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Garlic

सेहत के लिए लाभकारी लहसुन फसल की विस्तृत जानकारी

सेहत के लिए लाभकारी लहसुन फसल की विस्तृत जानकारी

भारत के ज्यादातर राज्यों में लहसुन की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। किसानो द्वारा इसकी खेती अक्टूबर से नवंबर माह के बीच में की जाती है। लहसुन की खेती में किसानो द्वारा कलियों को जमीन के अंदर बोया जाता हैं और मिट्टी से ढक दिया जाता हैं। बुवाई करने से पहले एक बार देख ले कंद खराब तो नहीं हैं,अगर कंद खराब हुई तो लहसुन की पूरी फसल खराब हो सकती हैं। 

लहसुन की बुवाई करते वक्त कलियों के बीच की दूरी समान होनी चाहिए। लहसुन की खेती के लिए बहुत ही कम तापमान की आवश्यकता रहती है। इसकी फसल के लिए न ही ज्यादा ठंड की आवश्कता होती हैं और न ही ज्यादा गर्मी की। लहसुन में एल्सिन नामक तत्व पाया जाता हैं, जिसकी वजह से लहसुन में से गंध आती हैं   

लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु 

लहसुन की खेती के लिए हमे सामान्य तापमान की जरुरत रहती हैं। लहसुन की कंद का पकना उसके तापमान पर निर्भर करता है। ज्यादा ठंड और गर्मी की वजह से लहसुन की फसल खराब भी हो सकती हैं। 

लहसुन के खेत को कैसे तैयार किया जाये 

लहसुन के खेत की अच्छे से जुताई करने के बाद खेत  में गोबर खाद का प्रयोग करें ,और उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दे। खेत की फिर से जुताई करें ताकि गोबर के खाद को अच्छे से खेत में मिलाया जा सके। इसके बाद खेत में सिंचाई का काम कर सकते है। अगर खेत में खरपतवार जैसे कोई रोग देखने को मिलते हैं तो उसके लिए हम रासायनिक खाद का भी प्रयोग कर सकते है।

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लहसुन खाने से होने वाले फायदे क्या हैं:

  • इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक हैं 
लहसुन खाने से इम्युनिटी बढ़ती हैं ,इसमें एल्सिन नामक तत्व पाया जाता हैं।  जो की शरीर के अंदर इम्मुनिटी को बढ़ाने में सहायता करता है।  लहसुन में जिंक ,फॉस्फोरस और मैग्नीशियम पाया जाता हैं जो की हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। 

  • केलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता हैं 
लहसुन बढ़ते हुए केलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होती हैं ,बढ़ता हुआ केलेस्ट्रॉल हमारे स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं। ये बेकार कॉलेस्ट्रॉल को बहार निकालने में सहायक होता हैं। लहसुन खून को पतला करके  हृदय से जुडी परशानियों को कम करने में सहायक होता हैं। 

  • कैंसर जैसी बीमारियों में रोकथाम 
लहसुन कैंसर बीमारी के रोकथाम में भी सहायक हैं। लहसुन के अंदर पाए जाने वाले बहुत से तत्व ऐसे रहते हैं जो कैंसर के बढ़ते हुए सेल्स को फैलने से रोकता हैं। लहसुन को कैंसर से पीड़ित लोगो के लिए फायदेमंद माना गया है। 

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  • पाचन किर्या में सहायक 

लहसुन खाना पाचन किर्या के लिए सुलभ माना जाता हैं। लहसुन को आहार में लेने से,ये आंतो पर आयी सूजन को कम करता है। लहसुन खाने से पेट में पड़ने वाले कीड़े खत्म हो जाते है। साथ ही यह आंतो को लाभ पहुँचता है। लहसुन खाने से शरीर के अंदर पड़ने वाले बेकार बैक्टीरिया को नष्ट करता हैं। 

लहसुन खाने से होने वाले नुक्सान क्या हैं 

लहसुन खाने से बहुत से फायदे होते हैं ,लेकिन कभी कभी लहसुन का ज्यादा उपयोग करना हानिकारक होता हैं।  जानिए लहसुन के ज्यादा उपयोग करने से होने वाले नुक्सान :

  • लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए हानिकारक 
लहसुन खाना ज्यादातर हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए बेहतर माना जाता हैं ,लेकिन यही इसका दुष्प्रभाव लो ब्लड प्रेशर वालो के व्यक्तियों के ऊपर पड सकता है। लहसुन का तासीर गर्म होता हैं जिसकी वजह से यह ,लो ब्लड प्रेशर वाले लोगो के लिए फायदेमंद नहीं  हैं। इसके खाने से जी मचलना और सीने पर जलन होना आदि हो सकता है। 

  • गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं 
लहसुन खाने से पाचन किर्या से सम्बंधित बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं , ज्यादा लहसुन खाने से डायरिया जैसी बीमारी भी हो सकती है। कमजोर पाचन किर्या वाले लोगो को ज्यादा लहसुन का पचाव अच्छे से नहीं हो पाता है ,जिसकी वजह से पेट में गैस ,दर्द और एसिडिटी जैसी बीमारियां भी उत्पन्न होती है।  

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  • रक्तश्राव और एलेर्जी जैसी समस्याओं को बढ़ावा देता हैं

जो रोजाना लहसुन का सेवन करते हैं उन्हें रक्तश्राव जैसे परेशानियां हो सकती हैं। लहसुन का उपयोग एलेर्जी से पीडित लोगो को नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को पहले से एलेर्जी हैं तो वो स्वास्थ्य परामर्श से सलाह लेकर लहसुन का प्रयोग कर सकते है। 

लहसुन का सेवन ज्यादातर सर्दियों के मौसम में किया जाता हैं, क्यूंकि लहसुन गर्म तासीर का रहता हैं। सर्दियों में ज्यादातर लोगो द्वारा भुना हुआ लहसुन खाया जाता है, क्यूंकि ये वजन कम करने और दिल को स्वस्थ्य रखने में मददगार रहता है। लेकिन जरुरत से ज्यादा लहसुन का उपयोग करने से शरीर को बहुत से नुकसान भी हो सकते है। लहसुन का खाली पेट सेवन करने से एसिडिटी जैसी समस्या भी हो सकती है। 

लहसुन में ब्लड को पतला करने वाले कुछ गुण विघमान होते हैं ,जो हृदय से संबंधित समस्याओं के लिए अच्छे होते हैं। अगर लहसुन का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे ब्लीडिंग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लहसुन को खाने का सबसे सही तरीका यह है, कि आप सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी के साथ लहसुन का सेवन करें। ये स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करता है। साथ ही, त्वचा से जुड़े रोगो के लिए भी अत्यंत उपयोगी माना जाता है। 

लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में अचानक से काफी उछाल आया है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गई थी। लहसुन की फसल बर्बाद होने से यह हो रहा है। इस माह भाव कम होने की संभावना है।

आम जनता को महंगाई की काफी मार सहन करनी पड़ रही है। समस्त चीजों में खूब महंगाई बढ़ी है और वहीं खाने की चीजों की बात की करें तो इसमें भी बेहद इजाफा हुआ है। घरों में जो सब्जियां तैयार की जाती हैं, उनमें स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन आवश्यक होता है। परंतु, वर्तमान में देखा जाए तो लहसुन की कीमतें भी आसमान को छू रहे हैं। लहसुन ₹400 किलो तक की कीमत तक पहुँच चुका है। 

आखिर किस वजह से लहसुन की कीमतें बढ़ रही हैं ?

बीते कुछ सप्ताह की बात करें तो लहसुन की कीमतों में प्रचंड तेजी से इजाफा हुआ है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गए थी। दरअसल, लहसुन की कीमत बढ़ने के पीछे जो अहम वजह है। वह लहसुन की फसल का खराब होना है। विभिन्न राज्यों में बेकार मौसम की वजह से लहसुन की फसलें बर्बाद हुई हैं। इसके चलते कीमतों में काफी उछाल देखा गया है। फसल खराब होने के चलते दूसरी फसल की रोपाई में समय लगेगा। इस वजह से लहसुन की नई उपज की आवक में देरी है, जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं। 

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मध्य प्रदेश में कीमतें कब कम होंगी ?

