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गौशालाओं से होगी अच्छी कमाई, हरियाणा सरकार ने योजना बनाई

गौशालाओं से होगी अच्छी कमाई, हरियाणा सरकार ने योजना बनाई

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जनपद फतेहाबाद में स्थित स्वामी सदानंद प्रणामी गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट(Swami Sadanand Parnami Charitable Trust) के वार्षिक उत्सव में संबोधन के उपरांत "अपना घर" में रहने वाले दीनहीन बेसहारा लोगों से उनका दुःख दर्द एवं हाल चाल जाना। साथ ही गौ नस्ल की बेहतरी के वैज्ञानिक तरीकों को प्रचलन में लाने का आग्रह किया।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गौशालाओं में गौवंश के संरक्षण एवं उसके मूत्र व गोबर से उत्पाद निर्मित करने की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे गौशालाएं किसी पर निर्भर न रहें। इसी सन्दर्भ में उपमुख्यमंत्री द्वारा लाडवा की गौशाला का जिक्र करते हुए कहा है, कि वहां गोबर एवं मूत्र के प्रयोग से विभिन्न प्रकार के उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं, जो गौशालाओं की आय का स्त्रोत बन रहे हैं। इसी के मध्य चौटाला ने कहा कि गाय के गोबर से पेंट भी बनाया जा सकता है, जिसका पिंजौरा की एक गौशाला उत्तम उदाहरण है।

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हरियाणा राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि समस्त सरकारी संस्थानों में गाय के गोबर से निर्मित पेंट का इस्तेमाल हो, इसके लिए वह हर संभव कोशिश करेंगे। उनकी इस पहल से और भी गौशालाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ साथ इसी तरह से गौशालाओं में बायोगैस प्लांट स्थापित कर रसोई गैस बनाई जा सकती है जो आय का प्रमुख स्त्रोत भी बन सकता है, बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए हरियाणा सरकार सहयोग करेगी।

चौटाला ने की सोलर प्लांट लगवाने की घोषणा

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जनपद फतेहाबाद में स्तिथ स्वामी सदानंद प्रणामी गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के वार्षिक उत्सव में संबोधन के उपरांत "अपना घर" में रहने वाले दीनहीन बेसहारा लोगों से उनका दुःख दर्द एवं हाल चाल जाना। आश्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आये दुष्यंत चौटाला ने रक्तदान शिविर में खुद रक्तदान किया एवं गौसेवा के साथ ही फतेहाबाद के स्वामी सदानंद गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम में स्वयं कोष से सोलर प्लांट लगवाने का एलान किया। गौवंश को अच्छे तरीके से रखने के लिए राज्य सरकार सम्पूर्ण प्रयास करेगी।

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दीनहीन लोगों की सहायता कर सराहनीय कार्य किया जा रहा है।

वार्षिक उत्सव के दौरान हरियाणा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है, कि संस्थान स्थापित करना बेहद सरल है जबकि, संस्थान को बेहतर तरीके से निरंतर चलाना बेहद कठिन है। श्रीकृष्ण प्रणामी आश्रम गौशाला के साथ-साथ ''अपना घर'' के माध्यम से दीनहीन व असहाय प्राणियों की सेवा की जा रही है। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण हेतु गौशाला निर्माण व वैज्ञानिक तरीकों से गायों की नस्ल बेहतरी के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की अत्यंत आवश्यकता है। दुष्यंत चौटाला ने बताया, कि लगभग 40 वर्ष पूर्व गीर नस्ल के गौवंश को भारत से ही ब्राजिल ले जाया गया था। गीर नस्ल जो अब ब्राजील में ७० से ७२ लीटर तक रोजाना दूध देती हैं, एवं उन लोगों के आय का मुख्य स्त्रोत भी बनी है।

