ओडिशा के एक रेलकर्मी बने किसान, केरल में ढाई एकड़ में करते हैं जैविक खेती

ओडिशा के एक रेलकर्मी बने किसान, केरल में ढाई एकड़ में करते हैं जैविक खेती

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आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो खेती को केवल अपने शौक के तौर पर करते हैं। उनका उद्देश्य खेती से कोई लाभ कमाना नहीं है बल्कि ऐसा केवल वे अपना शौक पूरा करने के लिए करते हैं। उन्हें शुरू से ही खेती को लेकर काफी जुनून था।

यह कहानी है केरल के कांजीवरम में रहने वाले एक रेलवे कर्मी की, जिनका नाम हरिनाथ मांझी है जो कि जैविक खेती करते हैं। जैविक खेती की ओर उनका यह रुझान देखते हुए उन्हें पड़ोसी ने खेती करने के लिए जमीन दी। जहां पर वे जैविक तरीके से फलों और सब्जियों की खेती करते हैं। कई लोग उनके पास ताजी सब्जियां लेने आते हैं और बाकी बची हुई सब्जियों को वे बाजार में बेच देते हैं।

हम जानते हैं कि कृषि रोजगार का एक अच्छा विकल्प है, इसलिए अधिकतर लोगों का रुझान कृषि की ओर जा रहा है। इसके साथ ही कुछ लोग अपना शौक पूरा करने के लिए खेती करते हैं। खेती के ऐसे ही शौकीन इंसान हरिनाथ माझी हैं, जो कि ओडिशा के केंदुझार जिले के रहने वाले हैं।

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हरीनाथ का रुझान खेती के प्रति बहुत अधिक था। उनकी नौकरी रेलवे में स्टेशन मास्टर के लिए लग गई थी लेकिन खेती के प्रति उनकी दिलचस्पी इस कदर थी की वह अपनी नौकरी करने के साथ-साथ खाली समय में सब्जियां उगाते थे। जहां भी वे रहते थे वहां की आस पास की जमीन में सब्जियां उगाते थे।

उनके द्वारा उगाई गई सब्जियों की गुणवत्ता काफी अच्छी होती थी जिस वजह से उनके आसपास के पड़ोसी भी उनके द्वारा उगाई गई सब्जियों से प्रभावित होकर उनके यहां सब्जियां खरीदने आते थे। और शेष बची हुई अतिरिक्त सब्जियों को वे बाजार में बेच आते थे।
इसके बाद हरीनाथ जहां भी रहते थे वहां भी अपने आसपास की बंजर जमीन को उपजाऊ बना देते थे और उसमें तरह तरह की सब्जियों की खेती करके मुनाफा कमाते थे।

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पड़ोसी ने की हरिनाथ की मदद :

हरिनाथ की जैविक खेती के प्रति इस लगन को देखकर उनके पड़ोसी ने उन्हें ढाई एकड़ जमीन दी। जिस पर वे जैविक खेती करने लगे और तरह-तरह की सब्जियां उगाने लगे। इसके साथ ही वे अपने ग्राहकों को सब्जियों की होम डिलीवरी के साथ उन्हें बाजार से कम दामों में सब्जियां उपलब्ध कराते थे।

हरिनाथ का खेती के प्रति यह रुझान बचपन से ही रहा है। बचपन से ही उन्हें खेतों में काम करना पसंद था। खेती शुरू से ही उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रही है। लेकिन वर्तमान में स्टेशन मास्टर होने के कारण वह अपना पूरा समय खेती को नहीं दे पाते। जिस वजह से अपनी नौकरी करने के बाद जो समय शेष बचता है उसमें वे सब्जियों की खेती और उनकी देखरेख करते हैं।

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कीटनाशक रहित सब्जियां उगाते हैं :

हरिनाथ कीटनाशक रहत सब्जियों की खेती करते हैं। सब्जियों में भी जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। हरीनाथ का कहना है कि उनके द्वारा गाई गई सब्जियों में 95 फीसदी सब्जियां कीटनाशक रहित और विभिन्न प्रकार के उर्वरक रहित हैं। हरीनाथ अपने ढाई एकड़ के खेत में दो बार बुवाई करते हैं। जिससे उन्हें 20 क्विंटल धान की पैदावार प्राप्त होती है।

खेती करने के कारण उन्हें कई वर्षों तक अपने परिवार से दूर रहना पड़ा। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने खेती के प्रति इस रुझान को कम नहीं होने दिया। हां कल आया था वर्तमान में हरिनाथ अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं।

दूसरा प्लान, गौपालन करना :

हरीनाथ रोज ड्यूटी जाने से पहले और ड्यूटी से आने के बाद खेतों में अपना काम करते हैं। खेती से प्राप्त अपने उत्पाद को हरीनाथ ग्राहकों को बेच देते हैं और बचे हुए उत्पाद को शहर में सब्जी विक्रेताओं को बेचते हैं।

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हरिनाथ में अपनी खेती करने के साथ-साथ दुधारू पशुओं को पालने की भी योजना बनाई है। वे स्थानीय डेरी सोसाइटी को 5 से 6 लीटर दूध बेचते हैं। हरीनाथ खेती करने के साथ-साथ दुधारू पशुओं का दूध भी बेचते हैं। जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है।

 

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