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केंद्रीय स्तर से हरियाणा, पंजाब सहित इन राज्यों में भीगे गेहूं की होगी खरीद

केंद्रीय स्तर से हरियाणा, पंजाब सहित इन राज्यों में भीगे गेहूं की होगी खरीद

केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं खरीदी चालू कर दी गई है। साथ ही, मार्च में हुई बारिश से अधिकांश किसानों का गेहूं भीग गया था। केंद्र सरकार द्वारा नवीन नियमोें के अंतर्गत 20 प्रतिशत तक भीगा गेहूं खरीदने की छूट दी प्रदान की गई है।

भारत के विभिन्न राज्यों में गेहूं की कटाई चालू हो चुकी है। कटाई के उपरांत मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान शीघ्र ही मंडी में गेहूं बेचने के लिए जा रहे हैं। साथ ही, हाल में हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों का काफी गेहूं भीग गया था।

किसान चिंतिति थे, कि भीगे गेहूं को किस प्रकार मंडी में विक्रय किया जाए। वर्तमान में उसी को लेके केंद्र सरकार की तरफ से कदम पहल की जा रही है। 

गेहूं खरीद को लेकर भीगे गेहूं के लिए जो नियम सख्त थे। अब केंद्र सरकार द्वारा उनमें काफी राहत दे दी गई है। किसानों को गेहूं बेचने के लिए ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

केंद्र के स्तर से कई राज्यों में भीगे गेंहू खरीदी पर राहत

मार्च माह में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में गेहूं की फसल को काफी मोटी हानि पहुंची थी। किसानों का गेहूं काफी ज्यादा भीग गया था। 

राज्य के किसान केंद्र सरकार से गेहूं खरीद में सहूलियत देने की मांग कर रहे थे। अब तीनों राज्यों के लिए केंद्र सरकार के स्तर से गेहूं खरीद हेतु बनाए गए नियमों में ढ़िलाई की गई है। इसका यह अर्थ है, कि किसान वर्षा से प्रभावित गेहूं को भी एमएसपी पर विक्रय कर पाएंगे।

कितने फीसद तक भीगा गेंहू खरीदेंगी गेंहू एजेंसियां

गेहूं खरीद के संदर्भ में केंद्र सरकार काफी चिंतित है। केंद्र सरकार का यह प्रयास रहा है, कि विगत वर्ष के सापेक्ष में किसी भी परिस्थिति में गेहूं की खरीद न हो पाए। 

इस वजह से सरकार का प्रयास है, कि जैसा भी गेहूं मंडियों में बिक्री के लिए पहुंच रहा है। उसको किसानों से खरीद लिया जाए। नवीन नियमों के अंतर्गत एफसीआई और बाकी एजेंसियों से कहा गया है, कि 20 प्रतिशत तक भीगा गेहूं एजेंसियों द्वारा खरीदा जा सकता है। 

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लाखों हेक्टेयर गेहूं की फसल हुई प्रभावित

एक आंकड़ें के मुताबिक, इस वर्ष मार्च में हुई वर्षा से भारत भर में 11 लाख हेक्टेयर में बोई गई गेहूं की फसल प्रभावित हुई है। इससे 1.82 लाख किसान प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। 

फिलहाल, केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान में 20 फीसद के भीगे गेहूं के अनुरूप खरीद के लिए कहा गया है। मध्य प्रदेश सरकार भी इसी नियम के आधार पर कार्य कर रही है। वहां भी काफी राहत प्रदान कर दी गई है।

विगत वर्ष की तुलना में गेंहू खरीदी का लक्ष्य कम

देश में गेहूं खरीद शुरू कर दी गई है। केंद्र सरकार द्वारा रबी मार्केर्टिंग सीजन 2023-24 में 341.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जबकि विगत वर्ष यह लक्ष्य 444 लाख मिट्रिक टन था। 

इस बार गेहूं खरीद में अच्छी खासी गिरावट आ रही है। ऐसे में कम गेहूं खरीद से खुद केंद्र सरकार परेशान है। घरेलू खपत का प्रबंधन करना भी केंद्र सरकार के लिए चुनौती होगा।

बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदेगी सरकार, आदेश किए जारी

बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदेगी सरकार, आदेश किए जारी

पिछले दिनों देश भर में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने कहर बरपाया है। इसका असर उत्तर प्रदेश में भी हुआ है। जिसके चलते प्रदेश के किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। इस मौसम परिवर्तन के कारण गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जिससे किसान बेहद चिंतित हैं। बरसात के कारण गेहूं के दाने अपेक्षाकृत छोटे हुए हैं, इसके साथ ही गेहूं के दाने टूट भी गए हैं। जिससे किसानों को फसल बेंचने में परेशानी हो रही है। इस परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि अब टूटे-फूटे और सिकुड़े गेहूं की भी खरीद की जाएगी, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही सरकार ने शर्त रखी है कि विक्रय के लिए आए गेहूं में टूटे-फूटे और सिकुड़े गेहूं का प्रतिशत 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अभी तक जिस गेहूं के ढेर में 6 फीसदी से ज्यादा टूटा-फूटा और सिकुड़ा गेहूं होता था, उसे सरकार नहीं खरीदती थी। लेकिन अब सरकार ने मानकों को बढ़ा दिया है। सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि अब 18 फीसदी तक खराब गेहूं की खरीदी की जाएगी। खराब गेहूं की खरीदी के लिए उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। सरकार की ओर से कहा गया है कि यह फैसला किसानों के हितों को देखते हुए लिया गया है। यह भी पढ़ें: केंद्रीय स्तर से हरियाणा, पंजाब सहित इन राज्यों में भीगे गेहूं की होगी खरीद सरकार की तरफ से कहा गया है कि खराब गेहूं के विक्रय के दौरान रेट में कटौती की जाएगी। फिलहाल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं 2125 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। अगर गेहूं 6 प्रतिशत तक खराब है तो उसके भाव में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी। अगर गेहूं 6-8 प्रतिशत तक खराब है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 5.31 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी। 8-10 प्रतिशत तक टूटे व सिकुड़े होने पर 10.62 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की जाएगी। इसी प्रकार 10-12 प्रतिशत पर 15.93 रुपये प्रति क्विंटल, 12-14 प्रतिशत पर 21.25 रुपये प्रति क्विंटल, 14-16 प्रतिशत पर 26.56 रुपये प्रति क्विंटल और 16-18 प्रतिशत पर 31.87 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से कटौती की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि आपदा के कारण जिस गेहूं की चमक कम हो गई है ऐसे गेहूं को भी सरकार खरीदेगी। अगर गेहूं की चमक में 10 से लेकर 80 प्रतिशत तक की कमी आई है तो उसके भाव में  5.31 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी। वहीं अगर गेहूं की चमक 10 फीसदी से कम खराब हुई है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी।
गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए

गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए

चंडीगढ़। हरियाणा से गोपालकों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। हरियाणा सरकार ने एक देसी गाय खरीदने पर किसान को 25000 रुपए की सब्सिडी देने की घोषणा की है। 

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया गया है। हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एक देसी गाय की खरीद पर किसान को 25 हजार रुपए देने का फैसला लिया है। 

साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम निःशुल्क दिए जाएंगे। हरियाणा राज्य इस तरह की घोषणा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

पीएम की मुहिम को सफल बनाने का प्रयास

- हरियाणा सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेचुरल फार्मिंग वाली मुहिम को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे जहरीले केमिकल वाली खेती पर अंकुश लग सके।

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50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य

- मनोहरलाल खट्टर सरकार ने प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में 'खेत प्रदर्शनी' कार्यक्रम लगाए जाएंगे, 

जिससे दूसरे किसान भी जहरीली खेती करने से तौबा करें और जैविक खेती की ओर रुख करें। प्राकृतिक खेती से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

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इस तरह किया गया है एलान

- हरियाणा के करनाल स्थित डॉ. मंगलसैन ऑडिटोरियम में प्राकृतिक खेती पर राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। 

बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों को स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की गई है। 

ऐसे सभी किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान तय किया गया है। सीएम ने कृषि वैज्ञानिकों से सीधा संवाद किया और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने की बात कही। और जिम्मेदार अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी दिए। ------ लोकेन्द्र नरवार

पालड़ी राणावतन की मॉडल नर्सरी से मरु प्रदेश में बढ़ी किसानों की आय, रुका भूमि क्षरण

पालड़ी राणावतन की मॉडल नर्सरी से मरु प्रदेश में बढ़ी किसानों की आय, रुका भूमि क्षरण

ग्रामीण सहभागी नर्सरी बनी आदर्श, दो साल में दो गुनी हो गई इनकम

वर्तमान में पंजीकृत कृषि विकास नर्सरी की सुविधाओं को देश के हर इलाके में विस्तार देने के मकसद को नई दिशा मिली है।

