बौना धान: पंजाब पर चीन की टेढ़ी नजर, अब धान बना निशाना

By: MeriKheti
Published on: 07-Sep-2022

चीन की चालाकियां और बदमाशी थमने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना के बाद अब चीन एक बार फिर एक नए वायरस के कारण चर्चा में है, जिसकी वजह से पंजाब में धान की खेती को काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है. पंजाब में धान उत्पादक, विभिन्न क्षेत्रों से फसल में आ रही बौनी बीमारी से चिंतित हैं और उन पर इसका भारी असर पड़ रहा है. यह बीमारी साउथ राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (Southern Rice Black-Streaked Dwarf Virus (SRBSDV)के कारण हुई है, जो इस क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है. एक्सपर्ट्स के अनुसार यह वायरस भी चीन से आया है. यह वायरस इतना अधिक घातक है कि इसकी वजह से पंजाब के कई क्षेत्रों में हजारों हेक्टेयर में बोए गए धान के पौधे अविकसित रह गए हैं और उनमें बौनापन आ गया है. जाहिर है, इस वजह से इस खरीफ के सीजन में धान उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ेगा.

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पंजाब के कई इलाके प्रभावित

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू - Punjab Agricultural University - PAU) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए नवीनतम सर्वेक्षण ने भी पुष्टि की है कि लगभग पूरे राज्य में चावल और बासमती के खेतों में, विशेष रूप से पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, रोपड़, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट में धान के खेतों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. गौरतलब है कि 3,500 हेक्टेयर से अधिक खड़ी धान की फसल पहले ही आधिकारिक तौर पर साउथ राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) से प्रभावित हो चुकी है. लुधियाना में इस फसल सीजन में 2,58,600 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई थी, जोकि राज्य में अब तक का सबसे अधिक है. लेकिन लुधियाना में भी 3,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान में बौनेपन की बीमारी की सूचना मिली है, जो कुल क्षेत्रफल का 1.35 प्रतिशत है. यदि फसल उपज पैटर्न और मूल्य निर्धारण को ध्यान में रखा जाता है, तो अकेले लुधियाना जिले के किसानों को अब तक 51.35 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है क्योंकि कम से कम 2,51,720 क्विंटल धान की उपज पहले ही बीमारी की चपेट में आ चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2021-22 में, लुधियाना जिले में 7,192 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर धान की उपज दर्ज की गई थी और 2022-23 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.

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क्या कहते है एक्सपर्ट्स

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसल ने धान उत्पादकों से कहा है कि वे बौने रोग से न डरें, जो राज्य में पहली बार एसआरबीएसडीवी (SRBSDV) के कारण सामने आया है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एंटोमोलॉजिस्ट (entomologist) द्वारा किए गए नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, चावल और बासमती के खेतों में अविकसित पौधे देखे गए हैं. कुछ क्षेत्रों में इस रोग के गंभीर हमले के कारण कुछ पौधे मर चुके थे और कुछ सामान्य पौधों की तुलना में आधे से एक तिहाई ऊंचाई कद के थे. पीएयू के प्रिंसिपल एंटोमोलॉजिस्ट केएस सूरी ने कहा कि इन प्रभावित पौधों का अभी जड़ गहरा नहीं है और इन्हें आसानी से निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि बौना रोग 25 जून के बाद बोए गए धान की तुलना में उससे पहले रोपे गए धान में अधिक दिखा है.

भयभीत है किसान

जालंधर के एक किसान कहते हैं कि हम पहली बार ऐसी बीमारी देख रहे हैं. फसल के लिए एक महीने से भी कम समय है, लेकिन हमें अच्छी उपज की उम्मीद नहीं है, वहीं भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के नेता सतनाम सिंह साहनी ने कहा है कि हम पहले से ही अनुमान लगा सकते हैं कि बौने रोग के कारण कुल मिलाकर फसल की 10 प्रतिशत उपज नष्ट हो गई है. हालांकि, एक बार फसल चक्र पूरा होने के बाद यह नुकसान 15 से 20 प्रतिशत तक भी हो सकता है.

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