रजनीगंधा, जिसे ट्यूबरोज (Tuberose) के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत सुगंधित फूल है जो अपनी सुंदरता और गंध के कारण पुष्प बाजार में बहुत अधिक मांग में रहता है।
यह न केवल सजावट व पूजा-पाठ के लिए उपयोगी है, बल्कि इससे इत्र व परफ्यूम भी बनाए जाते हैं। इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय सिद्ध हो सकती है। इस लेख में हम रजनीगंधा की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक 1500 शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं।
रजनीगंधा की किस्में मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं - सिंगल और डबल। सिंगल किस्मों में फूलों की पंखुड़ियाँ एक कतार में होती हैं जबकि डबल किस्मों में यह दो या अधिक कतारों में होती हैं।
इन किस्मों से सुगंधित फूलों के साथ-साथ इत्र (कंक्रीट) का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
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डबल किस्में मुख्यतः सजावटी उपयोग और कट फ्लावर के रूप में लोकप्रिय हैं।
रजनीगंधा की सफल खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी वृद्धि के लिए आदर्श तापमान 28°C से 30°C तक होता है। यह पौधा गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे से पनपता है। अत्यधिक ठंडी या पाला ग्रस्त जलवायु इसके लिए हानिकारक होती है।
रजनीगंधा की खेती के लिए अच्छे जलनिकास वाली बलुई दोमट (loamy) मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। भारी मिट्टी में जल जमाव से कंद सड़ने की आशंका रहती है, इसलिए खेत की उचित जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए।
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बल्बों को पूर्व फसल की खुदाई के 30 दिनों बाद रोपा जाता है।
रोपण से पहले बल्बों को CCC (Chlormequat chloride) 5000 ppm (5 ग्राम/लीटर) के घोल में डुबाना चाहिए। इससे पौधे की कद वृद्धि नियंत्रित होती है और फूलों की संख्या में वृद्धि होती है।
फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा भूमि तैयार करते समय देनी चाहिए जबकि नाइट्रोजन को तीन बराबर हिस्सों में बाँटना चाहिए – एक भाग भूमि तैयारी के समय, दूसरा 60 दिन बाद और तीसरा 90 दिन बाद।
फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित मिश्रण का छिड़काव करें:
यह फोलियर स्प्रे फसल की अच्छी वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
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रजनीगंधा की फसल की अवधि लगभग 2 वर्ष तक होती है। यदि पौधों की देखभाल और पोषण सही तरीके से किया जाए तो इसे एक और वर्ष तक लाभप्रद रूप से बनाए रखा जा सकता है।
रजनीगंधा की खेती आज के समय में अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय बन गई है। इसकी सुंदरता और सुगंध के चलते यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुष्प बाजार में निरंतर मांग में बनी रहती है।
यदि किसान वैज्ञानिक पद्धतियों से इसकी खेती करें तो प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की आय प्राप्त की जा सकती है। रजनीगंधा न केवल फूल के रूप में लाभ देती है, बल्कि बल्ब, सुगंध तेल और कट फ्लावर के रूप में भी कमाई का स्रोत बन सकती है।