पालड़ी राणावतन की मॉडल नर्सरी

भाकृअनुप - केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, (ICAR - Central Arid Zone Research Institute) जोधपुर, राजस्थान ने इस दिशा में अनुकरणीय पहल की है। संस्थान की ओर से भोपालगढ़ तहसील के ग्राम पालड़ी में 0.02 हेक्टेयर क्षेत्र में एक मॉडल नर्सरी विकसित की गयी है, इससे न केवल रोजगार के साधन विकसित हुए हैं, बल्कि भूमि का क्षरण (भू-क्षरण) रोकने में भी मदद मिली है।

क्यों पड़ी जरूरत

भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान स्रोत से ज्ञात जानकारी के अनुसार, निवर्तमान रजिस्टर्ड नर्सरी के मान से किसान मित्रों को गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान करने संबंधी महज 1/3 मांग पूरी की जा रही है। असंगठित क्षेत्र के मुकाबले संगठित क्षेत्र में इस कमी की पूर्ति के लिए जरूरी, अधिक नर्सरी की स्थापना के लिए यह मॉडल नर्सरी विकसित की गई है।

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मॉडल नर्सरी का यह है मॉडल

भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान ने इस मॉडल तंत्र में 10 कृषि महिला-पुरुषों को मिलाकर एक मॉडल ग्रुप का गठन किया। इस गठित समूह को संस्थान की ओर से कार्यक्रम के जरिये वाणिज्यिक नर्सरी प्रबंधन पर कौशल प्रशिक्षण देकर दक्षता में संवर्धन किया गया।

दी गई यह जानकारी

समूह के चयनित सदस्यों समेत अन्य किसानों को कार्यक्रम में रूटस्टॉक और स्कोन का विकास करने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसके अलावा नर्सरी में जरूरी कटिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक, कीट और रोग प्रबंधन के बारे में भी गूढ़ जानकारियां कृषि वैज्ञानिकों ने प्रदान कीं।

ये भी पढ़ें: कैसे डालें धान की नर्सरी रिकॉर्ड कीपिंग के साथ ही आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे, बाड़ लगाने, छाया घर, मदर प्लांट, पानी की सुविधा और अन्य इनपुट जैसे नर्सरी उपकरण, बीज, नर्सरी मीडिया, उर्वरक, पॉली बैग भी समूह को प्रदान किए गए।

नर्सरी के माध्यम से हुआ सुधार

प्राप्त आंकड़़ों के मान से राजस्थान में कुल परिचालन भूमि जोत का पैमाना 7.7 मिलियन है। गौरतलब है कि पिछले तीन दशकों के दौरान कृषि संबंधी जानकारियां किसानों तक पहुंचाने के कारण शुद्ध सिंचित क्षेत्र में 140 प्रतिशत की बढ़त हासिल हुई है। इसमें खास बात यह है कि, सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि इसमें कारगर साबित हुई है। इससे नई कृषि वानिकी और बागवानी प्रणालियों को राज्य में विकसित करने में मदद मिली है।

इस मामले में सफलता

कृषि वानिकी एवं बागवानी प्रणालियों के विस्तार में सब्जियों के साथ पेड़ों की खेती का विस्तार हुआ है। जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों के बीच क्वालिटी प्लांटिंग मटेरियल (क्यूपीएम/QPM) यानी गुणवत्ता रोपण सामग्री को प्रदान कर उन्हें इस्तेमाल में लाया गया। आपको बता दें, क्यूपीएम यानी गुणवत्ता रोपण सामग्री, कृषि और वानिकी में राजस्व में वृद्धि, प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों संबंधी अनुकूलन क्षमता में सुधार के साथ ही बाजार में गुणवत्ता पूर्ण कच्चा माल संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए एक प्राथमिक एवं अनिवार्य इकाई है। किचन गार्डन में कई सब्जियों जबकि बाग के कुछ पेड़ों संबंधी सिद्ध तरीकों के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की मांग देखी गई है। यह भी देखा गया है कि, स्थानीय स्तर पर किसानों या पर्यावरण प्रेमियों को वास्तविक और रोग मुक्त रोपण सामग्री न मिलने के कारण इसे हासिल करने के लिए लंबी दूरी पाटनी पड़ती थी।

