राजस्थान सरकार ने किसानों को मुफ्त बिजली देने की योजना से विधानसभा को अवगत कराया - Meri Kheti

राजस्थान सरकार ने किसानों को मुफ्त बिजली देने की योजना से विधानसभा को अवगत कराया

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राजस्थान सरकार किसान हित में योजना लायी है जिसका नाम मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना है। इसके तहत किसानों को बिजली मुफ्त प्रदान करने की पहल है, जिससे राजस्थान के आधे से ज्यादा किसान लाभान्वित होंगे।

योजना के सन्दर्भ में राजस्थान राज्य के ऊर्जा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बताया कि प्रदेश के लगभग १२ लाख ७६ हजार किसानों को बिजली बिल में १,३२४ करोड़ रुपये की छूट दी है, जिससे किसानों को काफी राहत मिली है। साथ ही भाटी जी का कहना है कि योजना के परिणामस्वरूप, ७ लाख ४९ हजार किसानों का बिजली खर्च समाप्त हो गया है।

मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना राजस्थान के किसानों के लिए रामबाण का कार्य कर रही है। मुख्यतया इसका कारण राजस्थान के ज्यादातर इलाकों में जल की कमी है, जिसके चलते किसानों को विघुत संचालित साधनो का सहारा लेना ही पड़ता है, जो उनका काफी हद तक सिचाई खर्चा बढ़ने की मूल जड़ है। इन सभी समस्याओ को देखते हुए सरकार ने ये योजना बनायी, साथ ही पैदावार बढ़ाने और किसान की लागत कम करने का भी मुख्य उद्देश्य था। किसानों को हर महीने १००० रुपये की सब्सिडी मिलने से राजस्थान के किसानों में ख़ुशी की लहर है।

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घरेलू उपभोक्ताओं के लिए क्या है ?

भाटी जी ने ये भी कहा कि किसानो के साथ साथ घरेलू उपभोक्ताओं को भी काफी फायदा पहुँचाया गया है, जिसमे अगस्त २०२२ तक घरेलू उपभोक्ताओं को भी लगभग २ हजार १७४ करोड़ की सब्सिडी दी है, इससे अनुमानित १ करोड़ २० लाख घरेलू उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं। इनको हर महीने लगभग ७५० रुपए की सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही २ वर्ष में सभी कनेक्शन पूर्णतया जारी कर दिए जायँगे।

राजस्थान सरकार ने कितने विघुत सबस्टेशन खोले ?

राजस्थान सरकार ने कुछ विघुत सबस्टेशन जारी किये हैं, जिसमे ३३ केवी के ५५५, १३२ केवी के २३, २२० केवी के ५ और ४०० केवी का १ सम्मिलित हैं। साथ ही ७५० केवी का ग्रिड स्टेशन स्थापित करने की भी तैयारी है। कुसुम योजना के माध्यम से ४२ मेगावाट क्षमता के सेंटर स्थापित किये गए। भाटी जी ने कोयला से सम्बंधित कहा कि, कोयला पूर्णतया केंद्र सरकार के नियंत्रण में है जो की राज्यों के अनुरूप कोयला आवंटित करती है। फ़िलहाल राजस्थान सरकार के पास कोयला ख़त्म हो चुका है एवं अन्य आवंटित खानो को आंदोलन की वजह से बंद किया हुआ है, जिससे सरकार कोयले का उपयोग सुचारु रूप से नहीं कर पा रही।

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