अब बीमार पशुओं को लेकर नहीं जाना होगा अस्पताल, घर पर ही होगा इलाज

By: MeriKheti
Published on: 07-Apr-2023

केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के पशुपालकों और किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए राज्य में 'पशु उपचार पशुपालकों के द्वार' योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के चालू हो जाने से किसानों को बहुत सारी समस्याओं से छुटाकरा मिल जाएगा। अब किसानों को अपने पशुओं का इलाज करवाने के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में नहीं जाना होगा। इसकी जगह पर क्षेत्र के पशु चिकित्सक खुद घर आकर पशु का इलाज करेंगे। 'पशु उपचार पशुपालकों के द्वार' योजना का शुभारंभ फिलहाल उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में किया गया है। जहां इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए जिले के पशु चिकित्सकों को 5 मोबाइल वेटरनरी वैन दी गई हैं, साथ ही इन मोबाइल वेटरनरी वैन में पशु इलाज के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं एवं दवाइयां उपलब्ध करवाई गई हैं। यदि किसी किसान का कोई भी पशु बीमार होता है तो पशु चिकित्सक इन्हीं मोबाइल वेटरनरी वैन को लेकर पशुओं का इलाज करने के लिए जाएंगे। किसानों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करना होगा तथा पशु के रोग से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी बतानी होगी। जिसके कुछ ही देर बाद पशु चिकित्सकों की टीम मोबाइल वेटरनरी वैन के साथ किसान के घर पहुंच जाएगी और पशु का सम्पूर्ण इलाज करेगी। ये भी पढ़े: पशुओं में मुँहपका व खुरपका रोग के लक्षण व उपचार योजना की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि इस योजना में गाय भैंस के अलावा अन्य पालतू जानवरों को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही गाय और भैंस के इलाज के लिए 5 रुपये का पंजीकरण शुल्क देय होगा तथा कुत्ते और बिल्लियों के इलाज के लिए 10 रुपये का पंजीकरण शुल्क देय होगा। इलाज के दौरान चिकित्सकों द्वारा दी गई दवाइयां पूरी तरफ से मुफ़्त होंगी, उनका किसी भी प्रकार का चार्ज किसानों से नहीं वसूला जाएगा। इस प्रकार की योजना की शुरुआत पहले ही आंध्र प्रदेश में हो चुकी है। साल 2022 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने किसानों के घर पर पशुओं के इलाज की व्यवस्था करने की बात कही थी। जिसके तहत राज्य में 175 एंबुलेंस खरीदी गई थीं, जिसमें आंध्र प्रदेश की सरकार ने 143 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि खर्च की थी। इस तरह की योजना का आंध्र प्रदेश में सफल ट्रायल होने के बाद इसे अब उत्तर प्रदेश में भी लागू किया गया है।

श्रेणी