नर्सरी में हुआ यह कार्य

नर्सरी में मांग आधारित फल, सब्जी और कृषि-वानिकी प्रजाति आधारित बीजों को विकसित करना शुरू किया।

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दो साल में दोगुनी से अधिक हुई आय

विकसित बीजों एवं उनके विकास के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करने का परिणाम यह हुआ कि मात्र 2 साल के अंदर ही समूह सदस्यों की कमाई डबल से भी ज्यादा हो गई। दी गई जानकारी के अनुसार समूह सदस्यों के पास कुल मिलाकर, 870 मानव दिवस का रोजगार था। इसका आधार यह था कि, इसके लिए उन्होंने 77 हजार से अधिक संवर्धित बीज पैदा किए और 2.98 के बी:सी (B:C) अनुपात के साथ कई रोपों को बेचकर 6, 83,750 रुपये अर्जित किए। बताया गया कि समूह में शामिल होने के पहले तक एक महिला सदस्य की वार्षिक आय 20 हजार रुपये तक थी। नर्सरी में शामिल होने के बाद हर साल 120 दिन काम करने से उसे 40 हजार रुपये कमाने में मदद मिली है। इस समय व्यक्तिगत समूह के सदस्य 30 से 40 हजार रुपये कमा रहे हैं। जिनके पास हर साल 100 से 150 दिनों का रोजगार है।

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दुर्बल खेती

नर्सरी की गतिविधियाँ जनवरी से जून तक दुर्बल खेती के मौसम से मेल खाती हैं। इससे रोजगार सृजन का एक अतिरिक्त लाभ भी सदस्यों को मिला है। अब इससे प्रेरित होकर अन्य साथी किसान, पर्यावरण मित्र एवं घरेलू बागवानी के शौकीन लोग भी इससे जुड़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि इसके सदस्यों को आस-पास के ग्रामीण अंचलों के साथ ही शहरों के साथ ही पड़ोसी जिलों तक अपना अंकुर पहुंचाने के लिए प्रशिक्षित करने से भी लाभ हुआ है।

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MSP पर छत्तीसगढ़ में मूंग, अरहर, उड़द खरीदेगी सरकार

MSP पर छत्तीसगढ़ में मूंग, अरहर, उड़द खरीदेगी सरकार

फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना लक्ष्य

छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार ने
मूंग, अरहर और उड़द की उपज की समर्थन मूल्य पर खरीद करने की घोषणा की है। खरीद प्रक्रिया क्या होगी, किस दिन से खरीद चालू होगी, किसान को इसके लिए क्या करना होगा, सभी सवालों के जानिए जवाब मेरीखेती पर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में कृषकों के मध्य फसल विविधता (Crop Diversification) को बढ़ाना देने के लिए यह फैसला किया है। इसके तहत छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार ने दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था में बदलाव किया है।

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अधिक मूल्य दिया जाएगा -

सरकार के निर्णय के अनुसार अब दलहन पैदा करने वाले किसानों को दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक दिया जाएगा। ऐसा करने से प्रदेश में अधिक से अधिक किसान दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे।

दलहनी फसलों को प्रोत्साहन -

छत्तीसगढ़ प्रदेश राज्य सरकार ने छग में दलहनी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मूंग, अरहर, उड़द की उपज के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की है।

फसल विविधीकरण (Crop Diversification) -

मूंग, अरहर, उड़द जैसी पारंपरिक दलहनी फसलों को समर्थन मूल्य प्रदान करने का राज्य सरकार का मकसद फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना भी है।

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फसल विविधीकरण के लिए राज्य सरकार ने मूंग, उड़द और अरहर को एमएसपी की दरों पर खरीदने की घोषणा की है।

इतनी मंडियों में खरीद -

ताजा सरकारी निर्णय के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश की 25 मंडियों में अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर दाल की खरीदारी की जाएगी। मंडिंयों का चयन करते समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि, अधिक से अधिक किसान प्रदेश सरकार की योजना से लाभान्वित हों। मंडियां नजदीक होने से दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों को मौके पर लाभ मिलेगा और उनकी कमाई बढ़ेगी।