महिला सशक्तिकरण हेतु हुनर से रोजगार समारोह को Merikheti की टीम ने किया कवर

महिला सशक्तिकरण हेतु हुनर से रोजगार समारोह को Merikheti की टीम ने किया कवर

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार और बहुत सारी संस्थाएं अपने अपने स्तर से भरपूर प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में 19 मार्च दिन रविवार को हुनर से रोजगार समारोह को संबोधित किया है। इसके अंतर्गत महिलाओं ने वहां अपने-अपने हुनर का प्रदर्शन किया। आपको बतादें कि मिल्लेट्स से बने उत्पादों को कार्यक्रम के दौरान महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। साथ ही, उन्होंने सफल हुई महिलाओं की जीवन कहानी को भी बताया। वहां आई बहुत सी महिला किसानों ने खुद से बनाई गई बहुत से उपयोगी उत्पादों को समारोह के दौरान माननीय राज्यपाल जी को दिखाया और अपने हुनर व कला का प्रदर्शन भी किया था। महिला किसानों ने राज्यपाल जी के सामने अपनी प्रदर्शनी की है। Merikheti की टीम ने वहां पहुँचकर पुरे समारोह की प्रत्येक गतिविधि को कवर किया।

सरदार वल्लभभाई पटेल प्रौद्योगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय में हुआ समारोह

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जी ने मेरठ में उपस्थित सरदार वल्लभभाई पटेल प्रौघोगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए हुनर से रोजगार कार्यक्रम का समारोह किया गया। इस पूर्वनियोजित महिला किसान सशक्तिकरण समारोह के दौरान कृषि विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारी उपस्थित रहे। राज्यपाल आनंदी बेन ने कृषि विश्वविद्यालय की क्षात्राओं को भी संबोधित किया है। ये भी देखें: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मोटे अनाजों के उत्पादों को किया प्रोत्साहित

मेरीखेती की टीम ने मेरठ में हुए हुनर से रोजगार समारोह को कवर किया

मेरीखेती की टीम ने समारोह में जाकर महिला किसानों के द्वारा की गई प्रदर्शनी को कवर किया। जिसमें अगरबत्ती निर्माता, मोमबत्ती निर्माता, मसालों की पैकिंग, मशरूम उत्पादक आदि महिलाओं की कलाकृतियां एवं उत्पादों को कवर किया है। साथ ही, महिलाओं ने मोटे अनाज को सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने से प्रेरित होकर मोटे अनाजों से निर्मित उत्पादों को भी प्रदर्शनी में रखा था। महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इन सभी महिलाओं द्वारा की गई प्रदर्शनी को देखा और उनका उत्साहवर्धन भी किया।

महिला सशक्तिकरण हुनर से रोजगार समारोह में कई दिग्गज हस्तियां मौजूद रही

महिला सशक्तिकरण के लिए आयोजित किए गए इस समारोह में उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, उत्तर प्रदेश के राज्य कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पशुपालन दुग्ध व मत्स्य पालन राज्यमंत्री संजीव बाल्यान, सरदार वल्लभभाई पटेल प्रौद्योगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर केके सिंह, पूसा के कृषि वैज्ञानिक डॉ विपिन कुमार आदि कृषि क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां उपस्थित रहीं। समारोह में मौजूद महानुभावों ने महिला सशक्तिकरण और उनके परिश्रम व रचनात्मक सोच के बारे में अपने विचार साझा किये।
यूपी की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद का किया सर्वेक्षण

