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अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

किसानों के लिए खाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, जिसके बिना आज के आधुनिक युग में खेती कर पाना बहुत हद तक संभव नहीं है। इतने महत्वपूर्ण घटक होने के बावजूद कई बार देखा गया है, कि किसानों को खाद समय से नहीं मिल पाती। जिसके कारण किसानों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों को समय पर खाद उपलब्ध करवाने के लिए कमर कस ली है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है, कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण खाद मिले। ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न झेलनी पड़े, साथ ही किसानों को खाद की कमी से किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।

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किसानों को मिलेगा आसानी से खाद-बीज, रेट में भारी गिरावट इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बातचीत की है। जिसमें उन्होंने ट्रेन के माध्यम से खाद की ढुलाई का मुद्दा उठाया है। साथ ही खाद की ढुलाई में हो रही देरी की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताया है, कि वर्तमान में डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई में बंदरगाह से स्टेशन तक खाद की बोरियों को पहुंचाने में 8 से 10 दिन का समय लग जाता है। साथ ही कई स्टेशन ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने खाद की ढुलाई को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके कारण खाद की ढुलाई में अनावश्यक समय लगता है। इस वजह से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती और किसानों को बुवाई करते समय परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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किसानों को भरपूर डीएपी, यूरिया और एसएसपी खाद देने जा रही है ये सरकार इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खाद की ढुलाई में लगने वाले समय को कम करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में खाद को उपलब्ध करवाने में कम से कम समय लगे। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यहां 140 लाख हेक्टेयर जमीन में रबी की फसल बुवाई होती है। इसके साथ ही 26 लाख हेक्टेयर जमीन में गन्ने की फसल ली जाती है। फसलों को बिना खाद के उपजाना आसान नहीं है। इसलिए राज्य में खाद की भारी मांग रहती है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि उत्तर प्रदेश में खाद की सप्लाई समय पर सुनिश्चित करे, जिससे किसान आसानी से बुवाई कर पाएं।

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अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इस साल रबी की फसल के समय खाद की आपूर्ति बहुत ही धीमी गति से हो रही है। जिसके कारण रबी की फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है। उर्वरक आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने जानकारी दी कि भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों जैसे- कीनाडा, कृष्णापटनम, गंगावरम, विशाखापत्तनम और पारादीप में खाद के स्टॉक रखे हुए हैं। वहां से रेक उपलब्ध न हो पाने के कारण खाद की जल्द से जल्द आपूर्ति करने में देरी हो रही है। इन बंदरगाहों में 149,800 मिलियन टन खाद वितरण के लिए रखी गई थी। जिसमें से नवंबर तक मात्र 82,143 मिलियन टन खाद की आपूर्ति की जा सकी है। शेष खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द पूरी करवाने की कोशिश की जा रही है। सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग की है, कि दैनिक आधार पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को खाद के 10-12 रैक उपलब्ध कराएं जाएं। फिलहाल राज्य को प्रतिदिन 3 से 4 रेक ही उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उस खाद को सहकारी समितियों के माध्यम से जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। रेल मंत्री ने कहा है, कि अभी फिलहाल 25 से 30 रेक रास्ते में हैं जो जल्द ही अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे। खाद की मुख्य आपूर्तिकर्ता संस्था इफको(IFFCO) लगातार उत्तर प्रदेश के किसानों की मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही है।
नैनो डीएपी के व्यवसायिक प्रयोग को मंजूरी, जल्द मिलेगा लाभ

नैनो डीएपी के व्यवसायिक प्रयोग को मंजूरी, जल्द मिलेगा लाभ

खेती में उर्वरकों का इस्तेमाल बेहद बढ़ चुका है. जिस कम करने के लिए नैनो फर्टिलाइजर्स बनाये जा रहे हैं. कुछ समय पहले ही सरकार की तरफ से नैनो यूरिया को मंजूरी दी गयी थी. लेकिन अब इफको के नैनो डीएपी फर्टिलाइजर को अब कमर्शियल रिलीज के लिए मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले से डीएपी फर्टिलाइजर किसानों को ना सिर्फ कम कीमत में मिलेगा बल्कि हम मात्रा में फसल की पैदावार भी ज्यादा होगी. अब तक डीएपी की 50 किलो उर्वरक की बोरी की कीमत करब 4 हजार रुपये थी, जो सरकारी सब्सिडी लगने के बाद 13 सौ 50 रुएये में दी जा रही थी.  लेकिन सरकार के फैसले के बाद 50 किलो की बोरी को एक 5 सौ एमएल की बोतल में नैनो डीएपी लिक्विड फर्टिलाइजर के रूप में दिया जाएगी. इसकी कीमत सिर्फ 6 सौ रुपये होगी. हालांकि इस पूरे मामले में अभी सरकार की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसे व्यवसायिक इस्तेमाल को मंजूरी मिल चुकी है. जिस वजह से खेती और किसानी लागत को कम करने में काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा जो सब्सिडी सरकार की ओर से भुगतान की जाएगी, उसमें भी काफी कमी आएगी.

सरकार को सब्सिडी बचाने में मिलेगी मदद

किसानों के लिए कीमतों में इस्तेमाल में काफी सुविधाजंक साबित हो सकता है. जिससे सरकार को अच्छी खासी मात्रा में सब्सिडी बचाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा नैनो डीएपी को लिक्विड यूरिया भी कहा जाता है. जो आमतौर पर यूरिया से एकदम अलग और दानेदार होती है. इसे इफको और कोरोमंडल इंटरनेशन ने मिलकर बनाया है. ये भी देखें: जाने क्या है नैनो डीएपी फर्टिलाइजर और किन फसलों पर किया जा रहा है ट्रायल?

इन उर्वरकों पर भी ध्यान

नैनो डीएपी के बाद अब सरकार जल्फ़ इफको नैनो पोटाश, नैनो जिंक और नैनो कॉपर जैसे उर्वरकों पर भी ध्यान देगी. इतना ही नहीं वो जल्द ही इन उर्वरकों को लॉन्च भी कर सकती है. बता दें इफको ने साल 2021 जून के महीने में पारम्परिक यूरिया के ऑप्शन में नैनो यूरिया को लिक्विड रूप में लॉन्च किया था. इतना ही नहीं नैनो यूरिया का उत्पादन बढे, इसके लिए मैनुफेक्चरिंग प्लांट भी बनाए गये थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई देशों में नैनो यूरिया के सैम्पल भेज दिए हैं, जहां ब्राजील ने इफको नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइज को पास करके मंजूरी दे दी है.

होगी सरकार की बचत

खेती और किसानी में उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. जिसका असर मिट्टी की उर्वरता पर पड़ रहा है. इस तरह की समस्या से नैनो उर्वरक निपटने में मदद करेंगे. इससे उर्वरकों के आयात पर निर्भरता भी कम हो जाएगी और सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी नहीं पड़ेगा. नैनो यूरिया के इस्तेमाल की बात की जाए तो इसके फायदों के बारे में खुद उर्वरक मंत्री ने भी बताया था. उनके अनुसार किसानों को वाजिब दामों में उर्वरकों की उपलब्धता करवाई जाएगी. वहीं इफको द्वारा बनाया गया प्रोडक्ट सरकारी सब्सिडी के बिना भी कई गुना सस्ता है. इससे किसानों को बड़ी बचत होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इस राज्य में किसानों को घर बैठे अनुदानित दर पर बीज मुहैय्या कराए जाएंगे

इस राज्य में किसानों को घर बैठे अनुदानित दर पर बीज मुहैय्या कराए जाएंगे

खेती किसानी में बेहतर पैदावार जब ही प्राप्त हो सकती है, जब उर्वरक भूमि के साथ-साथ बेहतरीन गुणवत्ता के बीज भी होने चाहिए। बिहार सरकार फिलहाल उत्तम गुणवत्ता के बीजों को किसानों के घर तक पहुंचाएगी। बेहतरीन खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीजों का होना काफी आवश्यक होता है। किसान बीज प्राप्त करने के लिए बाजार एवं बीज केंद्रों के चक्कर काटते रहते हैं। उत्तम गुणवत्ता का बीज न मिलने की वजह से किसानों की फसल उतनी खास नहीं हो पाती है। किसानों के समक्ष चुनौती यह भी रहती है, कि बेहतरीन गुणवत्ता के बीजों की पहचान किस तरह की जाए। राज्य सरकार के स्तर से भी किस तरह अच्छे बीज प्राप्त हो सकें। किसान इसको लेकर भी मांग करते रहते हैं। फिलहाल, बिहार सरकार ने इसी दिशा में पहल की जा रही है। किसानों की काफी परेशानियां भी समाप्त कर दी है।

