लहसुन की टॉप 3 किस्में: रबी सीजन में लहसुन की खेती से किसानों को होगी लाखो की कमाई

Published on: 08-Dec-2025
Updated on: 08-Dec-2025

Garlic Varieties: जानें, लहसुन की ये टॉप 3 किस्मों की पूरी जानकारी

लहसुन एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। इसी वजह से किसान इसे “सफेद सोना” भी कहते हैं। देश के कई राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है। लहसुन की खास बात यह है कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे किसान बाजार के अनुसार इसे बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। यही कारण है कि आजकल किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में ज्यादा लाभ देने वाली लहसुन की उन्नत किस्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

लहसुन का उपयोग सिर्फ भोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आयुर्वेदिक दवाओं, घरेलू उपचार, मसाला उद्योग, प्रोसेसिंग यूनिट्स और निर्यात बाजार में भी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। बढ़ती मांग का सीधा फायदा उन किसानों को मिलता है जो अधिक उपज देने वाली और बाजार में लोकप्रिय किस्मों की खेती करते हैं। यदि आप भी रबी सीजन में लहसुन लगाने की सोच रहे हैं, तो यमुना सफेद-3 (G-282), एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) और ऊटी जैसी किस्में बेहतरीन विकल्प हैं, क्योंकि ये कम अवधि में ज्यादा उत्पादन देने के लिए प्रसिद्ध हैं।

1. यमुना सफेद-3 (G-282)

यमुना सफेद-3 एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है जिसकी देशभर में अच्छी मांग रहती है। इसके कंद बड़े, छिलका सफेद और बल्ब मजबूत होते हैं। प्रत्येक बल्ब में औसतन 15–16 कलियां मिलती हैं, जो इसे बाजार में आकर्षक बनाती हैं। व्यापारी और उपभोक्ता दोनों इस किस्म को अधिक पसंद करते हैं, जिससे किसानों को बढ़िया दाम मिलते हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • उपज: 175–200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • अवधि: 120–140 दिन
  • उपयुक्त क्षेत्र: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़

2. एग्रीफाउंड पार्वती (G-313)

देश में लहसुन की लगातार बढ़ती खपत को देखते हुए G-313 किसानों के लिए एक शानदार विकल्प है। इसका रंग हल्का गुलाबी होता है और हर बल्ब में 10–16 बड़ी कलियां पाई जाती हैं, जो इसे बाजार में प्रीमियम लुक देती हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • अवधि: 230–250 दिन
  • उपज: 200–225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • उपयुक्त क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड

3. ऊटी लहसुन

ऊटी लहसुन को बाजार में प्रीमियम क्वालिटी के रूप में जाना जाता है। इसके कंद बड़े और छीलने में आसान होते हैं, जिससे उपभोक्ता और व्यापारी इसे प्राथमिकता देते हैं। यह किस्म किसानों को बेहतर उत्पादन और उच्च बाजार मूल्य दोनों उपलब्ध कराती है।

मुख्य विशेषताएं:

  • कंद आकार: सामान्य देसी लहसुन से लगभग दोगुने
  • अवधि: 120–140 दिन
  • उपयुक्त क्षेत्र: मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात
  • उपयुक्त क्षेत्र: मालवा और राजस्थान क्षेत्र में इसकी हिस्सेदारी 80–90% तक

कितनी होगी कमाई?

यमुना सफेद-3 से किसान प्रति हेक्टेयर 175–200 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं। यदि बाजार भाव ₹3800 प्रति क्विंटल के आसपास रहता है, तो इस किस्म से लगभग ₹6,84,000 प्रति हेक्टेयर की कमाई संभव है। वहीं एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) और ऊटी लहसुन जैसी प्रीमियम किस्मों से भी किसान न्यूनतम बाजार मूल्य पर करीब ₹2,28,000 प्रति हेक्टेयर तक की अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

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