खरीफ खरीद वर्ष 2022-23 -

राज्य सरकार के फैसले के तहत अब छत्तीसगढ़ प्रदेश में मौजूदा खरीफ फसल (Kharif Crops) खरीद वर्ष 2022-23 में अरहर, मूंग और उड़द की खरीद एमएसपी पर की जाएगी। सरकारी सोसायटी को हरा मूंग बेचने वाले किसानों को प्रति क्विंटल 7755 रुपए मिलेंगे। राज्य सरकार द्वारा संचालित नोडल एजेंसी छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विवणन संघ (मार्कफेड) द्वारा राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दाल की खरीदारी की जाएगी।

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दलहनी फसलों का रकबा बढ़ाना लक्ष्य -

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने राज्य में दलहन फसलों का रकबा बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कृषि विभाग को किसानों को दलहन की पैदावार करने के लिए जी तोड़ मेहनत करने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों को दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने हेतु दाल को एमएसपी के दायरे में लाने की सरकारी मंशा की जानकारी दी।

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मीडिया को उन्होंने बताया कि, 2022-23 के खरीफ फसल प्लान के अनुसार दलहनी फसलों का रकबा बढ़ा है। उन्होेंने दलहनी फसलों के रकबे में 22 फीसदी की बढ़ोतरी होने की जानकारी दी।

उत्पादन का लक्ष्य बढ़ा -

राज्य सरकार ने इस साल प्रदेश में दो लाख टन से अधिक (232,000) दाल उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य पिछले खरीफ सीजन के संशोधित अनुमान से लगभग 67.51 फीसदी अधिक है।

पिछली खरीद के आंकड़े -

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने खरीफ सीजन 2021-22 में राज्य के दलहन उत्पादक किसानों से 139,040 टन दाल की खरीद की थी। पिछले साल के 501 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की तुलना में इस बार 520 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दाल उत्पादन का लक्ष्य प्रदेश में रखा गया है।

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अहम होंगी ये तारीख -

प्रवक्ता सूत्र आधारित मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने इस साल एमएसपी पर दाल की खरीद के लिए सभी संभागीय आयुक्त, कलेक्टर, मार्कफेड रीजनल ऑफिस और मंडी बोर्ड को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं। किसानों के लिए एमएसपी पर उड़द, मूंग और अरहर बेचने की तारीख जारी कर दी गई है। इसके मुताबिक किसान 17 अक्टूबर 2022 से लेकर 16 दिसंबर 2022 तक उड़द और मूंग की उपज एमएसपी पर बेच पाएंगे। अरहर की खरीद 13 मार्च 2023 से लेकर 12 मई 2023 तक की जाएगी।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

इस बार छत्तीसगढ़ प्रदेश के पंजीकृत किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही ट्वीट में बताया गया है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह अच्छी खुशखबरी है, क्योंकि राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद करने की घोषणा की है। मुख्य बात यह है कि १ नवंबर से धान की खरीद प्रारंभ होगी, इसके साथ ही प्रदेश सरकार किसानों से एमएसपी पर मक्का की खरीद भी करेगी। वहीं, किसानों ने एमएसपी पर धान बेचने के लिए पंजीयन करवाना आरम्भ कर दिया है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख ३१ अक्टूबर है, जबकि राज्य में १७ अक्टूबर से ही उड़द, अरहर एवं मूँग समेत कई दलहनी फसलों की खरीद एमएसपी पर प्रारम्भ हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्वीट कर कहा है कि राज्योत्सव के चलते ही एक नवम्बर से धान खरीद प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी। इस बार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से ११० लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही, ट्वीट में कहा है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन संपन्न भी हो चुका है। साथ ही, जो किसान अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए हैं, वह धान को बेचने के लिये एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लें। मुख्यतय बात यह है कि खरीफ वर्ष २०२१-२२ में धान को एमएसपी पर बेचने वाले पंजीकृत किसानों को पुनः पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होगी।

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छत्तीसगढ़ सरकार इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी मक्का की फसल

