सब्जियों की बढ़ती कीमतों के साथ साथ अब दूध भी बिगड़ेगा रसोई का बजट

सब्जियों की बढ़ती कीमतों के साथ साथ अब दूध भी बिगड़ेगा रसोई का बजट

0

तकरीबन प्रति वर्ष दूध की कीमतों में इजाफा होता है। विशेष कर विशेष 12 साल में दूध के दाम 57 प्रतिशत बढ़े हैं। परंतु, कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी साल 2022 के दौरान हुई है।

सब्जियों के साथ साथ दूध के बढ़ते दाम

महंगाई का भार आम आदमी के ऊपर से कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। बतादें, कि हरी सब्जी, दाल, चावल एवं मसालों के उपरांत फिलहाल दूध भी रसोई का बजट खराब करने वाला है। एक अगस्त से कर्नाटक में लोगों के लिए दूध खरीदना काफी महंगा हो जाएगा। कर्नाटक सरकार ने नंदिनी दूध की कीमत में 3 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इजाफा करने का निर्णय लिया है। मुख्य बात यह है, कि बढ़ी हुईं कीमतें 1 अगस्त से लागू की जाऐंगी। हालांकि, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) ने भी दूध के दाम बढ़ाने को लेकर सरकार से मांग की थी। उसने कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ोतरी करने की मांग की थी।

कर्नाटक में अन्य राज्यों के मुकाबले दूध का रेट सस्ता है

दूध में बढ़ोत्तरी के बाद भी कर्नाटक में अन्य राज्यों की तुलना में दूध का भाव सस्ता ही रहेगा। बतादें, कि कर्नाटक में दूध की शुरूआती कीमत 39 रुपए प्रति लीटर है। वहीं, आंध्र प्रदेश में दूध 56 रुपये लीटर बिकता है। इसी तरह से तमिलनाडु में 44 रुपये तो केरल में की स्टार्टिंग कीमत 50 रुपये लीटर है। लेकिन, दिल्ली, गुजरात एवं महाराष्ट्र में टोंड दूध 54 रुपये प्रति लीटर पर बिकता है।

ये भी पढ़ें: काऊ मिल्क प्लांट करोड़ों के खर्च से तैयार खड़े होने के बावजूद भी किसान दूध बेचने को परेशान

विगत वर्ष प्रतिदिन 94 लाख लीटर दूध खरीदा जाता था

खबरों के अनुसार नंदिनी दूध की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव दूसरे ब्रांडों पर भी पड़ सकता है। देखा-देखी दूसरे राज्य में दूसरी डेयरी कंपनियां भी दूध की कीमतों में वृद्धि कर सकती हैं। इससे इस महंगाई में जनता का बजट और डगमगा जाएगा। हालांकि, केएमएफ अधिकारियों ने बताया है कि दूध की खरीद में पिछले साल की तुलना में भारी गिरावट दर्ज की गई है। विगत वर्ष प्रति दिन 94 लाख लीटर दूध खरीदा जाता था, जो अब घटकर 86 लाख लीटर पर पहुंच चुका है। उनका कहना है, कि किसान अत्यधिक कीमत मिलने के चलते निजी कंपनियों के हाथों दूध बेच रहे हैं। इससे दूध की किल्लत हो गई है। यही वजह है, कि दूध की कीमतों में वृद्धि करने का फैसला लिया गया।

कंपनियां भी कीमतों में इजाफा कर रही हैं

केएमएफ के अधिकारियों की चाहे जो भी दलीले हों, परंतु उत्तर भारत में भी आने वाले दिनों में दूध की कीमतों में 3 रुपये लीटर के अनुरूप इजाफा हो सकता है। क्योंकि, उत्तर भारत में चारे के साथ-साथ पशु आहार भी 25% तक महंगे हो गए हैं। इसका प्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव दूध के उत्पादन पर पड़ रहा है। अब किसानों को दुधारू पशुओं के चारे पर अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। अब ऐसी स्थिति में वे लागत निकाल कर डेयरी कंपनियों को महंगे भाव पर दूध बेच रहे हैं। यही वजह है, कि महंगी खरीद होने की वजह से डेयरी कंपनियां भी कीमतों में इजाफा कर सकती हैं।

किचन का बजट काफी प्रभावित होगा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि लगभग प्रतिवर्ष दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। विशेष कर पिछले 12 साल में दूध के भाव 57 प्रतिशत बढ़े हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा पिछले साल कीमतों में वृद्धि हुई है। साल 2022 में दूध की कीमतों में उछाल आने से 10 रुपये तक महंगा हो गया। इसके अलावा इस साल भी फरवरी माह में दूध की कीमतों में 3 रुपये का इजाफा हुआ। ऐसी स्थिति में लोगों को काफी डर सता रहा है, कि नंदिनी को देखकर कहीं बाकी कंपनियां भी दूध का रेट न बढ़ा दे। अगर ऐसा होता है, तो इस महंगाई में किचन का बजट बहुत ही ज्यादा डगमगा जाएगा।

दूध इस वजह से भी महंगा हो सकता है

आजकल पंजाब व हरियाणा समेत बहुत सारे राज्यों में बाढ़ की वजह से धान की फसल चौपट हो गई है, जिसका प्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव आने वाले महीनों में चारे पर पड़ेगा। इसकी वजह यह है, कि धान की पराली का सबसे ज्यादा उपयोग चारे में तौर पर किया जाता है। साथ ही, दक्षिण भारत में औसत से काफी कम बारिश हुई है, जिससे धान के क्षेत्रफल में कमी आने की संभावना है। इसका प्रभाव भी मवेशियों के चारे पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में चारा हद से ज्यादा महंगा होने पर दूध की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिलेगी है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More