यूपी की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद का किया सर्वेक्षण

अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न (मिलेट्स) वर्ष 2023 के अवसर पर, उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज भाकृअनुप-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान (भाकअनुसं), हैदराबाद का दौरा किया। उन्होंने संस्थान में स्थापित श्री अन्न के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन सुविधाओं का निरीक्षण किया। साथ ही उनके समक्ष, भारत के अद्वितीय तथा एक बृह्त जननद्रव्य संग्रह एवं श्री अन्न की नवीनतम किस्मों के पुष्प गुच्छों का प्रदर्शन किया गया। माननीय राज्यपाल ने श्री अन्न को लोकप्रिय करने हेतु संस्थान द्वारा की जा रही कोशिशों, इसके द्वारा प्रदत्त सुविधाओं और प्रशिक्षण की तारीफ की है। उन्होंने कहा है, कि लोग पहले श्री अन्न के विविध उत्पाद तैयार करने की विधि और तकनीकों के विषय में नहीं जानते थे। अब इस संस्थान के माध्यम से श्री अन्न उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के उत्पादन हेतु प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। माननीय राज्यपाल ने उल्लेख किया कि हमारे देश में किसान उत्पादन संगठन (FPO) काफी महत्वपूर्ण हैं। आज किसान उत्पादक संगठन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि बाजार से कैसे संपर्क किया जाए, उत्पाद को ऑनलाइन कैसे बेचा जाए साथ ही उत्पादों का परीक्षण कैसे किया जाए, आदि। यह भी पढ़ें: श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत, सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं कई प्रयास माननीय राज्यपाल के समक्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) के द्वारा विकसित एवं उद्यमियों को प्रदत्त लाइसेंसीकृत, विविध मूल्यवर्धित उत्पाद और प्रौद्योगिकियां प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर भाकअनुसं के वैज्ञानिकों तथा राज्यपाल श्रीमती पटेल के साथ एक संवादात्मक बैठक भी आयोजित की गई। डॉ. (श्रीमती) सीतारा सत्यवती, निदेशक, भाकअनुसं ने माननीय राज्यपाल को संस्थान के मैट्रिक्स, लक्ष्यों एवं दृष्टिकोणों के बारे में जानकारी दी। डॉ. संगप्पा, वैज्ञानिक ने कहा कि गांवों में श्री अन्न पर काम करने वाले किसानों, कृषि अधिकारियों, उद्यमियों और अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए इस संस्थान के द्वारा चार राज्यों में 33 किसान उत्पादक संगठन का गठन किया गया है।

श्री अन्न किसानों की आय 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 7000-8000 रुपये प्रति क्विंटल हुई है

श्रीमती रक्षिता लडवंती, सीईओ, अलंदभूताई मिलेट्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, कलबुर्गी, कर्नाटक, ने उल्लेख किया कि उनकी सफलता की कुंजी किसान उत्पादक संगठन से कच्चा माल खरीदने हेतु उद्यमियों से जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि स्थानीय महिलाओं को मूल्यवर्धित उत्पादों को तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिसका परिणाम है कि श्री अन्न किसानों की आय 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 7000-8000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

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मोटे अनाज (मिलेट) की फसलों का महत्व, भविष्य और उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी डॉ. बीदयाकर राव, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, न्यूट्री हब, भाकअनुसं ने बताया कि भाकअनुसं के द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के व्यापक प्रसार हेतु मुख्य प्रशिक्षण का प्रारूप तैयार किया जाता है। इसके आधार पर स्थानीय अधिकारियों एवं अन्य लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है।
कृषि विद्यालय से परवल की जानकारी लेकर शुरू किया उत्पादन, 80 हजार प्रतिमाह हो रही आय

कृषि विद्यालय से परवल की जानकारी लेकर शुरू किया उत्पादन, 80 हजार प्रतिमाह हो रही आय

आज हम आपको परवल उत्पादक किसान मायानंद विश्वास के बारे में बताऐंगे। मायानंद विश्वास का कहना है, कि एक एकड़ जमीन पर खेती करने पर लगभग एक लाख रुपये की लागत आती है। परंतु, एक महीने में 20 क्विंटल तक वह परवल की पैदावार करते हैं। साथ ही, बाजार में 2000-4000 रुपये प्रति क्विंटल परवल बिक जाता है। इस प्रकार वह एक माह में परवल की बिक्री से करीब 80 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं। परवल की सब्जी का सेवन करना ज्यादातर लोग पसंद करते हैं। यह बाजार में सालों भर सुगमता से मिल जाता है। परंतु, गर्मी के मौसम में इसकी सबसे ज्यादा खेती की जाती है। परवल एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती में खर्चे की तुलना में बहुत गुना ज्यादा मुनाफा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि एक बार खेती करने पर आप इससे 9 माह तक पैदावार हांसिल कर सकते हैं। यही कारण है कि बिहार में किसान बड़े पैमाने पर परवल की खेती कर रहे हैं। इसकी खेती से बहुत सारे किसानों की आमदनी बढ़ गई है।

मायानंद विश्वास परवल की खेती से कुछ ही समय में मालामाल हो गए

मायानंद विश्वास एक ऐसे किसान हैं, जो परवल की खेती से कुछ ही दिनों में मालामाल हो गए हैं। वे पूर्णिया जनपद स्थित कस्बा प्रखंड के बनेली सिंधिया के रहने वाले हैं। वह अपने गांव में 8 तरह के परवल की खेती कर रहे हैं। वह साल 2013 से परवल की खेती कर कर रहे हैं। उनका कहना है, कि परवल की एक बार खेती करने पर आप इससे 9 महीने तक सब्जी तोड़ सकते हैं। बतादें, कि इसकी खेती में लाखों रुपये का मुनाफा है।

