सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर केसर का उत्पादन शुरू किया, वेतन से कई गुना ज्यादा कमा रहा मुनाफा

सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर केसर का उत्पादन शुरू किया, वेतन से कई गुना ज्यादा कमा रहा मुनाफा

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भारत में केसर की खेती कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सर्वाधिक स्तर पर होती है। बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा है। अब तक एक किलो केसर की मूल्य 3 लाख रुपये है।

केसर का नाम कान में पड़ते ही दिमाग में सर्व प्रथम कश्मीर का नाम आता है। लोगों का यह मानना है, कि भारत के अंदर केवल कश्मीर जैसे सर्द मौसम वाले क्षेत्रों में ही केसर का उत्पादन किया जाता है। परंतु, यह बातें अब काफी पुरानी हो चुकी हैं। फिलहाल, आधुनिक तकनीक के माध्यम से लोग गर्म राज्यों में भी केसर का उत्पादन कर रहे हैं। इससे किसान भाइयों की अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। आज हम एक ऐसे ही किसान के विषय में चर्चा करने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर केसर की खेती चालू की है। किसान ने इसमें काफी सफलता भी अर्जित की है।

शैलेश मोदक कहाँ के रहने वाले हैं

द इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की खबरों के अनुसार, पुणे जनपद निवासी शैलेश मोदक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्होंने 13 वर्ष तक विभिन्न कंपनियों में अच्छे-खासे वेतन पर नौकरी की है। अचानक से उनके मन में केसर की खेती करने का विचार आया। विचार आने के बाद शैलेश मोदक ने नौकरी छोड़कर कंटेनर के अंदर केसर की उत्पादन आरंभ कर दिया। इससे उनको लाखों रुपये की आमदनी भी हो रही है। शैलेश ने कहा है, कि आहिस्ते-आहिस्ते वह कंटेनरों की संख्या में बढ़ोत्तरी करेंगे।

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शैलेश मोदक किस तरह से केसर की खेती करते हैं

शैलेश मोदक शिपिंग कंटेनर के भीतर केसर का उत्पादन करने के लिए तापमान को नियंत्रण में रखते हैं। शैलेश मोदक का कहना है, कि वह कंटेनर के अंदर हाइड्रोपोनिक तकनीक से बाकी फसलों का भी उत्पादन कर रहे हैं। विशेष कर वह हाइड्रोपोनिक तकनीक से महंगी सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी विदेशों में काफी ज्यादा मांग है। वर्तमान में शैलेश मोदक अन्य किसानों को भी केसर का उत्पादन करने के लिए बारीकियों को सीखा रहे हैं।

भारत में केसर की अधिक मांग को देखते हुए शैलेश केसर की खेती का रकबा बढ़ाएंगे

बतादें, कि भारत में केसर का सर्वाधिक उत्पादन कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में किया जाता है। बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। अभी एक किलो केसर का मूल्य 3 लाख रुपये है। शैलेश अभी कंटेनर के भीतर 160 स्क्वायर फीट में केसर का उत्पादन कर रहे हैं। इससे वह करीब 5 से 6 किलो तक केसर की पैदावार अर्जित कर रहे हैं। शैलेश मोदक का कहना है, कि वह 6 साल से केसर की खेती करते आ रहे हैं। इससे पूर्व वह मधुमक्खी पालन किया करते थे। भारत में 4 टन ही केसर की पैदावार होती है, जबकि मांग लगभग 100 टन की है। ऐसे में मांग की आपूर्ति करने के लिए विदेशों से केसर का आयात किया जाता है। विशेष कर ईरान, अफगानिस्तान और नीदरलैंड से सर्वाधिक केसर का आयात किया जाता है। शैलेश मोदक की योजना है, कि आगामी वर्षों में वह 320 वर्ग फीट में केसर का उत्पादन किया करेंगे।

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