फलों के प्रसंस्करण से चौगुनी आय | जैम बनाने के लिए - मेरी खेती

फलों के प्रसंस्करण से चौगुनी आय

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भारत विश्व में एकमात्र देश है जहां हर तरह की जलवायु पाई जाती है। यही कारण है कि यहां अधिकांश तरह के फल पाए जाते हैं। यह अलग बात है कि उनका उत्पादन चाहे कम मात्र में ही हो। फल उत्पादन में भी भारत अपना उच्च स्थान रखता है।अन्न एवं दलहनी फसलों के सापेक्ष फलों में 80 से 95 प्रतिशत तक जल होने के कारण और ढ़लाई के दौरान इनके खराब होने की संभावना बनी रहती है। कुल उत्पादन में से 30 से 40 प्रतिशत फल इसी लिए खराब हो जाते हैं। यदि तुड़ाई के बाद प्रसंस्करण करें तो इस क्षति से बचा जा सकता है। जैली, जैम, चटनी, मुरब्बा आदि बनाने को प्रसंस्करण कहा जाता है।

जैम एवं मुरब्बा बनाना

इन उत्पादों को बनाने के लिए इनमें चीनी की मात्रा 70 प्रतिशत के करीब रखी जाती है। चीनी के इतने  गाढ़े घोल में जीवाणु पैदा नहीं हो पाते। इससे उत्पाद में फल की वास्तविक सुगंध एवं स्वाद बना रहता है। जिन फलों में पैक्टिन कम मात्रा में हो उनका जैम बनाने के लिए उनके गूदे में बाजार से पैक्टिन पाउडर खरीदकर मिलाया जाता है।

जैम बनाना

जैम तकरीबन सभी प्रकार के फलों, गाजर एवं टमाटर से बनाया जा सकता है लेकिन अच्छा जैम पैक्टिन तत्व की अधिकता वाले फलों से ही बनता है। पैक्टिन तत्व जैम के जमने में सहायक होता है। जैम बनाने के लिए फल का पेस्ट अथवा चीनी को गाढ़ा होने तक पकाया जाता है।

फल एवं सब्जियों से जैम बनाने के लिए सामग्री

एक किलोग्राम आम से जैम बनाने के लिए 750 ग्राम चीनी, 50 एमएल पानी डेढ़ ग्राम सेट्रिक अम्ल एवं 10 ग्राम पेक्टिन की आवश्यक्ता होती है।

अमरूद में एक केजी फल, 750 ग्राम चीनी,150 एमएल पानी एवं ढ़ाई ग्राम सेट्रिक अम्ल डाला जाता है। सेब, पपीता, आडू, आलूबुखारा, आंवला, अनन्नास, नाशपाती, स्ट्राबेरी, एवं मिश्रित फलों का जैम बनाने के लिए उक्त चीजों का प्रयोग जरूरी अनुपात में किया जाता है। पपीते में सेट्रिक एसिड ज्यादा डाला जाता है लेकिन अनन्नास में इसे कम किया रखा जाता है क्योंकि इसकी मात्रा फल में पहले से मौजूद होती है।

जैम बनाने की विधि

अच्छे पके फल लेते हैं। इन्हें छील काटकर गुठली एवं गूदा अलग कर लेते हैं। इसके बाद छोटे टुकड़ों का कद्दूकस किया जाता है। थोड़ा सा पानी डालकर इसे पका लिया जाता है। इसके बाद इसका पेस्ट तैयार किया जाता है। तदोपरांत पेस्ट में चीनी डालकर इसके गाढ़ा होने तक पकाया जाता है। तदोपरांत थोड़े पानी में घोलकर सेट्रिक अम्ल मिलाया जाता है। इसके बाद इसे ठीक से मिलाकर जैम को पर्याप्त गाढ़ा होने तक पांच से 10 मिनट तक गर्म किया जाता है। जब गर्म जैम जमीन पर चादर की तरह बिछने लगे तो समझें तैयार हो गया है। इसके बाद इसे ठंडा होने दें। गर्म जैम को थोड़ा ठंडा होने पर बोतलों में भर दें।

मुरब्बा-केंडी बनाना

मुरब्बा एवं केंडी सेब, आम, आंवला, बेल, करोंदा, चेरी, गाजर, पेठा अदरक आदि सब्जियों से तैयार किया जा सकता है।
बनाने के लिए अच्छे फल का चयन करें। इसके बाद इन्हें काटकर गोदें। इसके बाद गर्म पानी या नमक के घोल में उपचारित करें। तदोपरांत फलों को चीनी की चासनी में हल्का पकाया जाता है। दूसरे तरीके में फलों को चीनी की परत के नीचे ढ़ककर पकाया जाता है। इसके बाद सेट्रिक अम्ल 0.1 से 0.5 प्रतिशत मिलाकर बर्तन में भर कर रखें।

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