छत्तीसगढ़ राज्य में १ नवंबर से धान के साथ-साथ मक्के को भी एमएसपी पर खरीदे जाने की घोषणा की गयी है। मक्का को एमएसपी पर बेचने वाले किसान भी एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर समस्त जरुरी कागजातों के साथ आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा किसानों को आवेदन एवं पंजीयन समेत और भी जानकारियां के लिए एकीकृत किसान पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसको किसानों के खेत व फसल बुवाई के रकबे का सत्यापन हेतु भुइयाँ पोर्टल (bhuiyan portal) से भी जोड़ा जायेगा। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन द्वारा शुक्रवार को धान खरीदी समेत कल्याणकारी व महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गयी। इस दौरान उन्होंने कस्टम मिलिंग, समितियों से धान परिवहन की व्यवस्था सहित इस खरीफ सीजन में धान खरीदी के सन्दर्भ में अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं के सम्बंध में भी दिशा निर्देश जारी किए हैं।
प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना जनपद में आयोजित हुए कृषि मेला के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है, कि खेती में डीएपी, यूरिया का बेहद कम इस्तेमाल करें। साथ ही, जैव उर्वरक व नैनो यूरिया का प्रयोग बढ़ना चाहिए। किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से प्राकृतिक खेती पर अधिक ध्यान देने की बात कही है। मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद में आयोजित कृषि मेले में उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से गौवंश की उपयोगिता में वृद्धि होगी। गाय के गोबर व गौमूत्र के प्रयोग से उर्वरक निर्मित करेंगे तो निश्चित रूप से कम लागत लगेगी। साथ ही, इस प्रकार से उत्पादन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। आज आवश्यकता इस बात की है, कि खेती की लागत कम हो और किसानों की आमदनी बढ़ती रहे। उत्पाद उम्दा किस्म के होने चाहिए एवं खेतों में सूक्ष्म सिंचाई का प्रयोग करना चाहिए, इससे जल की बचत भी होगी और फसल की पैदावार भी होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह भी कहना है, कि भारत में ८० प्रतिशत लघु किसान हैं, जिनकी सहायता के लिए १० हजार नवीन एफपीओ गठित करने की योजना तैयार की है। जिसके लिए ६,८६५ करोड़ खर्च करेगी केंद्र सरकार।


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खाद्य तेलों की कमी की भरपाई होगी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तिलहन की घटोत्तरी व आयात निर्भरता को कम करने हेतु सरकार द्वारा ऑयल पाम मिशन बनाया गया है। जिसके लिए ११ हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी सरकार। किसान तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी होगा एवं गांव देहातों में नवीन आय के स्त्रोत उत्पन्न होंगे। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए आर्थिक संकट व मुसीबत की घड़ी में कृषि क्षेत्र अपनी अहम भूमिका निभाता है

इन किसानों को काफी लाभ मिलेगा

नरेंद्र तोमर ने कहा कि यह कृषि मेला अंचल, चंबल व ग्वालियर के लिए बेहतर कृषि के हिसाब से बहुत सहायक साबित होगा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने इस कृषि मेले के दौरान लगभग हजारों किसानों का मार्गदर्शन किया एवं प्रशिक्षण भी दिया साथ ही किसानों की सहायता हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) समेत पुरे देश से आये हुए कृषि संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों को साधूवाद दिया। साथ ही, मेले को आयोजित करने हेतु समस्त सहायक निधियों का आभार व्यक्त किया। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=BwU3hGXNodM&t=86s[/embed]

नरेंद्र तोमर ने कहा किसानों की आय दोगुनी हो गयी है

नरेंद्र तोमर का कहना है कि आज कृषि संबंधित योजनाएं आय बढ़ाने से संबंधित बनाई गयी हैं जबकि पूर्व में सिर्फ पैदावार से संबंधित योजनाएं बनाई जाती थी। आय में वृद्धि हेतु कई सारी योजनाएं लागू की जा रही हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुना से ज्यादा करने के लिए कहा उसके उपरांत केंद्र एवं राज्य सरकारों व किसानों ने एक जुट होकर इस ओर भरपूर प्रयास किए हैं। श्रीनगर (कश्मीर) में केसर का उत्पादन होता है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा केसर पार्क स्थापित हुआ साथ ही अन्य सहायक सुविधाऐं प्रदान की जिसके परिणामस्वरूप १ लाख रूपये किलो भाव से बढ़कर २ लाख रूपये किलो हो गयी है।
केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से लाखों किसानों को होगा लाभ

केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से लाखों किसानों को होगा लाभ

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) को व्यवस्थित किया है, जिसको बेहतर रूप से चलाने हेतु केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा बुधवार को बैठक की गयी। इस दौरान नरेंद्र तोमर ने संबंधित अधिकारियों से कहा है, कि भारत में कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के साथ ही किसानों द्वारा किये गए उत्पादन के उचित भाव प्रदान करना सरकार का मुख्य उद्देश्य है। इसलिए कोई भी योजना किसानों के लाभ के लिए ही बनती है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार, भारतीय बागवानी के विकास पर कलस्टर विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन की सहायता से किसानों को हर संभव लाभ हो इसपे जोर दिया जायेगा। निश्चित रूप से किसानों को इस कार्यन्वयन से फायदा होगा। तोमर ने कहा कि पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिजोरम, झारखंड, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और असम समेत विभिन्न राज्यों को भी उनकी प्रमुख फसल संबंधित चिन्हित किए गए ५५ कलस्टरों की तालिका में साम्मिलित किया जाना होगा। तोमर ने बताया कि पहचान किए गए संगठनों के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से संबंधित संस्थानों के पास उपलब्ध जमीन का प्रयोग इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु होना चाहिए। तोमर ने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को फसल विविधीकरण एवं उत्पादन विक्रय हेतु बाजार से जोड़ने और क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया है।

किसानों को होंगे बेहद लाभ

बतादें कि, राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान लघु एवं सीमांत किसानों को फायदा प्रदान करने हेतु खेतों में संचलित की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी लेने व निगरानी उद्देश्य हेतु बुनियादी ढांचे की जियो टैगिंग इत्यादि की आवश्यकता है। बैठक में कहा गया है, कि क्लस्टर विकास कार्यक्रम में बागवानी उत्पादों की बेहतरीन व समयानुसार निकासी और परिवहन हेतु बहुविधि परिवहन के उपयोग के साथ अंतिम-मील संपर्कता का निर्माण करके संपूर्ण बागवानी पारिस्थितिकी तंत्र के परिवर्तन हेतु काफी सामर्थ्य है।


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सीडीपी अर्थव्यवस्था के लिए तो सहयोगी है, ही साथ में क्लस्टर-विशिष्ट ब्रांड भी निर्मित करेगा। जिससे उनको राष्ट्रीय व वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में साम्मिलित किया जा सके, इसकी सहायता से किसानों को अधिक पारिश्रमिक उपलब्ध हो पाएंगे। सीडीपी से तकरीबन १० लाख किसानों व मूल्य श्रृंखला से जुड़े हितधारकों को फायदा होगा। सीडीपी का लक्ष्य चयनित फसलों के निर्यातों में करीब २०% का सुधार हो और क्लस्टर फसलों की प्रतिस्पर्धात्मकता की वृद्धि हेतु क्लस्टर-विशिष्ट ब्रांड बनाना है। सीडीपी के माध्यम से बागवानी क्षेत्र में निश्चित तौर पर बेहद निवेश किया जा सकेगा।
इस सरकार ने 14 लाख किसानों को भेजे 11 हजार करोड़, धान खरीदी जारी

इस सरकार ने 14 लाख किसानों को भेजे 11 हजार करोड़, धान खरीदी जारी

बतादें, कि छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीद बहुत ही तीव्रता से की जा रही है। फिलहाल, 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद राज्य सरकार द्वारा हो चुकी है। 14 लाख धान कृषकों के खाते में साढ़े 11 हजार करोड़ रूपये की धनराशि भी भेज दी गयी है। भारत में धान खरीदी का कार्यक्रम कुछ राज्यों में रुक सा गया है, तो कुछ मेें बहुत तीव्रता से धान खरीदी दर्ज हुई है। इस वर्ष राज्य सरकारों के जरिये भी कृषकों को सहूलियत दी है, समस्त राज्य सरकारों ने 48 घंटे से 72 घंटे के मध्य में कृषकों के खाते में एमएसपी(MSP) का रुपया भेज दिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी बहुत जोर शोर से चल रही है। यहां खरीद केंद्रों पर धान विक्रय किया जा रहा है।


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किसानों के लिए अच्छी व्यवस्था एवं उनकी सुविधाओं का भी खरीद केंद्र प्रशासन व जिला प्रशासन काफी ख्याल रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के समस्त जनपदों की मंडियों में धान खरीदी तेजी से चल रही है। यदि राज्य सरकार के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो राज्य में तकरीबन 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा चुकी है। इस धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (MSP On Paddy) के तौर पर लगभग 14 लाख कृषकों के खाते में साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये की धनराशि भेजी जा चुकी है। इस धनराशि को बैंक लिंकिंग व्यवस्था के माध्यम से भेजा गया है।


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कितने लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य तय किया गया है

