रोका-छेका अभियान: आवारा पशुओं से फसलों को बचाने की पहल

By: MeriKheti
Published on: 14-Jul-2022

फसलों को आवारा पशुओं से काफी नुक्सान होता है. देश के विभिन्न राज्यों में यह समस्या काफी विकराल होती जा रही है. उत्तर प्रदेश के किसान आवारा पशुओं से फसल को बचाने के लिए रात रात भर खेतों की रखवाली के लिए मजबूर हैं. किसानों ने सरकार से फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए गुहार भी लगायें हैं. बिहार में नीलगाय ( घोड्परास ) के आतंक से त्रस्त हैं. सरकार ने भी इस ओर कड़े कदम उठाते हुये इन्हें मारने की इजाजत दी है और इसके लिए बाहर से शूटर भी मंगाए गए हैं. कहने का तात्पर्य यह है की कमोबेश आवारा पशु फसल के लिए अभिशाप बने हुये हैं.

रोका - छेका अभियान

छत्तीसगढ़ के किसान भी आवारा पशुओं द्वारा फसलों को बर्बाद किये जाने को लेकर परेशान हैं. इसके कारण किसानों को काफी नुक्सान सहना पड़ता है. फसलों को आवारा पशुओं से बचाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. आवारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रोका – छेका अभियान (Roka Cheka Abhiyan) चलाई जा रही है. 10 जुलाई से 20 जुलाई तक चालु खरीफ के समय ये अभियान चलाई जा रही है. इसको लेकर सरकार द्वारा किसानों से सहयोग की अपील की गयी है.

ये भी पढ़ें: भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दी किसानों को सलाह, कैसे करें मानसून में फसलों और जानवरों की देखभाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से कहा है कि रोका – छेका हमारी परम्परा में है. योजना को सफल बनाने की अपील करते हुये उन्होंने कहा,  किसान संकल्प लें कि चराई के लिए पशुओं को खुले में नहीं छोड़ें. घर, खलिहान या गौठानों (गौशाला) में पशुओं को रखें और उनके चारा पानी का इंतजाम करें. रोका छेका का काम, अब गांव में गौठानों के बनने से सरल हो गया है। गौठानों में पशुओं की देखभाल और उनके चारे-पानी का प्रबंध समितियां कर रही हैं. खरीफ फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए पुरे प्रदेश में यह अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाएगा. ये भी पढ़ें : गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई

पशुओं के किये स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन

फसल को चराई से बचाने के लिए पशुओं को नियमित रूप से गौठान में लाने के लिए रोका-छेका अभियान के तहत ढिंढोरा पीटकर प्रचार-प्रसार भी कराया जा रहा है. गौठानों में पशु चिकित्सा शिविर लगाकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच, पशु नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भधान एवं टीकाकरण किया जा रहा है. पशुओं में बरसात के मौसम में गलघोंटू या घरघरा रोग और एकटंगिया की बीमारी होती है। पशुओं को इन दोनों बीमारियों के संक्रमण से बचाने के लिए पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुओं को टीका लगाया जा रहा है. गोठानों में लगने वाले इस शिविर में किसान अपने पशुओं का स्वस्थ्य जांच और टीकाकरण भी करा सकते हैं।  खुरपका और मुंहपका रोग के रोकथाम की कवायद तेज की गयी। ये भी पढ़ें : तुलसी की खेती : अच्छी आय और आवारा पशुओं से मुक्ति

पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था

राज्य में पशुधन की बेहतर देखभाल हो सके इसी उद्देश्य से गांव में गौठानों का निरमान कराया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों की माने तो अब तक 10,624 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दे दी गयी है, जिसमें से 8408 गौठान का निर्माण कार्य पूर्ण हो चूका है. चारागाहों का भी तेजी से विकास किया जा रहा है, ताकि गौठानों में आने वाले पशुओं को सुखा चारा के साथ हरा चारा भी उपलब्ध कराई जा सके. राज्य के 1200 से अधिक गौठानों में हरे चारे का उत्पादन भी पशुओं के लिए किया जा रहा है।  

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