जानें कैसे किसान रोमन लेट्यूस की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

जानें कैसे किसान रोमन लेट्यूस की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

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आज हम आपको एक ऐसी सब्जी के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिसकी बड़े शहरों के समीप खेती करके मोटा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है। वह इसलिए क्योंकि स्टार होटलों से लगाकर फूड पॉइंट कैफे के साथ अमीर लोगों के घरों में इसकी सबसे अधिक मांग रहती है।

जानकारी के लिए बतादें, कि यदि आप बर्गर खाने का शौक रखते हैं, तो आप इस पत्तेदार सब्जी से अवश्य परिचित होंगे। बतादें, कि इसकी कोई सब्जी नहीं बनती है। परंतु, इसके बाद भी बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग होती है। केवल भारतीय बाजार में ही नहीं बल्कि, विदेशी बाजार में भी लेट्यूस की सबसे ज्यादा मांग है। यह बर्गर, रोल एवं रैप्स में सबसे अधिक उपयोग होता है। फिलहाल, भारत में भी किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं एवं बेहतरीन मुनाफा उठा रहे हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में इस पत्तेदार सब्जी की खेती करने वाले किसान फिलहाल लाखों में खेल रहे हैं। अब चलिए आपको बताऐंगे कि आप भारत में इसकी खेती किस प्रकार कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि इसमें विघमान प्रोटीन एवं अमीनो एसिड की भांति पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद होते हैं।

रोमन लेट्यूस की खेती

आपको बतादें, कि भारत के अंदर रोमन लेट्यूस की खेती में बड़ी आसानी से की जा सकती है। यह हरे रंग की पत्तेदार सब्जी सूरजमुखी परिवार की सदस्य है, जिसे उगाना काफी सहज है। भारतीय किसान इसे परंपरागत खेती अथवा हाइड्रोपॉनिक्स में उत्पादित करके मोटा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है, कि रोमन लेट्यूस की खेती वर्षभर में कई बार की जा सकती है।

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बतादें, कि इस सब्जी के लिए धूप एवं पानी से भरपूर ठंडा वातावरण सर्वाधिक अच्छा रहता है। वहीं, मांग के अनुसार पॉलीहाउस अथवा ग्रीनहाउस के अंतर्गत भी रोमन लेट्यूस को बड़ी आसानी से उत्पादित किया जा सकता है। दरअसल, इस सब्जी की सीधे बिजाई नहीं की जाती है। इसे नर्सरी में तैयार करके खेत की मेड़ों पर रोपा जाता है। जानकारी के लिए बतादें, कि इसकी खेती के लिए बलुई मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। लेट्यूस की खेती के लिये जल और धूप की आवश्यकता पड़ती है।

रोमन लेट्यूस की खेती में सिंचाई कब करें

रोमन लेट्यूस की खेत में बिजाई के उपरांत शाम के वक्त सिंचाई का काम कर देना सही होता है। इसकी खेती के दौरान समय-समय पर मृदा में निराई-गुड़ाई करने से पत्तेदार सब्जी का उत्पादन बढ़ जाता है। रोमन लेट्यूस एक पत्तेदार फसल होने की वजह से बीमारियां, गलन और कीड़े की संभावना सदैव बनी रहती है। इस वजह से इसे बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह फसल 7 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है। इस वजह से इसको वक्त रहते काट लेना चाहिए।

रोमन लेट्यूस की खेती से किसान कितनी आमदनी कर सकते हैं

मुख्य रूप से बड़े-बड़े शहरों के आसपास रोमन लेट्यूस की खेती करना मुनाफे का अच्छा माध्यम हो सकता है। प्रत्येक स्टार होटलों से लेकर फूड पॉइंट कैफे एवं अमीर लोगों के घर इसकी मांग सबसे अधिक होती है। आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा कि एक हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती से 40 दिनों के भीतर 120 क्विंटल सब्जी की उपज हो सकती है, इसे बाजार में 80-120 रूपये किलो के भाव पर बेचा जाता है. रोमन लेट्यूस के फायदों को देखते हुए कई देश बड़े पैमाने पर अब इसकी खेती में लग गए हैं और हर साल करोड़ों टन की उपज कर रहे हैं।

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