Ad

फसल

कलिहारी की खेती | बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

कलिहारी की खेती | बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

कलिहारी एक बहुवर्षीय बेल की फसल हैं। कलिहारी को एक जड़ी-बूटी वाली फ़सल के तौर पर उगाया जाता हैं।कलिहारी का उपयोग दवाइयों में किया जाता हैं। कलिहारी से तैयार दवाइयों से जोड़ों का दर्द, एंटीहेलमैथिक, ऐंटीपेट्रिओटिक के ईलाज के लिए और पॉलीप्लोइडी को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।आज के इस लेख में हम आपको कलिहारी की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकरी देंगे।कलिहारी की खेती के लिए मृदा और जलवायुकलिहारी की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यता होती हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी में उचित पोषक तत्व होने बहुत आवश्यक होती हैं।मिट्टी में...
ब्राह्मी की खेती: उन्नत विधि, लाभ और उत्पादकता बढ़ाने के टिप्स

ब्राह्मी की खेती: उन्नत विधि, लाभ और उत्पादकता बढ़ाने के टिप्स

ब्राह्मी का नियमित सेवन मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। यह तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने के लिए भी प्रभावी मानी जाती है। ब्राह्मी का अर्क त्वचा रोगों और सूजन को ठीक करने में सहायक है।इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणों को धीमा करते हैं।ब्राह्मी का उपयोग चाय और स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक के रूप में भी किया जाता है, जो समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।मिट्टी और जलवायुयह पौधा...
शतावरी की खेती कैसे करें? जानें बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

शतावरी की खेती कैसे करें? जानें बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई की पूरी जानकारी

शतावरी का पौधा भारत के हिमालय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके सफेद फूल गुच्छों में फल देते हैं। औषधीय दवाओं में इसके कंद का इस्तेमाल भी गुच्छों में होता है। शतावरी पौधे को पूरी तरह विकसित होने और कंद के इस्तेमाल लायक होने में तीन वर्ष लगते हैं।इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। शतावरी पौधों को अधिक सिंचाई नहीं चाहिए। शुरुआत में सप्ताह में एक बार और बाद में महीने में एक बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए।इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।शतावरी की खेती क लिए जलवायु...