बिहार सरकार की तरफ से बीजों की होम डिलीवरी की सुविधा दी गई है

बिहार सरकार खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों के बीजों को अनुदान देकर मुहैय्या करा रही है। बीजों को किसानों के घर तक मुहैय्या कराने के लिए होम डिलीवरी की सुविधा भी दी गई है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि जो किसान घर पर बीज प्राप्त करना चाहते हैं। उनको एक अलग विकल्प भरना होगा। होम डिलीवरी हेतु उनसे अतिरिक्त धन भी लिया जाएगा। यह भी पढ़ें:
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बिहार सरकार द्वारा किया अपील की गई है

बिहार सरकार, कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर यह जानकारी प्रदान की है। बिहार सरकार की तरफ से बताया गया है, कि किसान भाइयों एवं बहनों, कृपया गौर करें! खरीफ मौसम, 2023 में विभिन्न फसलों के बीज की सब्सिड़ी दर पर उपलब्धता से जुड़ी सूचना। कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य बीज निगम के जरिए से खरीफ मौसम, 2023 की विभिन्न योजनाओं में खरीब फसलों के बीज अनुदानित दर पर वितरण करने की योेजना तैयार कर ली है।

किसान ऑनलाइन आवेदन यहां कर सकते हैं

इच्छुक किसान अनुदानित दर पर विभिन्न खरीफ फसलों के बीज प्राप्त करने के लिए DBT Portal (https://dbtagriculture.bihar.gov.in) / BRBN Portal (brbn.bihar.gov.in) के बीज अनुदान / आवेदन लिंक पर दिनांक 15 अप्रैल, 2023 से 30 मई, 2023 तक आवेदन किया जा सकता है। किसान सुविधानुसार   साइबर कैफ / वसुधा केंद्र / कॉमन सर्विस सेंटर अथवा स्वयं के Android Mobile के उपयोग से आवेदन किया जा सकता है।

बीज की डिलीवरी इस प्रकार से की जाएगी

किसानों का आवेदन संबंधित एग्रीकोऑर्डिनेटर को भेजा जाएगा। एग्री कोऑर्डिनेटर जिस स्थान पर बीज आवंटित करेगा, उस जगह की जानकारी किसान को दी जाएगी। किसान बीज विक्रेता को बीज वितरण के दौरान आधार कार्ड आधारित फिंगर प्रिंट अथवा आईरिस पहचान द्वारा आधार प्रमाणीकरण करवाकर एवं पंजीकृत मोबाइल नंबर साझा करना होगा। इसके उपरांत पंजीकृत नंबर पर ओटीपी आ जाएगा। उसको दर्ज करने के उपरांत अनुदान की धनराशि भी घट जाएगी एवं शेष धनराशि का भुगतान कर दें।
नैनो DAP किसान भाइयों के लिए अब 600 रुपए में उपलब्ध, जानें यह कैसे तैयार होता है

