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किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)

Published on: 12-Jul-2022

भारत सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादों, खासतौर से जल्दी खराब होने वाली उपज को सस्ते दरों पर, दूसरे राज्यों तक पहुँचाने के लिए परिवहन सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किसान रेल योजना (Kisan Rail) चलाई है. किसान रेल की घोषणा वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष २०२०-२१ के केंद्रीय बजट में की थी. वित्त मंत्री ने नेशनल कोल्ड सप्लाई चेन (National Cold Supply Chain) बनाने की घोषणा की थी और कहा था कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) एक किसान रेल की शुरुआत करेगा. इस एकीकृत शीत-श्रृंखला को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (National Center for Cold-Chain Development (NCCD)) की स्थापना की गई।

हालांकि एयरकंडिशन की सुविधा के साथ फल और सब्जियों को लाने ले जाने की सुविधा का प्रस्ताव पहली बार २००९-१० के बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने किया था, लेकिन तब शुरुआत नहीं हो सकी थी. ७अगस्त २०२० को पहली बार भारतीय रेलवे ने किसान रेल सेवा शुरू की. पहली किसान रेल महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच चलाई गई थी. इस ट्रेन से जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे दूध, मांस, मछली, फल और सब्जियों को नासिक रोड, मनमाड, जलगांव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज, पंडित दीन दायल उपाध्याय नगर, बक्सर और दानापुर तक पहुंचाया गया था.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा इस ट्रेन को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय रेल व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल नें हरी झंडी दिखाई थी. किसान रेल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर संचालित किया जा रहा है. किसान रेल के जरिए सामान ढुलाई में करीब ५० फीसदी तक की सब्सिडी भी दी जाती है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने १००वीं किसान रेल को हरी झंडी दीखाई थी. उस मौके पर उन्होंने कहा था कि “किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है. इससे देश के 80 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बड़ी शक्ति मिली है. कोल्ड स्टोरेज चेन के लिए भी यह मजबूती देने वाला कदम साबित होगा. किसी किसान के लिए कोई सीमा तय नहीं है. उत्पाद कम हो या ज्यादा, सब सही समय पर पहुंच सकेगा. महज ३ किलो अनार का पैकेट भी ट्रेन से भेजे गए. मुर्गी के १७ दर्जन अंडे भी इससे भेजे गए हैं. किसान रेल के जरिए छोटे किसानों को भी बड़ा बाजार दिया जा रहा है. पहले किसान रेल साप्ताहिक थी, लेकिन अब इस ट्रेन को सप्ताह में ३ दिन चलाया जा रहा है. बेहद कम समय में १००वीं किसान रेल चलना ये साफ करता है कि इससे किसानों को फायदा हो रहा है.’’

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अब तक १४०० से भी ज्यादा किसान रेलगाड़ियाँ चलाई जा चुकी हैं. ३ फ़रवरी '२०२२ को १०००वीं किसान रेल महाराष्ट्र के सादवा से दिल्ली के आदर्शनगर तक चलाई गयी थी, जिसके १८ पार्सल वैन सहित २३ डब्बे थे और इस रेलगाड़ी से ४५३ टन केला गंतव्य तक पहुँचाया गया था. अब तक १४ से ज्यादा राज्यों में किसान रेल चलाई जा रही है. किसानों को किसान रेल योजना से बहुत लाभ है.

  kisan rail 1000th trip flag off ceremony


मिलती हैं किसान रेल के भाड़े में सब्सिडी

खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्रालय की तरफ से किसान रेल से फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन के माल भाड़ा पर वसूले जाने वाले टैरिफ पर ५०% की सब्सिडी दी जाती है. किसानों को यह सब्सिडी राशि तुरंत मिल जाती है, जिससे फसल के यातायात का खर्च आधा हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन लागत ७-८ रुपये प्रति किलोग्राम है, तो किसान ट्रेन के जरिए यह लागत २.८२ रुपये ही बैठती है. सड़क मार्ग की अपेक्षा इसका भाड़ा बहुत ही कम है, जिससे किसानों को अपना उत्पाद दुसरे जगह पर सुगमता से पहुँचाने का अवसर मिल रहा है.

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किसान रेल में कोल्ड-स्टोरेज की है सुविधा

कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) की सुविधा से संपन्न होती है किसान रेल, जिसके कारण जल्दी ख़राब होने वाले कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां, मछलियां और एसे दुसरे उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है, वे ख़राब नहीं होते. सही समय पर मंडियों में पहुँच जाती हैं और उचित मूल्य भी मिल जाता है. किसान ट्रेन का परिचालन बिल्कुल सही समय से किया जाता है.

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किसान रेल से इन फसलों की होती है धुलाई

सब्जियों में शिमला मिर्च, केला, आलू, टमाटर, मिर्च, अदरक, लहसुन, प्याज, फूलगोभी, कीवी, वहीं फलों में संतरा, सेब, खरबूजे, अमरूद, पपीता, अनार, अंगूर को भेज सकते हैं. इसके अतिरिक्त फूल, डेयरी उत्पाद, अंडे और मछलियां भी किसान रेल द्वारा दुसरे जगहों पर भेजे जा सकते हैं. देश के कई राज्यों से भारी संख्या में किसान इसका फायदा ले रहे हैं.

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