सावधान फलों को ताजा एवं आकर्षक दिखाने हेतु हो रही जहरीली वैक्स की कोटिंग

By: MeriKheti
Published on: 07-Jan-2023

आजकल खाद्य पदार्थों में बहुत ज्यादा मिलावटखोरी की जा रही है। फिर चाहे वो आटा हो दूध हो या मसाला यहां तक कि अब फल-सब्जियां भी सुरक्षित नहीं रही हैं। सब्जियों की बात करें तो इनको ताजातरीन व चमकीला बनाए रखने हेतु काफी हानिकारक दवाइयां लगाई जा रही हैं, जिनकी पहचान करना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य हेतु फलों का उपभोग करता है। इन फलों द्वारा ऐसे पोषक तत्व अर्जित होते हैं, जो कि सामान्य रूप से खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं हो पाता है। परंतु, क्या आपको पता है कि कभी-कभी इन फलों द्वारा आपका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता हैं। आपको जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि फलों को चमकाने व ताजा रखने हेतु एक प्रकार की वैक्स अथवा मोम का उपयोग किया जाता है। बाजार में जब यह चमकीले फल आते हैं, तो अपने आकर्षण के कारण हाथों हाथ बिक जाते हैं। लोग बिना किसी जाँच-पड़ताल के इन फलों का सेवन भी कर लेते हैं। परंतु, इन पर फलों पर लगाई गयी नुकसानदायक वैक्स आपके शरीर को अंदरूनी तरीके से काफी हानि पहुंचाती है।

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आगे हम आपको इस इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आखिर क्यों फलों पर वैक्स की कोटिंग की जा रही है। फलों पर चढाई जा रही वैक्स कितने प्रकार की होती है, इससे क्या हानि हैं, कैसे वैक्स की कोटिंग वाले फल को पहचानें एवं खाने से पूर्व फलों से कैसे इस वैक्स को हटाएं।

वैक्स की कोटिंग किस वजह से की जाती है

सर्वाधिक वैक्स सेब के फल पर लगाई जाती है। फल पेड़ों पर लगे हों तो उनकी तुड़ाई से 15 दिन पूर्व रंग लाने हेतु रासायनिक छिड़काव किया जाता है। इसकी वजह से सेब का रंग लाल व चमकीला हो जाता है। रसायन के सूखने के उपरांत सेब के ऊपर प्लास्टिक अथवा मोम जैसी परत निर्मित हो जाती है। जल से धोने की स्थिति में सेब हाथ से भी फिसल जाएगा, परंतु वैक्स नहीं हट पायेगी। इस प्रकार सेब के ऊपर मोम की कोटिंग करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। आमतौर पर फल, सब्जियों की तुड़ाई के उपरांत फलों में शीघ्रता से खराब होने की संभावना बनी रहती है। फल व सब्जियों के विपणन हेतु शहर तक ले जाने में भी काफी वक्त लग जाता है। ऐसे में फल व सब्जियों के संरक्षण एवं आसानी से बाजार तक ले जाने हेतु प्राकृतिक वैक्स का उपयोग किया जाता है, जो बिल्कुल शहद की भाँति मधुमक्खी के छत्ते द्वारा प्राप्त की जाती है। वैक्स के छिड़काव से फलों का प्राकृतिक पोर्स बंद हो जाता है एवं नमी ज्यों की त्यों रहती है। सामन्यतः ऐसा हर फल के साथ में नहीं किया जाता, बल्कि निर्यात होने वाले अथवा महंगे फल-सब्जियों पर ही वैक्स का उपयोग किया जाता है।

इसकी अनुमति किसके माध्यम से प्राप्त होती है

बहुत सारे लोग यह सोचते हैं, कि बहुत सारे दशकों से फलों पर वैक्स का उपयोग किया जा रहा है, तो क्या ये सुरक्षित है? आपको बतादें, कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया FSSAI द्वारा एक निर्धारित सीमा तक प्राकृतिक मोम मतलब नेचुरल वैक्स की कोटिंग करने की स्वीकृति देदी है। यह प्राकृतिक मोम शारीरिक हानि नहीं पहुंचाता। विशेषज्ञों के अनुसार फलों पर उपयोग की जा रही वैक्स भी तीन प्रकार की होती है, जिसमें ब्राजील की कार्नाबुआ वैक्स (Queen of Wax), बीज वैक्स एवं शैलेक वैक्स शम्मिलित है।

