नीति आयोग का मास्टर प्लान, गौशालाओं की होगी मदद, आवारा पशुओं से मिलेगा छुटकारा

नीति आयोग का मास्टर प्लान, गौशालाओं की होगी मदद, आवारा पशुओं से मिलेगा छुटकारा

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देश में गौशालाओं को बनाने के लिए लोगों को हर तरह से जागरूक किया जा रहा है. बढ़ती जागरूकता को देखते हुए, नीति आयोग ने गौशालाओं की मदद के लिए मास्टर प्लान बना लिया है. बताया जा रहा है कि, इसका सीधा फायदा हमारे किसान भाइयों के साथ साथ खेती बाड़ी को भी होगा. जिससे स्वभाविक रूप से आवारा पशुओं से लोगों को छुटकारा मिल सकेगा. साथ ही उनसे होने वाली दिक्कतें भी कादी हद तक दूर हो जाएंगी.

जब से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, तभी से पूरे देश में गौशालाओं की स्थापना को लेकर काफी जागरूकता बढ़ गयी है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक आवारा पशुओं के साथ साथ आवारा गायों में भी लोगों को खूब परेशान कर दिया है. जहां एक तरफ इनकी वजह से खेत खलियानों में दिक्कते बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ चाहे गांव हो या शहर, हर जगह गौशालाओं का भी निर्माण किया जा रहा है. जिसे देखते हुए नीति आयोग ने एक ओस मास्टर प्लान तैयार किया है, जिससे वो एक तीर से एक नहीं बल्कि दो-दो निशाने लगाएगी. इस मास्टर प्लान के तहत देशभर में बनी गौशालाओं की स्थिति और सूरत तो सुधरेगी ही, साथ ही वो न्य बिजनेस भी कर आसानी से पाएंगी.

  • गौशालाओं को वित्तीय मदद देने की सिफारिश

नीति आयोग के सदस्य पड़ पर कार्यरत रमेश चंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गयी. जिसमें गौशालाओं को वित्तीय मदद देने की सिफारिश की गयी है. इसके अलावा उन्हें नये बिजनेस का भी आइडिया दिया गया है. जिसके तहत गाय का गोबर और गोमूत्र से बनी चीजों की मार्केटिंग कर सकें. हालांकि इन सभी चीजों का इस्तेमाल कृषि सेक्टर में खूब किया जाता है.

  • ऑनलाइन होगा गौशालाओं का रजिस्ट्रेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समिति का एक और प्रस्ताव भी है. जिसमें सभी गौशालाओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की बात कही गयी. इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जाना चहिये. इस पोर्टल को नीति आयोग के दर्पण पोर्टल की तरह बनाने का सुझाव दिया गया है. जो पशु कल्याण बोर्ड सहायता हासिल करने के लायक बनाया जाएगा.

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  • आवारा पशु नहीं बनेंगे परेशानी का सबब

इतना ही नहीं समिति ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की है. जिसके मुताबिक गौशालाओं को आर्थिक मदद देने की बात कही गयी है. जिससे लोगों को आवारा पशुओं की वजह से होने वाली परेशानियों का समाधान मिल सकेगा. समिति का कहना है कि, गौशालाओं को जो भी मदद दी जाएगी, उसको गायों की कुल संख्या से जोड़ना चाहिए. इसके अलावा आवारा और बिमारी से बचाई गयी गायों की स्थिति में सुधार किया जा सके.

  • रियायती ब्याज पर मिल सकता है फाइनेंस

समिति के मुताबिक गौशालाएं आर्थिक रूप से सक्षम बनें. इसके लिए उन्हें वित्तीय मदद मिलनी चाहिए. जिससे उन्हें अपना बिजनेस चलाने और क्यादा मुनाफा कमाने में मिलने वाले अंतर के बराबर आर्थिक मदद को विअबले गैप फंडिंग के रूप में दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही गौशालाएं जो भी पूंजी निवेश करें, उसके लिए और वर्किंग कैपिटल के लिए रियायती ड्रोन पर फाइनेंस किया जाना चाहिए.

ये बिजनेस कर सकती हैं गौशालाएं

  • गौशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए, उनकी पूंजीगत तरीके से मदद की जानी चाहिए.
  • पूंजीगत तरीके से हुई मदद से गौशालाएं गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादकों की मार्केटिंग आसानी से कर सकेंगी.
  • गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादकों का इस्तेमाल जैविक कृषि को आगे बढ़ाने में काफी हद तक कारगार हो सकता है.
  • नीति आयोग के मास्टर प्लान से गौशालाओं को गोबर और गोमूत्र से बनी चीजों के प्रोडक्शन और पैकेजिंग के साथ साथ मार्केटिंग और वितरण करने में मदद मिल सकती है.
  • अगर प्राइवेट सेक्टर मरीं निवेश किया जाएगा तो, जैविक उर्वरक का ज्यादा और भारी पैमाने पर उत्पादन हो सकेगा.

प्रोडक्शन एंड प्रमोशन ऑफ ऑर्गेनिक एंड बायो फर्टिलाइजर्स विथ स्पेशल फोकस ऑन इंप्रूविंग इकोनॉमिक वायबिलिटी ऑफ गौशाला की रिपोर्ट में समिति की ओर से ये सभी सुझाव दिए गये हैं.

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