सूखाग्रस्त भूमि में भी किया उत्पादन, कमा रहा है लाखों का मुनाफा

Published on: 23-Nov-2022

महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जनपद निवासी किसान ने बड़ा कमाल किया है, क्योंकि उन्होंने सूखे खेत में भी सीताफल की खेती सफल तरीके से कर लाखों कमाएँ हैं। किसान १२ लाख रुपए का मुनाफा केवल आधा एकड़ भूमि से अर्जित कर लेता है। महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जनपद में पैठण तालुका कुछ क्षेत्रों के किसान पूर्व के कई दिनों से गीला सूखा तो कभी सूखे की मार से ग्रसित हो रहे थे, इस कारण से कृषकों को सिर्फ निराशा और हताशा हासिल हो रही थी। परंतु औरंगाबाद जनपद में धनगॉंव निवासी किसान संजय कांसे ने कठोर परिश्रम एवं द्रढ़ निश्चय से आधा एकड़ भूमि में सीताफल की खेती कर लाखों रूपये कमाए हैं और अब तक करीब उनके बगीचे में लगभग ११ टन सीताफल की बिक्री हो चुकी है।

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धनगांव निवासी संजय कांसे जी एक छोटे किसान हैं। पूर्व पारंपरिक फसल उगाने वाले संजय कांसे ने रचनात्मक सोच व कठोर परिश्रम से वर्ष २०१६ में उन्होंने अपने आधा एकड़ भूमि में सीताफल का उत्पादन किया। इसके साथ ही, अन्य क्षेत्रों में मोसंबी का रोपण किया गया है, जिसमें संजय कांसे ने सोलह बाई सोलह फुट पर ६०० पौधों की रोपाई की। उन्होंने इस दौरान सूखाग्रस्त जैसे संकटों का भी सामना किया। लेकिन उन्होंने इससे निपटने हेतु उचित मार्ग विकसित किया और बाग की साही योजना के अनुरूप भली भांति देख भाल की। अब उनकी अड़िग मेहनत और द्रण निश्चय के परिणामस्वरूप एक पेड़ करीब ३५ से ४० किलो फल प्रदान कर रहा है।
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संजय कांसे को फल का क्या भाव मिल रहा है

महाराष्ट्र का किसान संजय कांसे तीन वर्ष से अच्छी खासी पैदावार उठा रहा है। इस वर्ष उन्होंने आधा एकड़ भूमि में सीताफल की फसल उत्पादित की है, जो कि करीब 20 टन हुई है। पंद्रह दिन पूर्व संजय कांसे के पहले और दूसरे फल की छटाई हुई है। इसमें उन्हें ११० रुपये प्रति किलो के हिसाब से भाव प्राप्त हुआ है। संजय कांसे वार्षिक १२ लाख का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। अभी तक करीब ११ टन सीताफल की बिक्री हो चुकी है। साथ ही अन्य फलों का भी उत्पादन करीब ९ से १० टन तक होगा।

कितना आया लागत खर्च

बतादें कि कटाई के चौथे दिन संजय कांसे के खेत में सीताफल बिलकुल तैयार हो चुके थे। सीताफल करीब ५०० से ७०० ग्राम का रहता है। किसान ने इसकी खेती हेतु करीब ८० से ९० रुपये व्यय किये हैं। मिलीबग रोग के अतिरिक्त अन्य किसी कीटों का प्रकोप सीताफल पर नहीं होता है, यह इसकी मुख्य विशेषता है। लेकिन इस वर्ष जब अत्यधिक बारिश के कारण फलीय स्थिरता बेहद डगमगा गयी, परंतु कृषि के क्षेत्र में अच्छी जानकारी रखने वाले लोगों से जानकारी प्राप्त कर संजय कांसे ने सफलतापूर्वक खेती की।

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