नैनो DAP किसान भाइयों के लिए अब 600 रुपए में उपलब्ध, जानें यह कैसे तैयार होता है

कृषकों के लिए एक खुशखबरी है। दरअसल, अब से भारत के समस्त किसानों को इफको की Nano DAP कम भाव पर मिलेगी। किसानों को अपनी फसलों से बेहतरीन पैदावार पाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों को करना होता है। उन्हीं में से एक खाद व उर्वरक देने का भी कार्य शम्मिलित है। फसलों के लिए डीएपी (DAP) खाद काफी ज्यादा लाभकारी माना जाता है। भारतीय बाजार में किसानों के बजट के अनुरूप ही DAP खाद मौजूद होती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दुनिया का पहला नैनो डीएपी तरल उर्वरक गृह एवं सहकारिता मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। केंद्रीय आवास और सहकारिता मंत्री ने नई दिल्ली में इफको (IFFCO) के मुख्यालय में इफको के नैनो डीएपी तरल (Nano Liquid DAP) उर्वरकों को राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया। एफसीओ के अंतर्गत इंगित इफको नैनो डीएपी तरल शीघ्र ही किसानों के लिए मौजूद होगा। अगर एक नजरिए से देखें तो यह पौधे के विकास के लिए एक प्रभावी समाधान है। खबरों के अनुसार, यह 'आत्मनिर्भर कृषि' के पारंपरिक डीएपी से सस्ता है। डीएपी का एक बैग 7350 है, जबकि नैनो डीएपी तरल की एक बोतल केवल 600 रुपये में उपलब्ध है।

जानें DAP का उपयोग और इसका उद्देश्य क्या है

यह इस्तेमाल करने के लिए जैविक तौर पर सुरक्षित है और इसका उद्देश्य मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण को कम करना है। इससे डीएपी आयात पर कमी आएगी। साथ ही, रसद और गोदामों से घर की लागत में काफी गिरावट देखने को मिलेगी। बतादें, कि तरल उर्वरक दुनिया के पहले नैनो डीएपी (Nano DAP), इफको द्वारा जारी किया गया था। नैनो डीएपी उर्वरक का उत्पादन गुजरात के कलोल, कांडा एवं ओडिशा के पारादीप में पहले ही चालू हो चुका है। इस साल नैनो डीएपी तरल की 5 करोड़ बोतलों का उत्पादन करने का लक्ष्य है, जो सामान्य डीएपी के 25 लाख टन के बराबर है। वित्त वर्ष 2025-26 तक यह उत्पादन 18 करोड़ होने की आशा है। ये भी पढ़े: दिन दूना रात चौगुना उत्पादन, किसानों को नैनो तकनीक से मिल रहा फायदा

नैनो DAP तरल नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है

नैनो डीएपी तरल नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। साथ ही, यह फास्फोरस व पौधों में नाइट्रोजन व फास्फोरस की कमी को दूर करने में सहायता करता है। नैनो डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) तरल भारतीय किसानों द्वारा विकसित एक उर्वरक है। उर्वरक नियंत्रण आदेश के मुताबिक, भारत की सर्वोच्च उर्वरक सहकारी समिति (इफको) को 2 मार्च, 2023 को अधिसूचित किया गया था। साथ ही, भारत में नैनो डीएपी तरल का उत्पादन करने के लिए इफको को एक राजपत्र अधिसूचना जारी की गई थी। यह जैविक तौर पर सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है। अपशिष्ट मुक्त साग की खेती के लिए उपयुक्त है। इससे भारत उर्वरकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर तीव्रता से निर्भर रहेगा। नैनो डीएपी उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा व जीवन दोनों को भी बढ़ाएगा। किसान की आमदनी और भूमि के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान होगा। ये भी पढ़े: ‘एक देश में एक फर्टिलाइजर’ लागू करने जा रही केंद्र सरकार

