तिल की खेती से बेहतरीन आमदनी के लिए इसमें लगने वाली बीमारियों को काबू करना बहुत आवश्यक होता है। जानें किस ढ़ंग से आप अपनी फसल का संरक्षण कर सकते हैं।
भारत में तिल की खेती बेहद दीर्घ काल से की जाती रही है। यह एक तिलहनी फसल की श्रेणी में आती है, जिसे खरीफ के सीजन में पैदा किया जाता है। तिल का इस्तेमाल विशेष रुप से तेल निकालने के लिए किया जाता है, जो खानें में काफी ज्यादा पौष्टिक माना जाता है। तिलहन के पौधे एक से डेढ़ मीटर तक लंबे होते हैं और इसके फूलों का का रंग सफेद एवं बैंगनी होता है। आज इस लेख में हम आपको इसकी खेती के अंतर्गत लगने वाले रोगों और उनसे संरक्षण के तरीकों के विषय में बताने जा रहे हैं।
तिलहन की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग कौन-कौन से हैं
तिल की फसल में लगने वाला गाल मक्खी रोग
यह एक कीट जनित रोग माना जाता है। इसके लगने से पौधे के तनों में सड़न होने लगती है। यह कीट इतना खतरनाक होता है, कि यह आहिस्ते-आहिस्ते संपूर्ण पेड़ को ही खा जाता है। इससे संरक्षण के लिए किसान भाई पेड़ पर मोनोक्रोटोफास का छिड़काव 15 से 20 दिन के अंतराल पर करते रहें।
ये भी पढ़े: तिल की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
तिल फसल में लगने वाला पत्ती छेदक रोग
यह रोग लगने से तिल के पौधे की पत्तियों में छेद होने शुरू हो जाते हैं। इन कीटों का संक्रमण काफी ज्यादा होता है। इनका रंग हरा होता है, इन कीटों के शरीर पर हल्की हरी और सफेद रंग की धारियां बनी होती हैं। यदि इनका प्रबंधन समुचित समय पर नहीं किया गया तो यह बहुत ही कम वक्त में पूरे तिल की फसल को चौपट कर सकते हैं। इन कीटों से संरक्षण के लिए आप पौधों पर मोनोक्रोटोफास की दवा का छिड़काव भी कर सकते हैं।
तिल की फसल में लगने वाला फिलोड़ी रोग
फिलोड़ी का रोग पौधे के फूलों पर लगता है। इससे तिल के फूलों का रंग पीला पड़ना शुरू हो जाता है और समय के साथ यह झड़ने शुरू हो जाते हैं। इससे संरक्षण हेतु पौधों पर मैटासिस्टाक्स का छिड़काव किया जाता है।
ये भी पढ़े: तिल की खेती कैसे की जाती है जाने इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी
तिल की फसल में लगने वाला फली छेदक रोग
इन कीटों की मादाएं अंडे पौधों के कोमल हिस्सों जैसे कि पत्तियों और फूलों पर देती हैं। यह भूरे, काले, पीले, हरे, गुलाबी, संतरी तथा काले रंग के पैटर्न में विभिन्न प्रकार के होते हैं। यह कीट कोमल पत्तियों, फूलों एवं इनकी फलियों को खा जाते हैं। इनके संरक्षण के लिए पौधों पर क्यूनालफॉस नामक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।