प्रदेश में एक नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ की जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वर्ष कृषकों द्वारा 110 लाख मीट्रक टन धान खरीदी की जानी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) जी ने समस्त जनपदों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है, कि खरीद केंद्रों पर जो भी किसान आऐं उनको कोई भी प्रकार की परेशानी या दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए धान खरीद करना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए किसानों का धान हर कीमत पर खरीदा जाए।

कितने न्यून्तम समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा धान

छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी एमएसपी के अनुरूप की जा रही है, धान खरीदी हेतु 2594 उपार्जन केन्द्र स्थापित किये जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कृषकों द्वारा खरीदा जा रहा है। वहीं, दूसरे राज्य से विक्रय हेतु आये हुए धान पर काफी सजगता व सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासन इसको एक अवैध परिवहन मानता है और तत्कालिक रूप से कार्यवाही भी कर रहा है।


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कितने हजार ऑनलाइन टोकन जारी किये जा चुके हैं

धान खरीदी हेतु 70,356 टोकन, साथ ही, टोकन तुंहर हाथ एप के माध्यम से 19,481 ऑनलाइन टोकन जारी किए जा चुके हैं। किसान ऑनलाइन पंजीकरण में भी अपना रुझान कर रहे हैं, इस वर्ष 25.92 लाख कृषकों का पंजीकरण हो गया है। इसमें से करीब 2.26 लाख नवीन कृषक सम्मिलित हुए हैं। दूसरी जगह पंजीकृत कृषकों का धान का क्षेत्रफल में वृध्दि होकर 30.44 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है।
किसान भाई बेल की इन प्रजातियों को उगाकर सूखे में भी मुनाफा कमा सकते हैं

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अगर आप सूखे वाले स्थान पर रहते हैं और साथ ही आप अपनी फसल से अच्छा उत्पादन नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, तो आपके लिए बेल की बागवानी सबसे अच्छा विकल्प मानी जाती है। इसके लिए आज हम आपको नीचे दी गई किस्मों को अपने बगीचे में लगा सकते हैं। यह सभी किस्म वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई बेहतरीन किस्म हैं।

बेल की बागवानी कृषकों के लिए सबसे अच्छी है

बागवानी करने वाले किसान भाइयों के लिए
बेल की बागवानी (Wood Apple Gardening) सबसे बेहतर होती है। दरअसल यह हर एक तरह की परिस्थिति में अपना विकास करने में सक्षम हैं. इसके लिए किसान को अधिक मेहनत करने की कोई खास जरूरत नहीं होती है। अगर आप कम पानी वाले स्थान पर रहे रहे हैं, तो आपने यहां के ज्यादातर किसानों को बेल की खेती करते हुए देखा होगा। क्योंकि यह कम जल में भी अच्छा उत्पादन देती है। तो आइए आज हम अपने इस लेख में सूखे वाले स्थान पर बेल की बागवानी कैसे करें इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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बेल की लगभग सभी प्रजातियों को एक ही जगह पर आसानी से उगा सकते हैं

वैसे देखा जाए तो बेल की तकरीबन सभी किस्मों को किसान एक एक क्षेत्र में सहजता से उगा सकते हैं। परंतु, अगर आप सूखे वाली जगह पर रहते हैं और बेल की बागवानी से अच्छा खासा उत्पादन अर्जित करना चाहते हैं, तो आपको अपने खेत और बगीचे में इन किस्मों का चयन करना चाहिए। जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं। थार नीलकंठ, गोमायशी और थार दिव्य जैसी बेहतरीन किस्मों को अपने घर लगा सकते हैं। यह सभी किस्म केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र वेजलपुर गुजरात में तैयार की गई हैं।

बेल की फसल के रोपण के दौरान आवश्यक काम

बेल की फसल से अच्छा फल प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी रोपण से लगाकर बाकी बहुत सारी जानकारियों पर ध्यान रखना होता है। बतादें, कि 2 माह पूर्व ही 1 घन मी. आकार के गड्ढेखोद कर खुला छोड़ दें। इसमें आपको न्यूनतम 3-4 टोकरी सड़ी हुई गोबर खाद और मिथाइल पैराथियान इत्यादि को डालना चाहिए। उसके बाद आपको खेत की बेहतर ढ़ंग से सिंचाई करनी है। ऐसा करने के 1 माह पश्चात आपको पौधा का रोपण करना है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बेल की रोपाई जुलाई-अगस्त माह में की जाती है और वहीं सिंचाई सुविधा होने पर फरवरी-मार्च के महीने में भी किसान रोपण कर सकते हैं।