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मायानंद ने कृषि विघालय से जानकारी लेकर परवल की खेती शुरू कर दी

किसान मायानंद विश्वास की मानें तो इंसान की भांति सब्जियों में भी मेल- फीमेल जाति होती है। यही कारण है, कि वे विगत 10 साल से मेल-फीमेल दोनों कंपोजिशन मिलाकर परवल की खेती कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि उन्होंने परवल की खेती शुरूआत करने से पहले भागलपुर के सबौर कृषि विद्यालय से इसके विषय में संपूर्ण जानकारी ली थी। इसके उपरांत गांव आकर परवल की खेती चालू कर दी।

किसान मायानंद विश्वास लाखों रुपये की कमाई करते हैं

वर्तमान में उन्होंने लगभग एक एकड़ में परवल की खेती कर रखी है। इसमें परवल की 8 किस्म है। किसान मायानंद विश्वास की मानें तो वह 9 माह में परवल की खेती से 8 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित कर लेते हैं। उनका कहना है, कि बहुत सारे किसान परवल की खेती नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें संपूर्ण जानकारी नहीं होती है। बहुत सारे किसानों को इसकी खेती से घाटा भी उठाना पड़ जाता है। इसलिए किसानों को अपने खेत में मेल और फीमेल परवल के दोनों पौधे रोपने होंगे। उनका कहना है, कि परवल के खेत में रिक्त पड़े स्थानों पर वे दूसरी फसल भी लगाते हैं। उनका यह कहना है, कि वह सालभर में खर्चा काटकर 8 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित कर लेते हैं। वर्तमान में किसान मायानंद विश्वास के खेत में राजेंद्र 2, स्वर्ण अलौकित, राजेंद्र 1, स्वर्ण रेखा, डंडारी, बंगाल ज्योति एवं दूदयारी प्रजाति का परवल लगा हुआ है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ में किसान मेला का हुआ शुभारंभ

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ में किसान मेला का हुआ शुभारंभ

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि में 17 अक्टूबर से तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इस किसान मेले में कृषि विश्वविद्यालय से संबंधित सभी विज्ञान केंद्रों एवं बहुत सारी कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाए हैं। यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर से लेकर 19 अक्टूबर तक चलेगा। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि में 17 अक्टूबर के पहले दिन कार्यक्रम का शुभारंभ महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के द्वारा फीता काटकर किया गया। कार्यक्रम के दौरान जहां पर कृषि विश्वविद्यालय से संबंधित समस्त विज्ञान केंद्रों एवं विभिन्न कंपनियों ने अपने स्टॉल स्थापित किए।

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यूपी की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न (श्री अन्न) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद का किया सर्वेक्षण आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस मेले के जरिए किसानों को एक साथ लाने की कोशिश की जा रही है। सरदार वल्लभभाई पटेल विश्वविद्यालय में इस मेले के दौरान गोलू-2 उन्नत नस्ल का भैंसा और डॉग शो मुख्य आकर्षण का केंद्र बने हैं। साथ ही, कृषि मेले का प्रमुख मकसद किसानों की दिक्कत परेशानियों का निवारण करना भी है। इसके अतिरिक्त फल -फूल, सब्जी, नवीनतम तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए यह मंच उपलब्ध कराया गया है। आज सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में मेले के दौरान मेरठ में महामहिम राज्यपाल महोदया उत्तर प्रदेश, श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी द्वारा अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन किया गया। साथ ही, 19वें एशियन गेम्स की पदक विजेत्री बेटीयों पारुल चौधरी एवं किरण बालियान को भी सम्मानित किया गया। मेले के इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह औलख जी, @svpuat के कुलपति डॉ के के सिंह जी, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल समिति के अध्यक्ष डॉ संजय सिंह जी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला जी, वरिष्ठ वैज्ञानिकगण, किसान एवं छात्र उपस्थित रहे।
इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

