सर्दियों में पालक की जबरदस्त मांग होती है, किसान इसकी उन्नत किस्मों का चयन करें

सर्दियों में पालक की जबरदस्त मांग होती है, किसान इसकी उन्नत किस्मों का चयन करें

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पालक की प्रमुख किस्मों में सम्पूर्ण हरा, पूसा हरित, पूसा ज्योति, जोबनेर ग्रीन एवं हिसार सेलेक्शन-23 सर्वाधिक उगाई जाने वाली प्रजाति होती हैं। आज हम आपको इन किस्मों के साथ-साथ इनकी ज्यादा मांग के विषय में जानकारी देंगे।

सर्दियों का आगमन होते ही सबसे ज्यादा जो चीजें खाई जाने वाली होती हैं, उनमें हरी सब्जियों का नाम सर्व प्रथम आता है। इनमें सोया-मेथी, पालक, बथुआ एवं सरसों का साग सबसे विशेष होता है। इन्हीं में से आज हम आपको पालक की कुछ प्रमुख किस्मों के विषय में बताने जा रहे हैं। दरअसल, किसान पालक की खेती इसकी अधिक मांग के चलते भी करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, पालक में सर्वाधिक आयरन की मात्रा होती है। जो हमारे स्वास्थ्य में हीमोग्लोबिन को संयमित करने में सहायता करती है। इसके चलते लोगों में इस सब्जी की सर्वाधिक मांग रहती है।

पालक की किस्म सम्पूर्ण हरा

पालक की इस प्रजाति के पौधे सामान्यतः हरे रंग के होते हैं। 5 से 20 दिन के समयांतराल पर इसकी पत्तियाँ मुलायम होकर कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। बतादें कि इसकी 6 से 7 बार कटाई की जा सकती है। पालक की यह प्रमुख किस्म ज्यादा उत्पादन देती है। ठंड के मौसम में तकरीबन ढाई माह उपरांत बीज और डंठल आते हैं।

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पालक की किस्म पूसा ज्योति

यह पालक की एक और उन्नत किस्म होती है, जिसकी पत्तियाँ हद से ज्यादा मुलायम और बिना रेशे वाली होती हैं। इस प्रजाति के पौधे काफी तेजी से बढ़ते हैं। साथ ही, पत्तियां कटाई के लिए भी तैयार हो जाती हैं, जिससे पैदावार भी ज्यादा होती है।

पालक की किस्म जोबनेर ग्रीन

जोबनेर ग्रीन प्रजाति की मुख्य विशेषता यह है, कि इसे अम्लीय मृदा में भी पैदा किया जा सकता है। पालक की इस किस्म की समस्त पत्तियाँ एक समान हरी, मोटी, मुलायम और रसदार होती हैं। इसकी पत्तियाँ पकाने पर बड़ी आसानी से गल जाती हैं।

पालक की किस्म पूसा हरित

पालक की यह शानदार किस्म पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त होती है। साथ ही, इसको यहाँ संपूर्ण वर्षभर उगाया जा सकता है। इसके पौधे ऊपर की तरफ बढ़ते हैं। साथ ही, पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है। इसके पत्ते आकार में भी काफी बड़े होते हैं। इस किस्म की विशेषता यह है, कि इसे विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। इसकी खेती अम्लीय मिट्टी में भी सुगमता से की जा सकती है।

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