मध्य प्रदेश में लहसुन की सर्वाधिक खेती की जाती है। परंतु, मौसम की मार की वजह से फसल काफी प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से नई फसल आने में काफी विलंब हो रहा है। जैसे ही बाजार में लहसुन की नई फसल आ जाती है। लहसुन की कीमतों में गिरावट आऐगी। मंडी व्यापारियों के मुताबिक, खरीफ लहसुन के आने के पश्चात कीमत अत्यंत कम हो जाऐगी। मतलब कि फरवरी के माह में लहसुन की कीमतों के कम होने की संभावना है। 

जानें लहसुन की कीमत में कितना इजाफा हुआ है

जानें लहसुन की कीमत में कितना इजाफा हुआ है

मंडी समिति के सचिव मदन लाल गुर्जर ने बताया है, कि विगत एक सप्ताह से लहसुन के भाव में यह बढ़ोत्तरी हुई है। मंगलवार को लहसुन की कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि दर्ज की गई। राजस्थान में लहसुन के भाव में काफी उछाल आया है। अब ऐसी स्थिति में मंडियों में लहसुन की आवक बढ़ गई है। अत्यधिक कीमत होने की वजह से बड़ी तादात में किसान लहसुन की उपज को विक्रय करने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं। साथ ही, ऐसा भी सुनने को मिल रहा है, कि आगामी समय में कीमतों में और वृद्धि दर्ज होने की संभावना होती है। विशेष बात यह है, कि लहसुन के भाव में यह वृद्धि प्रतापगढ़ की मंडी में अधिक देखने को मिल रही है। इससे लहसुन उत्पादक किसान बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं। लहसुन की खेती करना काफी मुनाफे का सौदा साबित होता है। लहसुन शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। कई बार चिकित्सक भी मरीजों को लहसुन खाने की सलाह देते हैं। अधिकांश लोग सब्जी में लहसुन का तड़का दिए बिना सब्जी पसंद नहीं करते हैं।

लहसुन के भाव में 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मंडी समिति के सचिव मदन लाल गुर्जर ने बताया है, कि विगत एक सप्ताह से लहसुन के भाव में यह वृद्धि सामने आ रही है। मंगलवार को लहसुन की कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से वृद्धि दर्ज की गई है। वर्तमान में मंडी के अंदर एक क्विंटल लहसुन का भाव 13000 हो चुका है। यही कारण है, कि किसान अपनी फसल विक्रय करने हेतु बड़ी तादात में मंडी पहुँच रहे हैं। मंडी में प्रतिदिन लगभग 1500 बोरी लहसुन की आवक हो रही है। लहसुन व्यापारी नितिन चंडालिया का कहना है, कि आगामी दिनों में लहसुन की कीमत में और उछाल आएगा। साथ ही, यहां से लहसुन का निर्यात फिलहाल अन्य राज्यों में भी चालू हो चुका है। यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

टमाटर के भाव में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है

बतादें, कि राजस्थान में लहसुन के भाव में काफी इजाफा दर्ज हुआ है। महाराष्ट्र राज्य में टमाटर भी काफी महंगा हो चुका है। 30 रुपये किलो में मिलने वाले टमाटर की कीमत फिलहाल 60 रुपये तक पहुँच चुका है। बतादें, कि टमाटर उत्पादक काफी प्रसन्न हैं। वर्तमान, व्यापारी कृषकों से ज्यादा कीमत पर टमाटर खरीद रहे हैं। कृषकों को पहले एक किलो टमाटर के लिए 2 से 3 रुपये मिला करते थे। लेकिन, फिलहाल उनको काफी अच्छा भाव अर्जित हो रहा है।

