दुम्बा बकरी का बाजार में शानदार भाव इसकी खूबसरती तथा चकली के भारी पन के अधार मिलता है। बतादें, कि दो माह के समयांतराल में ही दुम्बा के बच्चे की कीमत 30000 रुपए तक पहुँच जाती है।
बतादें, कि तीन चार महीने तक इसकी कीमत 70-75 हजार रुपए तक पहुँच जाती है। कृषकों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के अतिरिक्त पशुपालन भी एक शानदार विकल्प हो सकता है।
पशुपालन में अब तक गाय बकरी एवं सुअर पालन के बारे में आपने सामान्यतः सुना होगा। लेकिन, दुम्बा पशुपालन इन्ही में से एक अच्छा विकल्प है।
निश्चित तौर पर यह भी रोजगार का एक अच्छा विकल्प है। दुम्बा पालन की विशेष बात यह है, कि इसमें आमदनी काफी शानदार होती है।
दरअसल, बाजार में दुम्बा की मांग भी होती है। इसके साथ ही, यह शीघ्रता से तैयार भी हो जाता है। अपनी इन्हीं समस्त विशेषताओं की वजह यह पशुपालन के माध्यम से पैसे कमाने का अच्छा विकल्प हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद के किसान गुड्डू अंसारी विगत चार वर्षों से दुम्बा पालन कर रहे हैं। इससे वो हर एक वर्ष लाखों रुपए अर्जित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वो एक ऐसा रोजगार चाह रहे थे, जिसमें कम वक्त निवेश करना पड़े। साथ ही, शानदार मुनाफा प्राप्त हो इस वजह से उन्होंने दुम्बा पालन करने का निर्णय किया।
गुड्ड का कहना है, कि शुरुआत में उन्होंने पांच दुम्बा से अपना व्यवसाय शुरु किया, जिसमें चार मादा एवं एक नर को रखा। इसके पश्चात उन्होंने बीस और दुम्बा खरीदा।
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दुम्बा बकरी की एक प्रजाति जिनकी दुम चक्की की पाट की तरह गोल और भारी होती है। दुम्बा की इस खूबी की वजह से इसकी कीमत भी अच्छी रहती है। इसलिए लोग इसे बेहद पसंद करते हैं।
विशेष रूप से लोग नर को काफी ज्यादा पसंद करते हैं। साथ ही, इसके अतिरिक्त बच्चों को भी बेचते हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि एक बार में दुम्बा एक ही बच्चे को पैदा करती है।
बाजार मांग पर गुड्डू अंसारी उन्हें दुम्बा के बच्चे विक्रय करते हैं। दुम्बा सात माह से लगाकर 1 वर्ष के मध्य 9वें माह में बच्चा देती है। प्रारंभिक दो माह में ही बच्चा 25 – किलो का हो जाता है।
इसकी शानदार खूबसरती एवं चकली के भारी पन के अनुरूप भाव मिलता है। बतादें, कि दो माह में ही दुम्बा के बच्चे की कीमत 30000 तक पहुँच जाती है।
बतादें, कि तीन चार माह तक इसकी कीमत 70-75 हजार रुपए हो जाती है। दुम्बा के भाव नर अथवा मादा नहीं उसकी गुणवत्ता पर मिलते हैं। हालांकि, मादा दुम्बा का भाव अच्छा मिलता है, जो बच्चे दे सकती है। एक वर्ष के दुम्बे का वजन 100 किलोग्राम हो जाता है।
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गुड्डू अंसारी का कहना है, कि वो दुम्बा को भूस की सानी खिलाते तथा चने का दाना खाने के तौर पर देते हैं। सर्दी के मौसम में चने का दाना, जौ एवं बाजरा खिलाते हैं। इसके अतिरिक्त शर्दियों से बचाने के लिए सरसों तेल का इस्तेमाल किया जाता है।