इस राज्य के कृषि विपणन बोर्ड का धनकोष हुआ रिक्त कर्ज चुकाना हुआ चुनौतीपूर्ण

By: MeriKheti
Published on: 26-Dec-2022

आर्थिक तंगी के समय में बोर्ड द्वारा लिए गए कर्ज का बेहद संग्रह हो रहा है एवं पंजाब राज्य के ग्रामीण इलाकों की प्रगति व उन्नति बाधित हो गयी है, साथ ही विकास कार्य भी काफी प्रभावित हो रहे हैं। पंजाब के कृषि विपणन बोर्ड का धनकोष भी रिक्त हो चुका है। स्थिति यहां तक खराब हो गयी है कि अब प्रदेश बैंकों द्वारा ग्रहण किए गए कर्ज की धनराशि को वापस करने हेतु असमर्थ दिखाई दे रहा है। खबरों के अनुसार, बोर्ड धनराशि न होने से आशंका में है, क्योंकि उसको 31 दिसंबर तक वित्तीय संस्थानों एवं बैंकों को 1,000 करोड़ रुपये का जो कर्ज लिया है, उसको वापस करने हेतु किस्त की धनराशि जमा करनी है। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, 3976 करोड़ रुपये का कर्ज भावी आय, विशेष तौर से ग्रामीण विकास निधि (RDF) को राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना हेतु गिरवी रखकर लिया गया था। जिसको 2018 में पूर्व की कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा आरंभ किया गया था। परंतु, बीते तीन खरीद सीजन – दो खरीफ (धान) एवं एक रबी (गेहूं) की खरीद केंद्र द्वारा केंद्र की तरफ से भारतीय खाद्य निगम (FCI) पर राज्य एजेंसियों ने खाद्यान्न खरीद पर अर्जित RDF की धनराशि वापिस नहीं की गयी है।

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भुगतान केंद्र सरकार द्वारा वहन नहीं किया जायेगा

हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्र पर राज्य का 3,050 करोड़ रुपये कर्ज शेष बचा हुआ है, जिसमें से लंबित आरडीएफ मुख्य भाग (2,872 करोड़ रुपये) है एवं बकाया मंडी शुल्क मद में शेष है। धान की खरीद (2021 और 2022) में न्यूनतम 1,100 करोड़ रुपये का आरडीएफ एवं गेहूं की खरीद (2022 में) का 650 करोड़ रुपये की धनराशि केंद्र के जरिये नहीं किया जाता है, इस वजह से राज्य सरकार हेतु काफी चुनौतीपूर्ण वित्तीय समस्या उत्पन्न हो जाती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में प्रदेश के ग्रामीण विकास बोर्ड के पदेन प्रमुख के तौर पर धनराशि का इस्तेमाल निर्धारित करता है, जिसमें विशेष तौर से राज्य के ग्रामीण इलाकों में विकास एवं कृषकों की उन्नति शम्मिलित है। यह इस धन के जरिये से राज्य के 66,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क संचार की देखभाल भी करता है, जो खाद्यान्न खरीद में अहम भूमिका निभाता है।

निरंतर स्मरण पत्र भेजने के उपरांत भी राज्य सरकार ने कोई पहल नहीं की

प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियम में संशोधन किया जाता है। हालांकि, बीते महीने पंजाब सरकार को भेजे गए एक पत्र में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने राज्य से वैधानिक शुल्क (आरडीएफ एवं अन्य संचय) को रोकने के लिए बोला था। बतादें, कि राज्य को इन शुल्कों का भुगतान करने की जांच पड़ताल की जा रही थी। केंद्र सरकार द्वारा निरंतर याद दिलाने के उपरांत भी मामलों में किसी भी प्रकार की कोई भी पहल नहीं की जा रही है।

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