राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

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महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी के मुख्य आतिथ्य में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का 19वां दीक्षांत समारोह संपन्न किया गया। इसके चलते उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति की एक अहम और महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के शताब्दी वर्ष में 19वां दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में हुआ है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक प्रमुख अतिथि थे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है, कि भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति प्रमुख भूमिका निभा रही है। डेयरी क्षेत्र में 70 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी महिलाओं की है। अत्यंत खुशी की बात है, कि आज डिग्री धारक विद्यार्थियों में एक-तिहाई से ज्यादा लड़कियां शम्मिलित हैं। स्वर्ण पदक हांसिल करने वाले विद्यार्थियों में भी 50 प्रतिशत लड़कियां ही हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने डेयरी क्षेत्र से संबंधित क्या कहा है ?

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी क्षेत्र का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने में अहम महत्व है। हमें यह सुनिश्चित करने की बेहद आवश्यकता है, कि इन महिलाओं के पास फैसला लेने एवं नेतृत्व प्रदान करने के लिए समान अधिकार और अवसर हों। इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास हेतु अधिक अवसर मुहैय्या कराने की जरूरत है। साथ ही, डेयरी फार्मिंग में महिलाओं को उद्यमी बनाने हेतु सुगमता से ऋण की सुविधा और बाजार पहुंच की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने पंजाब- हरियाणा के कृषकों ने हरित क्रांति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की सफलता में भी प्रमुख भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए किसानों का अभिनंदन किया है। उन्होंने कहा है, कि दूध व दूध से जुड़े उत्पाद सदैव ही भारतीय खान-पान एवं संस्कृति का अटूट भाग रहे हैं। मां के दूध के साथ गाय का दूध भी सेहत के लिए अमृत माना गया है।

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गाय के दूध को वेदों में अमृत के समान दर्जा दिया गया है

ऋग्वेद में कहा गया है, कि गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा अर्थात गोदुग्ध अमृत के समतुल्य है। जो रोगों से संरक्षण करता है। दूध को काफी पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल देवताओं का अभिषेक करने के लिए भी किया जाता है। आज भी भारत में बुजुर्गों द्वारा महिलाओं को ‘दूधो नहाओ-पूतो फलो’ का आशीर्वाद प्रदान किया जाता है। गाय व बाकी पशुधन भारतीय समाज-परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। भारतीय परंपरा में गाय समेत पशुधन को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। गाय के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम, शिवजी और नंदी की कहानियां भी हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं। कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन आजीविका या जीवनयापन का प्रमुख साधन हैं।

डेयरी उघोग ने भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की है

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी उद्योग भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गौरवान्वित करने वाली यह बात है, कि भारत विश्व का सर्वोच्च दूध उत्पादक देश है। भारत के वैश्विक दूध उत्पादन में तकरीबन 22 प्रतिशत भागीदारी है। डेयरी क्षेत्र का भारत की जीडीपी में तकरीबन 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। डेयरी उद्योग तकरीबन 8 करोड़ परिवारों को आय का जरिया बनता है। इस वजह से एनडीआरआई जैसे संस्थानों की भारत के समावेशी विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वर्ष 1923 में स्थापित एनडीआरआई द्वारा भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है। संस्थान के अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता और गुणवत्ता को सुधारने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने खुशी जाहिर की है, कि एनडीआरआई ने ज्यादा दूध देने वाली भैंसों और गायों के क्लोन से उत्पादन करने की तकनीक विकसित की गई है। इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में इजाफा किया जा सकेगा। किसानों की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी।

बढ़ती जनसँख्या से दूध की मांग में हुई वृद्धि

उन्होंने बताया है, कि भारत की बढ़ती जनसँख्या की वजह दूध से संबंधित उत्पादों की मांग बढ़ रही है। साथ ही, पशुओं के लिए बेहतरीन गुणवत्तावाले चारे का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में बदलाव व पशुओं की बीमारियां, इन समस्त परेशानियों से डेयरी क्षेत्र जूझ रहा है। दूध उत्पादन, डेयरी फार्मिंग को स्थिर बनाना हमारे समक्ष एक चुनौती है, जिसका निराकरण निकालकर भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार समेत समस्त स्टैकहोल्डर्स की है। हम सबकी जिम्मेदारी है, कि हम पशु-कल्याण को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण अनुकूल एवं जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियां अपनाकर डेयरी उद्योग का विकास करें। उन्होंने इस पर भी हर्ष व्यक्त किया है, कि एनडीआरआई डेयरी फार्मों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने हेतु बहुत सारी तकनीकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। साथ ही, बायोगैस उत्पादन जैसे क्लीन एनर्जी के स्रोतों पर भी जोर दे रहा है।

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को किया संबोधित

महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी का विद्यार्थियों से कहना है, कि आप जीवन के नए अध्याय की तरफ बढ़ रहे हैं। आप हमेशा नवीनतम जानकारियों और सीखने के लिए प्रयत्नशील रहें और जनकल्याण के लिए काम करें। आपमें से कुछ विद्यार्थी डेयरी उद्योग में रोजगार प्रदाता व उद्यमी अवश्य बनें। इस उद्योग में विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, आपको इन संभावनाओं का फायदा उठाना चाहिए। एनडीआरआई द्वारा देश के बहुत सारे हिस्सों में डेयरी क्षेत्र में उद्यमशीलता और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर कोशिशें की जा रही हैं। आशा है, कि आप इसका व सरकार की बाकी योजनाओं का फायदा लेते हुए उद्यमी के तौर पर आरंभ करेंगे और राष्ट्र की उन्नति में सर्वोच्च योगदान प्रदान करेंगे।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने क्या कहा है ?

केंद्रीय मंत्री तोमर का कहना है, कि एनडीआरआई देश का अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान है, जिसने 100 साल की गौरवशाली यात्रा संपन्न की है। भारतभर में कृषि विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा में आईसीएआर से सम्बद्ध एनडीआरआई ने निरंतर 5 सालों तक पहला स्थान प्राप्त किया। जो कि गौरव की बात है। उन्होंने कहा है, कि पशुपालन-डेयरी क्षेत्र में आज भारत जिस स्थिति में खड़ा है, उसमें वैज्ञानिकों का योगदान भी अविश्वसनीय और सराहनीय है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें कृषि क्षेत्र की कल्पना पशुपालन व मत्स्यपालन के बगैर करना मुमकिन नहीं है। विशेष तौर पर लघु व भूमिहीन किसानों की रोजी-रोटी तो पशुपालन पर भी निर्भर करती है।

पशुपालन का कृषि क्षेत्र में अहम योगदान रहा है

कृषि की जीडीपी में पशुपालन का उल्लेखनीय योगदान है। इस क्षेत्र की जो चुनौतियां है, उनका निराकरण करते हुए आगे चलते रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया है, कि भारत में वर्ष 2021-22 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन रही। वहीं, 2021 के समय वैश्विक औसत 394 ग्राम प्रतिदिन था। भारत में 2013-14 से 2021-22 के मध्य दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में तकरीबन 44% की बढ़ोत्तरी हुई है। तोमर का कहना है, कि किसी भी विद्यार्थी के लिए दीक्षांत समारोह उसके जीवन का अवस्मरणीय पल होता है। यह और भी गौरवमयी बात है, कि साथ में शताब्दी समारोह का भी शुभारंभ है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा गया है, कि वह भारत की बड़ी सेवा में लगने वाले हैं।

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