ज्वार एक ठंडी तासीर वाला अनाज है, जिसे लोग गर्मियों में खाना पसंद करते हैं। गेहूं की तुलना में इसमें अधिक पोषक तत्व होते हैं जैसे कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, पोटैशियम और विटामिन।
इसकी बाजार में अच्छी मांग होने के कारण किसान ज्वार की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। ज्वार को हरे चारे के रूप में भी उगाया जाता है।
यह एक कम समय (3–4 महीने) में तैयार होने वाली फसल है, जिससे किसान कम समय में अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इस लेख में हम आपको ज्वार की उन्नत किस्मों से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
ज्वार की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना जरूरी है। सही बीज से बेहतर उपज मिलती है और मुनाफा भी बढ़ता है।
इनमें से चार किस्में अनाज उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं और तीन किस्में चारे के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं:
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यह एक द्विउद्देशीय हाइब्रिड किस्म है जो अनाज और चारा दोनों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह किस्म लगभग 105–110 दिनों में तैयार हो जाती है।
इसकी विशेषता यह है कि इसमें अनाज की अच्छी उपज (45–50 क्विंटल/हेक्टेयर) के साथ-साथ चारे की भारी मात्रा (200–220 क्विंटल/हेक्टेयर) मिलती है।
पौधे की ऊंचाई अधिक (270–280 से.मी.) होने के कारण इसमें भरपूर सूखा चारा मिलता है। यह वर्ष 1996 में विकसित की गई थी और आज भी किसान इसे खूब पसंद करते हैं।
यह किस्म भी अनाज और चारे दोनों के उत्पादन के लिए उपयोगी है। यह 95–105 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इससे 35–40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक अनाज और 105–110 क्विंटल चारा प्राप्त होता है।
इसकी ऊंचाई 230–240 से.मी. होती है और यह वर्ष 1994 में विकसित की गई थी। यह जल्दी पकने वाली और अच्छी उपज देने वाली किस्म है।
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यह किस्म विशेष रूप से सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए तैयार की गई है। यह तना छेदक और शीर्ष मक्खी जैसे कीटों के प्रति सहनशील है।
इसकी औसत अनाज उपज 30–35 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि चारे की उपज 110–115 क्विंटल तक जाती है। यह वर्ष 2004 में विकसित की गई थी और कीट-प्रभावित क्षेत्रों में बेहद उपयोगी साबित होती है।
यह किस्म पोषण से भरपूर अनाज के लिए प्रसिद्ध है। इसमें 7.15% प्रोटीन और 45.7% पाचनशील सूखे पदार्थ पाए जाते हैं।
यह किस्म 110–115 दिनों में तैयार होती है और इससे 25–30 क्विंटल/हेक्टेयर अनाज तथा 160–170 क्विंटल/हेक्टेयर चारा प्राप्त किया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए उपयुक्त है जो गुणवत्तापूर्ण अनाज और चारा दोनों चाहते हैं।
यह किस्म हरे चारे के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय और उन्नत मानी जाती है। केवल 55–60 दिनों में इसकी पहली कटाई की जा सकती है और इसके बाद 2–3 बार तक पुनः कटाई संभव है।
इससे 400–500 क्विंटल/हेक्टेयर तक हरे चारे की भारी पैदावार होती है। इसे वर्ष 1978 में विकसित किया गया था और यह पशुपालन करने वाले किसानों के लिए आदर्श विकल्प है।
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यह हरे चारे के लिए दूसरी प्रमुख किस्म है। इसकी पहली कटाई 55–60 दिनों में और दूसरी कटाई 35–40 दिनों बाद की जा सकती है।
इससे औसतन 350–400 क्विंटल/हेक्टेयर चारा प्राप्त होता है। यह किस्म बहु-कटाई योग्य है और विशेष रूप से पशु चारा उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
यह किस्म विशेष रूप से कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी पौधों की ऊंचाई 190–220 से.मी. होती है और इसे 70–72 दिनों में एक बार काटा जा सकता है (एकल कटाई)।
इससे 300–350 क्विंटल/हेक्टेयर तक चारे की पैदावार होती है। इसे वर्ष 1984 में विकसित किया गया था और यह शुष्क क्षेत्रों में चारा उत्पादन के लिए एक अच्छा विकल्प है।
Q-ज्वार की कौन-सी किस्म अनाज और चारे दोनों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है और इसकी प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: CSH 16 (सीएसएच 16) किस्म अनाज और चारे दोनों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह किस्म 105–110 दिनों में तैयार होती है। इससे 45–50 क्विंटल/हेक्टेयर अनाज और 200–220 क्विंटल/हेक्टेयर चारा प्राप्त होता है। पौधे की ऊंचाई 270–280 से.मी. होती है, जिससे भरपूर सूखा चारा मिलता है।
Q-CSV 15 किस्म की विशेषताएं क्या हैं और यह किस वर्ष विकसित की गई थी?
उत्तर: CSV 15 किस्म अनाज और चारे दोनों के उत्पादन के लिए उपयोगी है। यह 95–105 दिनों में तैयार होती है, जिससे 35–40 क्विंटल/हेक्टेयर अनाज और 105–110 क्विंटल/हेक्टेयर चारा प्राप्त होता है। इसकी ऊंचाई 230–240 से.मी. होती है। इसे वर्ष 1994 में विकसित किया गया था।
Q 3: हरे चारे के लिए सबसे अधिक उत्पादन देने वाली ज्वार की किस्म कौन-सी है?
उत्तर:SSG 59-3 (एसएसजी 59-3) हरे चारे के लिए सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है। इससे 400–500 क्विंटल/हेक्टेयर तक हरा चारा प्राप्त होता है। यह 55–60 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है और 2–3 बार पुनः कटाई संभव है।
Q 4:Pratap Jowar-1430 किसके लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता क्या है?
उत्तर: Pratap Jowar-1430 सामान्य वर्षा वाले और कीट-प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह तना छेदक और शीर्ष मक्खी जैसे कीटों के प्रति सहनशील है। इसकी अनाज उपज 30–35 क्विंटल/हेक्टेयर और चारा उपज 110–115 क्विंटल/हेक्टेयर है।
Q 5:कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त चारे की किस्म कौन-सी है?
उत्तर: Rajasthan Chari 2 (राजस्थान चरी 2) कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसे 70–72 दिनों में एक बार काटा जा सकता है और इससे 300–350 क्विंटल/हेक्टेयर तक चारा प्राप्त होता है। यह एकल कटाई वाली किस्म है और वर्ष 1984 में विकसित की गई थी।