नैनो DAP कैसे निर्मित हुई है

नैनो DAP के मामले में इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने बताया है, कि "नैनो डीएपी को तरल पदार्थों के साथ निर्मित किया गया है। किसान समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के लिए पीएम मोदी का विजन किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं उन्हें बेहतर करने के उद्देश्य से लगातार कार्य कर रहा है। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी ने बताया है, कि नैनो डीएपी तरल पदार्थ फसलों के पोषण गुणों एवं उत्पादकता को बढ़ाने में काफी प्रभावी पाए गए हैं। इसका पर्यावरण पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है।
इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर योगेन्द्र कुमार को 17 August को हुए चुनाव में नवगठित-राष्ट्रीय स्तर की बहु राज्य बीज सहकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है। योगेंद्र कुमार को साकेत स्थित इफको के मुख्यालय में आयोजित बीज सहकारी समिति की पहली वार्षिक आम सभा के दौरान चुना गया था। कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव और एनसीडीसी के एमडी पंकज बंसल, योगेन्द्र कुमार के प्रस्तावक और अनुमोदक थे। इस चुनाव के लिए सहायक रजिस्ट्रार श्रीमती सुमन कुमारी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था। यह भी पढ़ें: इफको (IFFCO) कंपनी द्वारा निर्मित इस जैव उर्वरक से किसान फसल की गुणवत्ता व पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं सहकारी समितियाँ जो महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा हैं, उनमें इफको, कृभको, NAFED और दो सरकारी सहायता प्राप्त निकाय NDDB और NCDC शम्मिलित हैं। बोर्ड के सदस्यों में नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह, एनडीडीबी के अध्यक्ष और एमडी मीनेश शाह और एनसीडीसी के एमडी पंकज कुमार बंसल शामिल थे। इफको के चेयरमैन दिलीपभाई संघानी ने सोशल मीडिया के माध्यम से योगेंद्र कुमार को बधाई देते हुए लिखा, 'राष्ट्रीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।' यह भी पढ़ें: इफको बाजार का एसबीआई योनो कृषि ऐप के साथ समझौता दरअसल, जैसे ही योगेंद्र कुमार के चुनाव की खबर सामने आई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। सहकारी जगत के लोगों ने उन्हें बधाई देने में एक क्षण नहीं गंवाया। इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी से लेकर उर्वरक कंपनी के अन्य कनिष्ठ और वरिष्ठ कर्मचारियों और अन्य लोगों ने योगेंद्र कुमार को उनकी जीत पर बधाई दी। भूतपूर्व कृभको के महाप्रबंधक वी.के. तोमर बीज सहकारी समिति में अंशकालिक सीईओ के रूप में कार्यरत थे  ऐसा कहा जा रहा है, कि सीईओ की पूर्णकालिक नियुक्ति अतिशीघ्र ही की जाएगी। “हमें बीज सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए 2000 पैक्स से आवेदन प्राप्त हुआ है। इस मुद्दे को अगली बैठक में उठाया जाएगा” तोमर ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से कहा। योगेंद्र कुमार के पास सहकारी समितियों में विभिन्न पदों पर कार्य करने का 36 वर्षों से ज्यादा का समृद्ध अनुभव है। उन्होंने चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर से कृषि में स्नातक की डिग्री हांसिल की है। यह भी पढ़ें: इफको ने देश भर के किसानों के लिए एनपी उर्वरक की कीमत में कमी की वह अपनी गतिशीलता के लिए काफी जाने जाते हैं, जो उनके काम में भी साफ झलकता है। उन्होंने इफको के सागरिका उत्पाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अपनी यात्रा के दौरान, कुमार ने नीम के तेल और बहुत सारे बाकी उपयोगी नीम आधारित उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लक्ष्य से नीम के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बीज सहकारी समिति जो कि गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। साथ ही, रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी।
ड्रोन दीदी कविता ड्रोन की सहायता से शानदार उत्पादन हासिल कर रही है

ड्रोन दीदी कविता ड्रोन की सहायता से शानदार उत्पादन हासिल कर रही है

कविता ने इफको द्वारा ड्रोन प्रशिक्षण लेकर नैनो उर्वरकों का फसलों पर छिड़काव किया, जिससे आज उन्हें शानदार आय प्राप्त हो रही है। सरकार की तरफ से डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसका प्रभाव कृषि क्षेत्र में भी काफी गति से बढ़ता दिख रहा है। कृषि के कार्यों में अब ड्रोन की सहायता ली जा रही है। इससे लोगों को बेहद सहूलियत मिल रही है। सरकार की तरफ से ड्रोन दीदी योजना भी चालू की गई है। योजना के अंतर्गत महिलाएं ड्रोन पायलट बनकर नारी सशक्तिकरण को प्रोत्साहन दे रही हैं। आज हम ऐसी ही एक ड्रोन दीदी की कहानी और ड्रोन दीदी बनने के सफर के बारे में बताऐंगे।

