अलनीनों का खतरा होने के बावजूद भी चावल की बुवाई का रकबा बढ़ता जा रहा है

अलनीनों का खतरा होने के बावजूद भी चावल की बुवाई का रकबा बढ़ता जा रहा है

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किसान सामान्य तौर पर खरीफ सीजन में सोयाबीन, गन्ना, मूंगफली, चावल, मक्का और कपास समेत अन्य फसलों की रोपाई और बुवाई चालू करते हैं, जो जुलाई एवं अगस्त महीने तक जारी रहती है।

बतादें कि मानसून के आगमन के साथ आरंभ हुई प्रचंड बारिश से भले ही सब्जी और बागवानी फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा हो। परंतु, खरीफ फसलों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। विशेष कर जुलाई के आरंभिक हफ्तों में हुई मूसलाधार बारिश से धान की खेती करने वाले किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। पानी की बेहतरीन व्यवस्था होने की वजह से वे बहुत ही तीव्रता से धान की रोपाई कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब तक 23.7 मिलियन हेक्टेयर में धान की बिजाई की गई है, जो कि इसी अवधि में विगत वर्ष के तुलनात्मक 1.71% ज्यादा है।

चावल के रकबे को लेकर कृषि विशेषज्ञों ने क्या कहा है

अब ऐसी स्थिति में कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि यदि इसी प्रकार से वर्षा होती रही और किसान धान की रोपाई करते रहें, तो चावल के उत्पादन में भी विगत वर्ष के मुकाबले अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। इससे महंगाई को नियंत्रित करने में सरकार को काफी हद तक सहायता मिलेगी। हाल ही, में भारत सरकार ने चावल के बढ़ते भावों पर नियंत्रण पाने के लिए सभी प्रकार के गैर- बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। फिलहाल, इस खरीफ सीजन में धान के क्षेत्रफल में वृद्धि की खबर, केंद्र सरकार के लिए किसी सहूलियत से कम नहीं है।

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बारिश में आमतौर पर कितने प्रतिशत की गिरावट हुई है

किसान सामान्यतः 1 जून से सोयाबीन, गन्ना, मूंगफली, चावल, मक्का, कपास सहित अन्य फसलों की रोपाई और बिजाई आरंभ करते हैं, जो जुलाई और अगस्त महीने तक चलती रहती है। इन महीनों के दौरान भारत में मानसून सक्रिय रहता है। अगस्त तक समस्त राज्यों में रूक- रूक कर वर्षा होती रहती है, जिससे खरीफ फसलों को वक्त पर सिंचाई के लिए पानी मिलता रहता है। ऐसे इस बार जून में भारत के अंदर सामान्य से 10% प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। वहीं, कुछ राज्यों में बारिश की कमी औसत से 60% प्रतिशत तक कम थी।

मक्के की बुवाई कितने मिलियन हेक्टेयर हुई

मौसम विभाग द्वारा इस बार अलनीनो को लेकर भविष्यवाणी की गई थी। उसने कहा था, कि जुलाई महीने में अलनीनो की स्थिति मजबूत हो सकती है, जिससे बरसात में बहुत कमी होगी। परंतु, ऐसा नहीं हुआ जुलाई महीने में विभिन्न राज्यों में आवश्यकता से अधिक बारिश हुई। विशेष कर पंजाब और हरियाणा में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। हालांकि, इस साल मानसून ने आने में अपने तय समय से काफी विलंभ किया। इससे दक्षिण और पूर्वी भारत के राज्यों में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई में बहुत ही कमी दर्ज हुई है। ऐसा कहा जा रहा है, कि किसानों ने 17.1 मिलियन हेक्टेयर में सोयाबीन सहित तिलहन की बुआई की, जो पिछले साल की तुलना 2.3% ज्यादा है। मक्के की बुवाई 6.9 मिलियन हेक्टेयर में की गई है। इसी तरह कपास के रकबे में थोड़ी सी गिरावट आई है।

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