भारत के किसानों को किन परिस्थितियों में टैक्स भुगतान करना पड़ता है?

Published on: 31-Dec-2023

भारत के कृषक भाइयों को सरकार टैक्स यानी कर भुगतान से छूट प्रदान करती है। परंतु, कृषकों को विशेष परिस्थितियों में कर देना पड़ता है। भारत में काफी धनराशि टैक्स के रूप में इकट्ठी की जाती है। भारत भर में विभिन्न बड़ी हस्तियां ऐसी भी हैं, जो करोड़ो रुपये कर के तौर पर देती हैं। इनके अतिरिक्त भारत के बहुत सारे नागरिक भी टैक्स भुगतान करते हैं। परंतु, क्या देश की शान कृषक भाइयों को भी कर यानी टैक्स जमा करना होता है।

भारत में कृषि से होने वाली आय पर टैक्स नहीं लिया जाता है  

भारत में कृषकों को अपनी खेती से मिलने वाली आमदनी पर कोई भी कर नहीं देना पड़ता है। आयकर अधिनियम, 1961 के मुताबिक, कृषि से होने वाली आमदनी टैक्स या कर से मुक्त है। कृषकों को इस तरह अपनी आमदनी का कोई रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, बहुत सारी परिस्थितियों में कृषकों को खेती से मिलने वाली आमदनी पर कर देना पड़ सकता है। उदाहरण के तोर पर एक किसान को कृषि के अतिरिक्त बाकी व्यवसाय करने पर कर भुगतान करना पड़ेगा।

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बतादें, कि इसके अतिरिक्त यदि कोई किसान कृषि से अर्जित धन को व्यापार के तोर पर व्यवहार करता है, तो उसे कृषि से हांसिल धन पर कर देना पड़ेगा। किसानों को कर पर छूट देने का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देना एवं उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करना है।

जानें किसान किन परिस्थितियों में ही कर प्रदान करते हैं  

1 . यदि किसान कृषि के अलावा अन्य व्यवसाय करता है, तो उसे उस व्यवसाय से होने वाली आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा। यदि कोई किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन अथवा डेयरी व्यवसाय भी करता है, तो उसे पशुपालन या डेयरी व्यवसाय से होने वाली आमदनी पर कर देना पड़ेगा। 2 . यदि कोई किसान भाई कृषि से होने वाली आमदनी को व्यवसाय के तोर पर चलाता है, तो उसे उस आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा। अगर कोई किसान खेती से होने वाली आमदनी को विक्रय कर आय करता है, तो उसे उस फायदे पर टैक्स देना पड़ेगा। 

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3 . कृषि से होने वाली आमदनी को बाकी व्यवसायों में निवेश करता है, तो किसान भाई उस निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स भुगतान करेंगे। अगर कोई किसान खेती से होने वाली आमदनी को शेयर बाजार में निवेश करता है, तो उसे उस निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा।

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