Climate Change: आधुनिक समय में बढ़ता तापमान खेती के लिए बड़ा संकट

Published on: 11-Jun-2024
Updated on: 11-Jun-2024

आज के आधुनिक युग में जहां विज्ञानं की नई खोज से सब कुछ डिजिटल हो गया है। इस आधुनिकता से आज के युग के लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। 

दूसरी तरफ आधुनिकरण के कारण वातावरण को बहुत गंभीर नुकसान हो रहा है। निरंतर तापमान में वृद्धि के कारण खेती पर भी संकट मंडरा रहा है। 

आधुनिक समय में बढ़ता तापमान खेती के लिए एक बड़ा संकट बनता जा रहा है। कृषि पर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव गंभीर और व्यापक हैं। 

यहां पर विस्तार से उन विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे जिनसे खेती प्रभावित हो रही है।                          

तापमान वृद्धि से खेती पर पड़ने वाले प्रभाव

1. फसल उत्पादन पर प्रभाव

  • फसल की पैदावार में कमी: अत्यधिक गर्मी और असामान्य मौसम पैटर्न के कारण फसल की पैदावार में कमी हो रही है। कई फसलों की उपज और गुणवत्ता दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • फसल वृद्धि का समय: बढ़ते तापमान से फसलों का वृद्धि चक्र बदल जाता है, जिससे उनकी बुवाई और कटाई के समय में बदलाव आ सकता है।

2. जल संसाधनों पर प्रभाव          

  • जल की कमी: बढ़ते तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन से बर्फ और ग्लेशियर पिघलने लगते हैं, जिससे ताजे पानी की उपलब्धता में कमी आती है। सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध नहीं होने से फसलें प्रभावित होती हैं।
  • भूजल स्तर का गिरना: सूखे के कारण भूजल स्तर में गिरावट आ रही है, जिससे सिंचाई की कठिनाइयाँ बढ़ रही हैं।

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3. मिट्टी की उर्वरता पर प्रभाव

  • मिट्टी का क्षरण: तापमान में वृद्धि से मिट्टी की संरचना और उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मिट्टी का कटाव और क्षरण बढ़ जाता है।
  • मिट्टी में नमी की कमी: अधिक तापमान के कारण मिट्टी में नमी की कमी हो जाती है, जिससे फसलें पर्याप्त पानी और पोषक तत्व नहीं प्राप्त कर पाती हैं।

4. कीट और रोग

  • कीट और रोगों का प्रसार: गर्म तापमान और असामान्य मौसम की स्थिति से कीट और रोगों का प्रसार बढ़ जाता है। नई परिस्थितियों में इनकी संख्याओं और गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है, जिससे फसलों को अधिक नुकसान होता है।
  • नए कीट और रोग: बदलते जलवायु के कारण नए कीट और रोग उत्पन्न हो सकते हैं, जिनसे निपटने के लिए किसानों को नए तरीके और उपाय अपनाने पड़ते हैं।

5. फसल की विविधता और अनुकूलन

  • फसल विविधता का नुकसान: कुछ फसलें बढ़ते तापमान के अनुकूल नहीं हो पातीं, जिससे उनकी खेती में कमी आ सकती है। इससे कृषि जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • नई फसलों की आवश्यकता: किसानों को नई परिस्थितियों के अनुसार अनुकूल फसलों का चयन करना पड़ सकता है, जिससे वे पारंपरिक फसलों की जगह नई फसलें उगा सकें।

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जलवायु परिवर्तन को कैसे रोका जा सकता है इसके उपाय 

1. जलवायु अनुकूल फसलों का विकास

वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से ऐसी फसलों का विकास किया जा रहा है जो उच्च तापमान और सूखे के प्रतिरोधी हों।

2. सिंचाई की उन्नत तकनीकें

ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई की उन्नत तकनीकों का उपयोग पानी की बर्बादी को कम करता है और फसलों को आवश्यक पानी उपलब्ध कराता है।

3. मृदा संरक्षण के उपाय

मृदा कटाव को रोकने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए कवर क्रॉपिंग, मल्चिंग और न्यूनतम जुताई जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

4. फसल चक्र और मिश्रित खेती

फसल चक्र और मिश्रित खेती जैसी तकनीकों का उपयोग करके मृदा उर्वरता को बनाए रखा जा सकता है और कीट व रोगों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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5. जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और शिक्षा

किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति जागरूक करना और उन्हें अनुकूलन उपायों के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।

6. सरकारी नीतियाँ और समर्थन

सरकारों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता, सब्सिडी, बीमा और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।

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