्यादा है, जिनके पास काफी कम भूमि है। ऐसे कृषकों के लिए लोबिया की खेती काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। लोबिया एक दलहनी फसल की श्रेणी में आने वाली एक फसल है। इसकी खेती खरीफ एवं जायद, दोनों सीजनों में की जाती है। इसकी खेती करने से कृषकों को दो तरह के लाभ हो सकते हैं। एक तो किसान इसे सब्जी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं एवं दूसरा इसको पशुओं के चारे में उपयोग किया जा सकता है। लोबिया एक ऐसी फली होती है, जो कि तिलहन की श्रेणी के अंतर्गत आती है। इसे बोड़ा, चौला या चौरा के नाम से भी जाना जाता है। बतादें कि इसका पौधा सफेद रंग का काफी बड़ा होता है। लोबिया की फलियां पतली, लंबी होती हैं। इसे सब्जी बनाने के लिए या फिर पशुओं के चारे के लिए उपयोग किया जाता है।

लोबिया की खेती करने के लिए निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखा जाना बहुत जरुरी है

लोबिया की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मृदा

लोबिया की खेती करने के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है। बतादें, कि इसकी खेती करने लिए 24-27 डिग्री के मध्य के तापमान की आवश्यकता होती है। अत्यधिक कम तापमान होने के स्थिति में इसकी फसल चौपट हो सकती है। इस वजह से लोबिया की फसल को ज्यादा ठंड से बचाना चाहिए।

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लोबिया की खेती करने के लिए यदि मृदा की बात की जाए, तो इसे हर तरह की मिट्टी में उत्पादित किया जा सकता है। मगर एक बात का विशेष ख्याल रखें, कि इसके लिए छारीय मृदा बिल्कुल ठीक नहीं होती।

लोबिया की उन्नत प्रजतियाँ

दरअसल, लोबिया की विभिन्न उन्नत किस्में हैं, जो कि काफी अच्छी पैदावार देती हैं। जैसे कि - सी- 152, पूसा फाल्गुनी, अम्बा (वी- 16), स्वर्णा (वी- 38), जी सी- 3, पूसा सम्पदा (वी- 585) और श्रेष्ठा (वी- 37) आदि प्रमुख हैं।

लोबिया की बुवाई कब की जाती है

लोबिया की बुवाई के बारे में बात की जाए, तो बरसात के मौसम में जून माह के अंत व जुलाई की शुरुआत में इसकी बुवाई की जाती है। वहीं, इसे फरवरी से लेकर मार्च तक बोया जाता है।

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लोबिया की बुवाई हेतु बीज की मात्रा

लोबिया की बुवाई करने के दौरान बीज की मात्रा ज्यादा ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। इसकी बुवाई हेतु सामान्यत: 12-20 कि.ग्रा. बीज/हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है। इसकी बेल वाली किस्म के लिए बीज की मात्रा थोड़ी कम लगती है और मौसम के अनुरूप बीज की मात्रा का निर्धारण करना ज्यादा उचित होता है।

इस तरह करें लोबिया की बुवाई

लोबिया की बुवाई करते समय आपको यह ध्यान देने की जरूरत है, कि इसके बीज के मध्य का फासला सही होना चाहिए। जिससे कि जब इसका पौधा उगे, तो ठीक ढ़ंग से विकास कर सके। दरअसल, लोबिया की बुवाई के दौरान उसकी किस्म के मुताबिक दूरी तय की जाती है। जैसे कि - झाड़ीदार किस्मों के बीज के लिए एक लाइन से दूसरी लाइन का फासला 45-60 सेमी होना चाहिए। बीज से बीज का फासला 10 सेमी होना चाहिए। साथ ही, इसकी बेलदार प्रजातियों के लिए लाइन से लाइन का फासला 80-90 सेमी रखना सही होता है।

लोबिया की खेती में खाद कितनी मात्रा में देना चाहिए

जैसा कि हम जानते हैं, कि किसी भी फसल की खेती करने के लिए खाद की काफी आवश्यक होती है। इसी प्रकार लोबिया की खेती करने के लिए खाद आवश्यक है। लोबिया की फसल में इस प्रकार से खाद डालें। एक महीने पहले खेत में 20-25 टन गोबर अथवा कम्पोस्ट डालें, 20 किग्रा नाइट्रोजन, फास्फोरस 60 कि.ग्रा. और पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर के अनुरूप खेत में जुलाई के अंत में ही डाल दें। साथ ही, नाइट्रोजन की 20 कि.ग्रा. की मात्रा फसल में फूल आने के समय देनी चाहिए।

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लोबिया की सिंचाई

लोबिया की फसल को खरीफ के सीजन में पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस वजह से खरीफ के सीजन में उतना ही पानी देना चाहिए, जिससे कि मृदा में नमी बनी रहे। साथ ही, अगर हम गर्मी की फसल की बात करें, तो सामान्यतः किसी भी फसल में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। लोबिया की फसल में 5 से 6 पानी की आवश्यकता होती है।

लोबिया की कटाई कब की जाती है

लोबिया की हरी फलियों का अगर आप इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसकी फलियों को 45 से 90 दिन बाद तोड़ लेना चाहिए। यदि आपने लोबिया की चारे वाली फलियों की फसल की है, तो इसकी फलियों को सामान्य रूप से 40 से 45 दिन में तोड़ लेना चाहिए। साथ ही, यदि आप इसके दाने को अर्जित करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको 90 से 125 दिन के पश्चात ही फलियों को संपूर्ण तौर पर पकने की स्थिति में ही तोड़ना चाहिए।

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