रीवा के सुंदरजा आम को मिला GI टैग, जो अपनी मिठास के लिए है विश्व प्रसिद्ध

By: MeriKheti
Published on: 30-Mar-2023

बतादें, कि मध्य प्रदेश के रीवा जनपद में सुंदरजा आम स्वयं की मिठास के लिए मशहूर है। सुंदरजा स्वाद के दीवाने पूरी दुनिया में हैं। रीवा जनपद में मौजूद गोविंदगढ़ के सुंदरवन में सुंदरजा आम का काफी बड़ा बगीचा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आम व चावल का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। मध्य प्रदेश के रीवा जनपद के सुंदरजा आम को जीआई टैग प्राप्त हुआ है। अब सुंदरजा आम को एक अलग प्रसिद्धी मिल गई है। इससे बाजार में इसकी मांग बढ़ जाएगी एवं किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। इसी प्रकार मुरैना की गजक समेत छत्तीसगढ़ के नगरी दुबराज चावल को भी जीआई टैग प्राप्त हुआ है। अब ऐसी स्थिति में किसानों को बाजार में बेहतर भाव हांसिल होने की आशा बढ़ गई है।

जीआई टैग GI tag किसको कहते हैं

किसान तक के अनुसार, जीआई टैग का पूर्ण नाम जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर है। इसको हिन्दी में भौगोलिक संकेत भी कहा जाता हैं। वास्तविकता में भारत में हर क्षेत्र में विभिन्न चीजों का उत्पादन किया जाता है। कुछ जनपद तो भारत में अपने उत्पाद के लिए प्रसिद्ध हैं। उस उत्पाद की वजह से ही उस जनपद की पहचान है। अब ऐसी स्थिति में उसे प्रमाणित करने की जो प्रक्रिया होती है उसे ही जीआई टैग कहा जाता है। ये भी पढ़े: किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग उदाहरण के तौर पर आपको बतादें, कि मुजफ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में प्रशिद्ध है। शाही लीची से ही मुजफ्फरपुर की पहचान होती है। इस लीची की खेती केवल यहीं पर होती है। साल 2018 में इसको भी जीआई टैग प्राप्त हुआ था। इसी प्रकार बिहार के मिथिला क्षेत्र में मखाने का उत्पादन होता है। यहां का मखाना दुनिया भर में मशहूर है। विगत वर्ष मखाने को भी जीआई टैग प्राप्त हुआ था। अब शाही लीची एवं मखाने की बिक्री पूरी दुनिया में जीआई टैग के साथ की जा रही है।

सुंदरजा आम सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है

मध्य प्रदेश के रीवा जनपद में सुंदरजा आम अपनी मिठास के लिए मशहूर है। इसके स्वाद के दीवाने पूरे विश्व में हैं। रीवा जिला में मौजूद गोविंदगढ़ के सुंदरवन में सुंदरजा आम का बहुत बड़ा बगीचा है। विशेषज्ञों के बताने के मुताबिक, सुंदर वन की वजह से ही इसका नाम सुंदरजा पड़ा। इस आम की विशेषता यह है, कि इसके अंदर रेसा नहीं होता है। देखने में भी यह अत्यंत आकर्षक लगता है। साथ ही, यह सेहत के लिए बेहद लाभकारी है। इतना ही नहीं इसका सेवन करने से शारीरिक उर्जा भी बढ़ती है। ये भी पढ़े: मल्लिका आम की विशेषताएं (Mallika Mango Information in Hindi)

कितने दिन में इसकी फसल पककर तैयार होती है

हालाँकि, पूरे भारत में गजक मिलती है। परंतु, मुरैना की गजक स्वाद के संबंध में अपने आप में खास होती है। इसकी डिमांड और बिक्री पूरे भारत में की जाती है। इसी के चलते पूरे मुरैना में गजक निर्मित की जाती है। बतादें कि मुरैना में लगभग एक हजार से ज्यादा छोटी- बड़ी गजक की दुकानें हैं। वर्तमान में जीआई टैग मिलने के उपरांत मुरैना की गजक एक ब्रांड बन गई है। इससे यहां के स्थानीय लोगों की आय में इजाफा हो सकता है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के धमतरी जनपद के नगरी दूबराज धान अपने आप में अलहदा है। इसकी सुगंध बाकी धानों से इसको भिन्न करती है। बाजार में इसका चावल काफी महंगा बिकता है। लोग इसका बड़े स्वाद से सेवन करते हैं। इसकी फसल 130 से 140 दिन के समयांतराल में तैयार हो जाती है।

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