पांच गुना बजट, फिरभी बदहाल किसान

By: MeriKheti
Published on: 23-Mar-2020

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने पिछले दिनों पूसा कृषि विज्ञान मेला के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के चलते पांच साल में पांच गुना बजट किया जा चुका है लेकिन जानकारों की मानें तो किसानों की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है।मंत्री मंचों पर आंकड़ों की भाषा बोलते हैं लेकिन हकीकत में बदलाव न दिखने से धन के बंदरबांट की बू आती है। मंत्री ने कहा 2013-14 के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की औसत मासिक आय 6,426 रूपये थी, जबकि  वर्तमान में, 2016-17 के लिए उपलब्ध अंतिम सर्वेक्षण के अनुसार, यह  8,167 रूपये है। श्री चौधरी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य निश्चित रूप से हासिल किया जाएगा।"

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श्री चौधरी ने कहा कि 2014 से पहले, कृषि का बजट 25,000-30,000 करोड़ रुपये के बीच था, लेकिन अगले वित्त वर्ष में कृषि के लिए बजट 1,50,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्‍होंने कहा, "जो पहले किसानों को पांच साल में दिया जा रहा था, हमारी सरकार ने एक साल के बजट में उससे कहीं ज्यादा किया है।"

 

 किसान मेले के आयोजन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)  की सराहना करते हुए, नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने संतोष व्यक्त किया की तीन-दिवसीय मेले के दौरान बीजों की बिक्री 45 लाख रुपये से अधिक हुई। उन्होंने कहा की भारत अपनी उपज का 6-7 प्रतिशत निर्यात कर रहा है। 

उल्लेखनीय है कि सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी में माहिर रही हैं। अंध व्यक्तियों की संख्या का आंकड़ा कम करना हो तो उम्र के हिसाब से उसमें थोड़ा सा परिवर्तन करते ही सारे आंकड़े बदल जाते हैं। सरकार पांच गुना बजट बढ़ाने की बात कह रही है लेकिन उसके अनुरूप किसी भी क्षेत्र में किसानों की माली हालत में इजाफा नहीं दिख रहा है।

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