खरीफ के मौसम में इन बाजरा किस्मों की खेती कर कमाएं शानदार मुनाफा

Published on: 02-May-2025
Updated on: 02-May-2025
Millet Cultivation Improved Varieties
फसल खाद्य फसल बाजरा

किसान भाइयों, विपरीत मौसम, कम वर्षा और न्यून उर्वरक उपयोग के बावजूद भी बाजरे की फसल अच्छा उत्पादन देती है। 

बाजरा गरीबों के लिए पोषण का एक प्रमुख स्रोत है, जिसमें प्रचुर मात्रा में ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं। 

बाजरे की खेती शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में मुख्य रूप से की जाती है और यह अनाज और चारे दोनों का प्रमुख स्रोत है। यह फसल लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है और इसकी खेती का समय भी केवल 2 से 3 महीने का होता है।

जहां वार्षिक वर्षा 500-600 मिमी होती है, वहां बाजरा की खेती अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, खासकर देश के पश्चिमी और उत्तरी शुष्क क्षेत्रों में। 

अगर आप सही किस्मों का चयन करें तो बाजरा खेती से अच्छी पैदावार और मुनाफा संभव है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख उच्च उपज देने वाली बाजरे की किस्मों के बारे में:

बाजरे की अधिक उपज देने वाली किस्में:

बाजरे की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का उपयोग करना बहुत आवश्यक है बाजरे की उन्नत किस्मे निम्नलिखित दी गयी हैं -

1. एचएचबी 67

एचएचबी 67 बाजरा की सबसे जल्दी पकने वाली और उच्च पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है। यह किस्म मात्र 62-65 दिनों में तैयार हो जाती है और पौधे की ऊंचाई 160-180 सेंटीमीटर तक होती है। इससे प्रति हेक्टेयर 22-22 क्विंटल दाने और अच्छा चारा उत्पादन भी होता है।

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 2. आरएचबी 121

राजस्थान में लोकप्रिय यह किस्म कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी है और 75-78 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी औसत दाना उपज 22-25 क्विंटल और चारे की उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

3. राज 171

मध्यप्रदेश में प्रमुख रूप से उगाई जाने वाली राज 171 किस्म 85 दिनों में पकती है। पौधों की ऊंचाई 170-200 सेंटीमीटर तक होती है और इससे 20-25 क्विंटल अनाज तथा 45-48 क्विंटल चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है।

4. पूसा 605

यह किस्म भी राजस्थान के किसानों द्वारा बहुत पसंद की जाती है। 75-80 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म की ऊंचाई 125-150 सेंटीमीटर होती है। इससे 15-20 क्विंटल दाना और 25 क्विंटल चारा प्रति हेक्टेयर मिलता है।

5. पूसा 23 (हाइब्रिड बाजरा)

पूसा 23 किस्म 85-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और यह विशेष रूप से जोगिया रोग के प्रतिरोध में श्रेष्ठ मानी जाती है। कम पानी की आवश्यकता और वर्षा आधारित खेती के लिए यह किस्म आदर्श है।

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बाजरा की खेती से जुड़े अतिरिक्त सुझाव

अगर आप कम समय में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो बाजरा की इन उन्नत किस्मों का चयन करें। बुवाई के समय उचित बीज उपचार करें और पोषक तत्वों का सही प्रबंधन करें ताकि उपज में वृद्धि हो सके। 

बाजार मांग के अनुसार यदि सही समय पर फसल कटाई की जाए तो बाजरा की कीमत भी अच्छी मिलती है। साथ ही, बाजरा जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है, जिससे जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग का लाभ उठाया जा सकता है।

जून-जुलाई के महीने में बाजरा की उपयुक्त किस्मों का चयन कर खेती करने से किसान भाइयों को कम लागत में अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती है। 

बाजरा पोषण से भरपूर और जलवायु सहनशील फसल है, इसलिए आने वाले समय में इसकी खेती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।


Q- 1: खरीफ के मौसम में बाजरे की खेती क्यों लाभकारी होती है?

उत्तर: खरीफ के मौसम में बाजरे की खेती इसलिए लाभकारी होती है क्योंकि यह कम वर्षा और न्यून उर्वरक की स्थिति में भी अच्छी उपज देती है। यह फसल 2-3 महीनों में तैयार हो जाती है।

Q 2: एचएचबी 67 बाजरा किस्म की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

उत्तर: एचएचबी 67 बाजरे की सबसे जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है, जो 62-65 दिनों में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 22 क्विंटल दाना व अच्छा चारा देती है।

Q 3: पूसा 23 बाजरा किस्म किस प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त है?

उत्तर: पूसा 23 किस्म वर्षा आधारित खेती और कम पानी की आवश्यकता वाली परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म जोगिया रोग के प्रति प्रतिरोधी है और 85-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

Q 4: बाजरे की खेती में मुनाफा कैसे बढ़ाया जा सकता है?

उत्तर: बाजरे की उन्नत किस्मों का चयन, बीज उपचार, पोषक तत्वों का संतुलित प्रबंधन और समय पर कटाई करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

Q 5: बाजरे की खेती के लिए कौन-से क्षेत्र सबसे उपयुक्त हैं?

उत्तर: पश्चिमी और उत्तरी भारत के शुष्क क्षेत्र, जहाँ वर्षा 500-600 मिमी होती है, बाजरे की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं।