सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम | Soil Health Card Scheme

Published on: 28-Nov-2019

मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम समूचे देश में चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य एक डाटा तैयार करना है कि देश की मृदा की स्थिति क्या है। किन राज्यों में किन पोषक तत्वों की कमी है। सरकार की मंशा है कि राज्यों की स्थिति के अनुरूप किसानों तक उर्वरकों की पहुंच आसान और सुनिश्चत की जाए ताकि उत्पादन में इजाफा हो सके। किसानों की माली हालत में भी सुधार हो सके। राज्य सरकार के कृषि विभाग की मदद से मृदा नमूनों का संकलन, परीक्षण एवं इसे आनलाइन अपलोड करने का काम पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से कराया जा रहा है। यह योजना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय  भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है। सॉयल हेल्थ कार्ड का उद्देश्य प्रत्येक किसान को उसके खेत की सॉयल के पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी देना है।

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 यह एक प्रिंटेड रिपोर्ट है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोतों के लिए दिया जायेगा। इसमें 12 पैरामीटर जैसे एनपीके (मुख्य - पोषक तत्व), सल्फर (गौण – पोषक तत्व), जिंग, फेरस, कॉपर, मैग्निश्यम, बोरॉन (सूक्ष्म – पोषक तत्व), और इसी ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में उनकी सॉयल की स्थिति निहित होगी। इसके आधार पर एसएचसी में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों को भी दर्शाया जायेगा। यह कार्ड आगामी फसल के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी भी देता है। यह बात अलग कि मृदा नमूना लेने का काम क्षेत्र विशेष में ग्रिड बनाकर किए जा रहा है। इससे मोटा मोटी अनुमान लग जाता है कि किस इलाके में कौनसे पोषक तत्वों की कमी है। 

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 सवाल यह उठता है कि क्या किसान प्रत्येक वर्ष और प्रत्येक फसल के लिए एक कार्ड प्राप्त करेंगे। यह कार्ड 3 वर्ष के अंतराल के बाद उपलब्ध कराया जाएगा। सॉयल नमूने जीपीएस उपकरण और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हैक्टर और वर्षा सिंचित क्षेत्र में 10 हैक्टर के ग्रिड से नमूने लिए जा रहे हैं। नमूनों का संकलन सरकारी कर्मचारी, कालेज स्टूडेंट, एनजीओ वर्कर आदि किसी भी माध्यम से संकलित कराए जाते हैं। नमूनों का संकलन खाली खेतों में आसानी से हो जाता है। 

नमूना लेने का तरीका समझें किसान

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 सॉयल नमूने V आकार में मिट्टी की कटाई के उपरांत 15 – 20 सेण्टी मीटर की गहराई से निकालने चाहिए। किसान भी यह काम कर सकते हैं। नमूना कभी मेंड की तरफ से नहीं लेना चहिए। नमूने को समूचे खेत से संकलित करना चहिए ताकि समूची मृदा का प्रतिनिधित्व हो और जांच ठीक हो सके। अच्छा हो कि किसी जानकार या कृषि विभाग के व्यक्ति से नमूना लेने का तरीका समझ लिए जाए।  छाया वाले क्षेत्र से नमूना न लिया जाए। चयनित नमूने को बैग में बंद करके खेत की पहचान वाली पर्ची डालकर ​ही दिया जाए। इसके बाद ही नमने को जांच के लिए भेजा जाए। नमूनों में तीन मुख्य तत्वों की जांच तो हर जनपद स्तर पर हो जाती है लेकिन शूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच मण्डल स्तीर प्रयोगशालाओं पर ही होत पाती है। इस परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही कार्ड बनाकर जनपदों को भेजे जाते हैं। इसके बाद यह किसानों में वितरित होते हैं। किसान अपनी मिट्टी की जांच कई राज्यों में नि:शुल्क या महज पांच सात रुपए की दर से कराई जा सकती है।

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