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अगर फलों पर इनमें से किसी भी वैक्स उपयोग हुई है, तो दुकानदार का यह सबसे बड़ा दायित्व है, कि फलों पर लेबल लगाकर खरीदने वाले को ज्ञात कराए कि इस वैक्स को क्यों लगया गया है। परंतु नेचुरल वैक्स के बहाने कुछ लोग अधिकाँश रासायनिक वैक्स का उपयोग करते हैं। उसका न तो फलों पर लेबल दिखाई देता है व ना ही किसी प्रकार की कोई जानकारी दी गयी होती है। बहुत से शोधों द्वारा पता चला है, कि फलों पर हर प्रकार की वैक्स स्वास्थ्य हेतु काफी नुकसानदायक होती है। इसकी वजह से शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे देखते ही देखते बदहजमी, अपच एवं पेट दर्द की समस्या से लेकर आंख, आंत, लीवर, हृदय, आंत में कैंसर, आंतों में छाले अथवा इंफेक्शन उत्पन्न हो जाता है।

वैक्स की आड़ में मिलावट खोर कर रहे धांधली

रिपोर्ट्स के मुताबिक, FSSAI की तरफ से एक सीमित मात्रा में ही नेचुरल वैक्स के उपयोग की अनुमति प्राप्त होती है। जो कि मधुमक्खी के छत्ते से तैयार किया जाता है, जिसको जल में डालते वक्त ही निकल जाती है, साथ ही, यह पूर्णतय सुरक्षित है। परंतु इस प्राकृतिक मोम के अतिरिक्त, बहुत सारे व्यापारी बाजार में जब फलों की मांग बढ़ती है तब कुछ मिलावट-खोर लोग फल एवं सब्जियों को चमकाने हेतु पेट्रोलियम लुब्रिकेंट्स, रसायनयुक्त सिंथेटिक वैक्स, वार्निश का उपयोग भी करते हैं। जो स्वास्थ्य हेतु नुकसानदायक अथवा जानलेवा भी साबित हो सकता है। इनकी पहचान हेतु फल खरीदते वक्त ही रंग, रूप एवं ऊपरी सतह को खुरचकर पहचान की जा सकती है। किसी धारदार चीज अथवा नाखून से फल को रगड़ने तथा खुरचने के उपरांत सफेद रंग की परत या पाउडर निकलने लगे तो समझ जाएं कि वैक्स का उपयोग किया गया है।

वैक्स को हटाने का आसान तरीका

बाजार में मानकों पर आधारित वैक्स की कोटिंग वाले फलों के विक्रय हेतु अनुमति होती है। इस वैक्स को हटाना को ज्यादा मुश्किल काम नहीं होता है, आप फलों को पहले देखभाल करके ही खरीदें एवं घर लाकर गर्म जल से बेहतरीन रूप से धुलकर-कपड़ों से साफ करके खाएं। बतादें, कि गर्म जल की वजह से वैक्स पिघल जाती है साथ ही केमिकल भी फलों से निकल जाता है। यदि आप चाहें तो एक बर्तन में जल लेकर नींबू एवं बेकिंग सोडा डालें और सब्जियों-फलों को इस पानी में छोड़ सकते हैं। कुछ देर के उपरांत सब्जियों को बेहतर तरीके से रगड़कर साफ करें और खाएं। कुल मिलाकर फल-सब्जियों को खरीदते वक्त एवं खाने से पूर्व सावधानियां जरूर बरतें। क्योंकि आजकल बाजार में मिलावटखोर खूब मिलावटी सामान बाजार में शुद्ध बताकर बेच रहे हैं। इसलिए हमें बेहद सावधान और जागरुक होने की आवश्यकता है। यदि आपको कोई गलत पदार्थ बेचता है तो उसकी तुरंत शिकायत की जाए।

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