खेती-किसानी के क्षेत्र में प्राचीन काल से पशुपालन विशेषकर गाय का विशेष महत्व रहा है। आज वंदना कुमारी दूध प्रसंस्करण के माध्यम से अच्छी कमाई कर अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। 

बतादें, कि वंदना कुमारी ने गौ-पालन शुरू करने का फैसला लेने से पहले दो बार नहीं सोचा। जीवन में बेहतर उपलब्धि हांसिल करने का उनका दृढ़ संकल्प ही था, जिसने उनको गौ-पालन प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया। 

एक गृहिणी के लिए जीवन में सब कुछ काफी सुगम नहीं था। कुछ नवीन करने के उनके जूनून ने समस्या और बाधाओं का सामना करने में काफी सहायता की। 

कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK), बांका (बिहार) की मदद के फलस्वरूप बन्दना को पारंपरिक फसलों के अतिरिक्त सफल डेयरी किसान के तोर पर स्थापित करने में सहयोग प्राप्त हुआ। 

बतादें, कि 13 एकड़ कृषि योग्य जमीन और 8 एकड़ बंजर जमीन वाले परिवार में आय बढ़ाने के लिए अपने परिवार की मदद करना उनके लिए बड़ी मजबूरी थी। 

महिला किसान वंदना महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से सम्मानित   

खेती में सक्रियता से भाग लेने के उपरान्त कृषि उत्पादकता को बेहतर करना वंदना का लक्ष्य बन गया था। बंदना ने साल 2011 में केवीके का भ्रमण करके और वैज्ञानिकों से मिलकर कृषि भूमि की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने के संबंध में दिशा-निर्देश लिया। 

इसके पश्चात कृषि विज्ञान केन्द्र से उनका जुड़ाव काफी बढ़ता गया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा समयानुसार सही सलाह दी गई। केवीके के वैज्ञानिकों की मदद से वह अपनी कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने में सफल हुई। 

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वंदना ने समकुल बंजर जमीन में से 2.75 एकड़ को कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित करने में सफलता हांसिल की। एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का जज्बा रखने वाली वंदना ने खेती के दौरान केवीके की तकनीकी मदद से वर्ष 2012 में एक धान ओसाई मशीन को विकसित किया। 

वंदना के नवाचार को परखते हुए एक विख्यात निजी कंपनी द्वारा महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से उन्हें पुरस्कृत किया गया और सम्मान स्वरूप 51 हजार की नकद धनराशि प्राप्त हुई। 

महिला किसान वंदना की दूध प्रसंस्करण से तरक्की 

वंदना के गांव को National Innovative वित Climate Resilient Agriculture (NICRA) परियोजना के कार्यान्वयन हेतु चयन किया गया, जिसके तहत उन्होंने हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन, यूरिया से पुआल का उपचार, साइलेज बनाने के अतिरिक्त हरे चारे की उपज संबंधी तकनीकें सीखी और अपनाई। इसके अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। 

NICRA परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों के लिए आयोजित किए जाने वाले कृषि गतिविधियों में बेहतर सहयोग देने के बाद वंदना ने विविधता लाने के लिए साल 2016 में गौपालन शुरू करने का निर्णय किया। 

उन्होंने अपने पिता (पेशे से पशु चिकित्सक) से पशुपालन की बारीकियां सीखीं जो वंदना को असलियत में डेयरी फार्मिंग के लिए प्रेरित करने वाला साबित हुआ, उन्होंने दूध देने वाली 10 गायों को खरीदकर नया उद्यम शुरू किया।

प्रत्येक गाय व चारा उत्पादित 7-10 लीटर दूध के साथ उनकी गोशाला में औसत दूध उत्पादन लगभग 70-80 लीटर प्रति दिन प्राप्त होता था। वह अपनी गोशाला में उत्पादित दूध की मात्रा से संतुष्ट थीं। 

लेकिन जब दूध बेचने की बात आई तो बंदना को खरीदार ढूंढने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी दौरान केवीके के जरिए से वंदना को फरवरी, 2020 में "आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पाद विकास" विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला, जिसका आयोजन पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, मोहनपुर, नदिया, पश्चिम बंगाल द्वारा किया जा रहा था।