ड्रोन दीदी पायलट कविता कहाँ की मूल निवासी हैं  

आज हम आपको कहानी बताऐंगे, कि हरियाणा के रोहतक की मूल निवासी ड्रोन दीदी पायलट कविता की। कविता ने भारतीय किसान उर्वरक सहकारी  इफको के माध्यम से ड्रोन प्रशिक्षण लेकर नैनो उर्वरकों का फसलों पर छिड़काव किया है। इससे आज उन्हें काफी शानदार आय अर्जित हो रही है। साथ ही, वह दूसरी महिलाओं के लिए भी एक मिसाल बनकर सामने आई हैं। कविता पोस्ट ग्रेजुएट हैं, परंतु वह बेरोजगार थीं। उन्हें किसी जरिए से जानकारी मिली कि इफको ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग करा रहा है, जिसके पश्चात उन्होंने इफको में संपर्क किया और 15 दिन की ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली।

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15 दिन में किया 90 एकड़ में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का छिड़काव

प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत कविता को ड्रोन और ई-रिक्शा नि:शुल्क मुहैय्या कराए गए, जिससे वह नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का स्प्रे कर रही हैं। उन्होंने केवल 15 दिनों में 90 एकड़ में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का छिड़काव किया है। इनमें गन्ना, सरसों और गेहूं की फसल शामिल हैं। इसके माध्यम से उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हो रही है। कविता बताती है, कि वह और उनका परिवार इसके माध्यम से मजबूत हुआ है, जिसके लिए वह इफको को धन्यवाद देती हैं।

केंद्र ने अब इफको नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी दी मंजूरी

केंद्र ने अब इफको नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी दी मंजूरी

इफको नैनो यूरिया के उपरांत इफको के दूसरे तरल उर्वरक इफको नैनो यूरिया प्लस को केंद्र सरकार ने तुरंत ही मंजूरी दी थी। 

वहीं, अब केंद्र ने इफको नैनो जिंक (तरल) और इफको नैनो कॉपर (तरल) को भी तीन साल के लिए अधिसूचित कर दिया है। 

नैनो यूरिया के ऊपर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) नैनो जिंक लिक्विड और नैनो कॉपर लिक्विड निर्मित करने की मंजूरी भी दे दी है। 

केंद्र ने यह स्वीकृति तीन वर्ष के लिए फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 के अंतर्गत दी है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए फसल पोषण पर दो और नैनो टेक्नोलॉजी आधारित नवीन उत्पाद शीघ्र ही बाजार में आ जाएंगे। 

हालांकि, इफको ने अभी तक इसकी बोतल के आकार, मूल्य, उत्पादन की जगह और वितरण का विवरण जारी नहीं किया है।

ज‍िंक और कॉपर क्यों आवश्यक है ?

जिंक और कॉपर माइक्रोन्यूटिएंट की श्रेणी में आने वाले उर्वरक हैं। मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रीएंट का असंतुलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में यह उर्वरक किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। 

जिंक और कॉपर पौधों की उन्नति और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। पौधों में ज‍िंक की कमी विश्व स्तर पर विशेष चिंताओं में से एक है। इसी तरह पौधों में कई एंजाइमी गतिविधियों और क्लोरोफिल और बीज उत्पादन के लिए कॉपर की जरूरत होती है।

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इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने एक ट्वीट कर इस बात की जानकारी साझा की है। इस अधिसूचना के पश्चात फिलहाल नैनो टैक्नोलॉजी पर आधारित इफको के चार तरल उर्वरक उत्पाद किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे।

इफको नैनो यूरिया के पश्चात इफको के दूसरे तरल उर्वरक इफको नैनो यूरिया प्लस को सरकार ने अधिसूचित किया था। अब इफको नैनो जिंक (तरल) और इफको नैनो कॉपर (तरल) को तीन साल के लिए अधिसूचित किया गया है। 

पौधों के विकास में काफी मदद मिलेगी

डॉ. अवस्थी ने अपने दिए गए एक बयान में कहा है, कि जिंक के अभाव की वजह से पौधों के विकास में गिरावट आती है। वहीं, कॉपर की कमी की वजह से पौधों में बीमारी लगने की संभावना काफी बढ़ जाती है। 

यह दो उत्पाद फसलों में जिंक और कॉपर की कमी को दूर कर सकते हैं। माइक्रो न्यूट्रीएंट की कमी कुपोषण का एक बड़ा कारण है। उन्होंने इन उर्वरकों के अधिसूचित होने को इफको की टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है।