रेशम की खेती कर लातूर का यह किसान कमाता है सालाना 10 लाख रुपए

रेशम की खेती कर लातूर का यह किसान कमाता है सालाना 10 लाख रुपए

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अब वह समय नहीं रहा जबकि किसान सिर्फ पारंपरिक फसलें उगा कर ही अपनी जीविका चलाते थे. आज कल खेती में भी अलग-अलग तरह के प्रयोग हो रहे हैं और साथ ही किसान अलग-अलग  किस्म की फसलें उगा कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

रेशम का कीट पालन सेरीकल्चर के नाम से भी जाना जाता है. लोगों के बीच में रेशम बहुत ज्यादा चलन में हैं और इसे वस्त्रों की रानी के नाम से भी जाना जाता है. कई सालों से रेशम हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा रहा हैऔर आज भारत चीन के बाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश बन चुका है.

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हाल ही में लातूर से आई एक जानकारी से पता चला है कि वहां पर एक किसान रेशम की खेती करते हुए सालाना 10 लाख रुपए कमा रहा है. सिद्धेश्वर भगवान नाम के लातूर के एक किसान ने अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर यह खेती करना शुरू किया और अब वह सालाना लाखों कमा रहे हैं. इसके लिए रेशम के कीट को पालना पड़ता है.

हर 3 महीने में क्रॉप किया जाता है रेशम

सिद्धेश्वर भगवान ने आगे बताया कि उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन पर यह खेती शुरू की थी और रेशम को हर 3 महीने में क्रॉप करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि लगभग हर 3 महीने में उन्हें ढाई से ₹3 लाख की आमदनी हो जाती है. इस फसल पर आने वाली लागत लगभग ₹25000 पड़ती है. इस तरह साल खत्म होते-होते लागत आदि निकाल कर रहे सालाना ₹10 लाख कमा लेता है.

रेशम की खेती के लिए शहतूत का पेड़ है बहुत जरूरी

सिद्धेश्वर भगवान ने अपने डेढ़ एकड़ जमीन में शहतूत के बहुत से पेड़ लगाए हैं और उन्होंने जानकारी दी कि शहतूत  के पत्ते खाकर ही रेशम के कीट रेशम उत्पन्न करते हैं. जिस जाली में रेशम के कीट पालन गए हैं वहां पर शहतूत की पत्तियों बिखेर दी जाती हैं और यह रेशम कीट का पसंदीदा खाना. इन्हें खाकर वह अन्य भोजन के मुकाबले ज्यादा रेशम का उत्पादन करते हैं.

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