राजस्थान सरकार ने खरीफ सीजन 2025 के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है। राज्य में भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसल नुकसान उठाने वाले किसानों के लिए कृषि आदान अनुदान (मुआवजा सहायता) के वितरण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस कदम से प्रदेश के लगभग 7 लाख 63 हजार किसानों को लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
सरकार द्वारा जारी निर्णय के अनुसार, 33 प्रतिशत से अधिक फसल नुकसान वाले 6 जिलों की 43 तहसीलों के 3,777 गांवों को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों में गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर किसानों को मुआवजा राशि वितरित की जाएगी। प्रभावित गांवों में झालावाड़ के 1,597 गांव, धौलपुर के 42, बूंदी के 534, भरतपुर के 349, डीग के 58 और टोंक के 1,197 गांव शामिल हैं। इन जिलों के लिए कृषि आदान अनुदान को स्वीकृति दे दी गई है। वहीं अन्य जिलों की फसल क्षति रिपोर्ट तैयार की जा रही है, रिपोर्ट प्राप्त होते ही उन जिलों के किसानों को भी राहत राशि जारी होगी।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि मुआवजा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी, ताकि उन्हें समय पर आर्थिक सहयोग मिल सके। यह पहल किसानों को वित्तीय सुरक्षा देने के साथ-साथ आगामी रबी सीजन की तैयारी में भी सहायता करेगी।
पंत कृषि भवन में कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अब तक ₹6,206 करोड़ किसानों को क्लेम के रूप में दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि प्राकृतिक आपदा या अन्य नुकसान की स्थिति में किसान को तुरंत राहत मिले।
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कृषि मंत्री ने बीमा कंपनियों को कहा कि क्लेम सेटलमेंट में आ रही सभी समस्याओं को जल्द दूर किया जाए। विशेषकर फसल कटाई के बाद (Post Harvest) होने वाले मामलों का निस्तारण तेजी से किया जाए। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी Crop Cutting Experiments को 100% ऑनलाइन किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने जिला अधिकारियों को समय पर प्रयोग पूरे करने और किसी भी लापरवाही से बचने का निर्देश दिया।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें अधिकारियों को फसल बीमा योजना की तकनीकी प्रक्रियाओं और फील्ड स्तर पर किसानों की समस्याओं के समाधान की विधियों की जानकारी दी जाएगी।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में डीएपी और यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सरकार, केंद्र के साथ समन्वय कर उर्वरकों की आपूर्ति को और मजबूत कर रही है। साथ ही कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए कड़ी निगरानी और बॉर्डर क्षेत्रों में चेकपोस्ट लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
शासन सचिव (कृषि एवं उद्यानिकी) राजन विशाल ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की स्थिति में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत किसान खरीफ में 2%, रबी में 1.5% और बागवानी फसलों में 5% प्रीमियम का भुगतान करते हैं। शेष प्रीमियम राज्य और केंद्र सरकार वहन करती हैं। बैठक में आयुक्त कृषि एवं उद्यानिकी चिन्मयी गोपाल, अतिरिक्त निदेशक कृषि (आदान) गोपाल लाल जाट, बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि और सभी विस्तार अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
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