किसान शिवकुमार अपनी खेती में गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल करते हैं

किसान शिवकुमार अपनी खेती में खाद के रूप में गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल करते हैं

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किसान शिवकुमार ने अपने गांव में 5 बीघे जमीन पर लौकी और तोरई की खेती कर रखी है. उनका कहना है कि वे काफी सालों से सब्जी की खेती कर रहे हैं और खाद के रूप में सिर्फ गोबर और गोमूत्र का ही उपयोग करते हैं।

ज्यादातर किसानों का मानना है, कि रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर ही वह ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। यदि किसान भाई जैविक ढ़ंग से खेती करते हैं, तब भी वह बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें उर्वरक के तौर पर गोबर और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना पड़ेगा। अब ऐसे भी विश्व आहिस्ते-आहिस्ते ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है। जैविक विधि से पैदा किए गए फल और सब्जियों का भाव भी काफी ज्यादा होता है। विशेष बात यह है, कि जैविक विधि से खेती करने के लिए सरकार किसानों को अपने स्तर से प्रोत्साहित भी करती है। जानकारी के लिए बतादें, कि भारत में बहुत सारे किसान हैं, जो जैविक तरीके से सब्जियों की खेती कर बेहतरीन आमदनी कर रहे हैं।

किसान शिवकुमार कहाँ के रहने वाले हैं

भारत के ऐसे ही किसानों में से एक शिवकुमार हैं। यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मौजूद स्याना तहसील के निवासी हैं। शिवकुमार अपने गांव गिनौरा नंगली में विगत कई वर्षों से जैविक विधि से सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। वह लौकी एवं तोरई की फसल पैदा कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि शिवकुमार अपने खेत में खाद स्वरूप गाय के गोबर एवं गोमूत्र का उपयोग करते हैं। यह सब्जी विक्रय करने समेत गांव के लोगों को निः शुल्क हरी-हरी सब्जियां भी देते हैं।

किसान शिवकुमार ने इतने बीघे भूमि पर खेती कर रखी है

किसान शिवकुमार ने खुद के गांव में स्वयं की 5 बीघे भूमि पर लौकी और तोरई की खेती कर रखी है। उनका मानना है, कि वह काफी वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं और खाद के तौर पर केवल गोबर अथवा गोमूत्र का इस्तेमाल ही करते हैं। वह अपनी फसलों के ऊपर कभी भी कीटनाशकों एवं रासायनिक खादों का छिड़काव नहीं करते हैं। इसके चलते इनकी सब्जियां शीघ्रता से क्षतिग्रस्त नहीं होती हैं। साथ ही, स्वाद भी काफी उत्तम होता है।

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गोबर का उर्वरक स्वरूप उपयोग बढ़ाऐगा पैदावार

शिवकुमार के अनुसार, गाय के मूत्र एवं गोबर का उर्वरक के तौर पर उपयोग करने पर उत्पादन बढ़ जाता है। साथ ही, ऑर्गेनिक सब्जियों की बाजार में भी काफी ज्यादा मांग होती है। यदि किसान भाई जैविक विधि से सब्जी की खेती करते हैं, तो उनको कम खर्चा में ज्यादा मुनाफा मिलेगा। उन्होंने बताया है, कि तोरई और लौकी की बुवाई करने से पूर्व खेत में गड्डा खोद कर के गोबर और गोमूत्र से खाद निर्मित की जाती है। इसके बाद बीजों की बुवाई होती है। शिवकुमार ने कहा है, कि बीज अंकुरित हो जाने के पश्चात दो से तीन दिन के समयांतराल पर गोमूत्र से सिंचाई की जाती है। इससे पौधों पर कीटों का आक्रमण नहीं होता है। साथ ही, बेहतरीन उत्पादन भी प्राप्त होता है।

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