जायद में गन्ना की बुवाई की वर्टिकल विधि और इसके क्या-क्या लाभ हैं ?

By: Merikheti
Published on: 09-Mar-2024

किसान भाई अब जायद सीजन की गन्ने की बिजाई करना शुरू करेंगे। समयानुसार गन्ने की बिजाई विधि में परिवर्तन देखने को मिलता है। गन्ना किसान रिंग पिट विधि, ट्रैच विधि और नर्सरी से पौधे लाकर गन्ने की बुवाई करते हैं। प्रत्येक गन्ना बिजाई विधि के अलग-अलग लाभ हैं। 

बीते कुछ समय से गन्ने की बुवाई के लिए वर्टिकल विधि काफी ज्यादा लोकप्रिय हो रही है। यह नवीन विधि सबसे पहले उत्तरप्रदेश के किसानों ने अपनाई थी। गन्ने की खेती में इस विधि के उपयोग से बीज कम लगता है और उपज ज्यादा मिलती है। अब किसान इस विधि को ज्यादा अपना रहे हैं। 

वर्टिकल विधि के फायदे इस प्रकार हैं 

गन्ने की वर्टिकल विधि से बिजाई करना काफी आसान है। इसमें बराबर मात्रा एवं सही दूरी पर पोरी लगाई जाती है एवं जमाव भी बराबर रहता है। साथ ही, मजदूरों की कम आवश्यकता पड़ती है।

वर्टिकल विधि में कल्लों का फुटाव काफी अधिक होता है। 8 से 10 कल्ले सरलता से निकलते हैं। 4 से 5 क्विंटल बीज प्रति एकड़ तक लगता है। बीज पर भी काफी कम खर्चा होता है। इसमें एक आंख की कांची को काटकर सीधा लगाना होता है। इस विधि से बिजाई करने पर गन्ने का जमाव जल्दी होता है।

ये भी पढ़ें: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा गन्ने की इन तीन प्रजातियों को विकसित किया है

वर्टिकल विधि के माध्यम से ज्यादा उत्पादन हांसिल होता है। इसमें एक समान कल्ले फूटते हैं और कल्लों में गन्ने भी समान मात्रा में निकलते हैं। वर्टिकल विधि से 500 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार हांसिल की जा सकती है।

गन्ने की वर्टिकल विधि क्या होती है ?

गन्ना बिजाई की वर्टिकल विधि में कतार से कतार का फासला 4 से 5 फीट और गन्ने से गन्ने का फासला लगभग 2 फीट रखा जाता है। इस विधि में एक एकड़ जमीन पर 5 हजार आंखे लगती हैं।

किसानों को कृषि वैज्ञानिकों के दिशा निर्देशन में खेती करनी चाहिए 

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक, किसानों को गन्ना की एक ही किस्म पर सदैव निर्भर नहीं रहना चाहिए। वक्त-वक्त पर किस्म में बदलाव करना चाहिए। यदि किसान दीर्घ काल तक एक ही किस्म की बुवाई करते हैं, तो उसमें कई तरह के रोग लग जाते हैं और पैदावार में भी गिरावट होती है। 

इस वजह से किसानों को भिन्न-भिन्न प्रजातियों का चयन करना चाहिए। साथ ही, किसानों को सलाह दी जाती है, कि अपने क्षेत्र की जलवायु व खेत की मृदा के अनुसार स्थानीय कृषि अधिकारियों के दिशा-निर्देशन में ही गन्ने की खेती करें।

श्रेणी