राजस्थान के इस जनपद में हजारों हेक्टेयर में लहसुन की खेती

जानकारी के लिए बतादें, कि विगत वर्ष राजस्थान में लहसुन की उपज का समुचित भाव नहीं मिला था। सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना को मंजूरी मिलने के पश्चात भी उत्पादकों को लहसुन की समुचित कीमत नहीं मिल पाई थी। बतादें, कि किसान 14 रुपये किलो की दर से लहसुन का विक्रय करने हेतु विवश थे। बतादें, कि राजस्थान में किसान 1.31 लाख हेक्टेयर भूमि में लहसुन का उत्पादन करते है। बारा, हाड़ौती, बूंदी, झालावाड़ और कोटा इलाकों में किसान सर्वाधिक लहसुन की खेती करते हैं। इन इलाकों से 90 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन होता है। इसी कड़ी में बारा जनपद में उत्पादकों ने 30 हजार 420 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन किया है।
इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

आजकल सब्जी, मसाले और अनाजों की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। विगत वर्ष लहसुन का अच्छा-खासा उत्पादन हुआ था। इसकी वजह से होलसेल मार्केट में इसकी काफी कीमत गिर गई। ऐसी स्थिति में किसान फसल पर किया गया खर्चा तक भी नहीं निकाल पाए। भारत में महंगाई बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर की भाँति वर्तमान में भी लहसुन का भाव 170 रुपये किलो के पार ही है। बहुत सारे शहरों में तो इसकी कीमत 180 रुपये किलो के आसपास पहुंच चुकी है। पटना में अभी एक किलो लहसुन का भाव 172 रुपये है। साथ ही, कोलकता में यह 178 रुपये किलो बिक्रय किया रहा है। जबकि, तीन से चार महीने पहले यह बेहद सस्ता था। मार्च महीने तक रिटेल बाजार में यह 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा था। परंतु, मानसून के दस्तक देने के साथ ही इसके दाम भी महंगे हो गए।

उत्तर प्रदेश इतने प्रतिशत लहसुन की पैदावार करता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश के पश्चात राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती होती है। ये तीनों राज्य मिलकर 85 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करते हैं। राजस्थान 16.81 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करता है, जबकि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 6.57 फीसद है।

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मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है

लहसुन के व्यापारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है। यहां का मौसम एवं मिट्टी लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल उत्पादित लहसुन में मध्य प्रदेश की भागीदारी 62.85 प्रतिशत है। परंतु, पिछले साल समुचित भाव न मिलने की वजह से लहसुन उत्पादक किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा। बहुत सारे किसान कर्ज में डूब गए है। ऐसी स्थिति में किसानों ने इस वर्ष लहसुन की खेती करना कम किया, जिससे तकरीबन 50 प्रतिशत लहसुन का रकबा कम हो गया। ऐसी स्थिति में मांग के हिसाब से बाजार में लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह से अचानक कीमतें बढ़ गईं।

मध्य प्रदेश अन्य राज्यों में भी लहसुन की आपूर्ति करता है

बतादें कि संपूर्ण भारत में मध्य प्रदेश से लहसुन की सप्लाई होती है। यहां से दक्षिण भारत, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में लहसुन की सप्लाई की जाती है। नतीजतन, मध्य प्रदेश की मंडियों में लहुसन महंगे होने की वजह से दूसरे राज्यों में भी इसकी कीमतें बढ़ गईं। साथ ही, रतलाम जनपद के लहसुन उत्पादकों का कहना है, कि किसानों ने विगत वर्ष हुई हानि की वजह से लहसुन की खेती आधी कर दी थी। परंतु, इस बार की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पुनः रकबे में इजाफा करेंगे। ऐसे में आशा है, कि लहसुन की नवीन फसल आने के बाद कीमतों गिरावट शुरू हो जाएगी।
लहसुन का जैविक तौर पर उत्पादन करके 6 माह में कमाऐं लाखों

लहसुन का जैविक तौर पर उत्पादन करके 6 माह में कमाऐं लाखों

जैविक फल सब्जियों का बाजार के अंदर काफी अच्छा भाव मिलता है। ऐसी स्थिति में यदि आप लहसुन की खेती जैविक ढ़ंग से करते हैं, तो आप काफी मोटी आमदनी कमा सकते हैं। लहसुन की खेती काफी लाभदायक होती है। यदि आप इसकी खेती जैविक ढ़ंग से करते हैं, तो यह आपकी आमदनी को दोगुना कर सकती है। बाजार में रसायन मुक्त सब्जियों की काफी अधिक मांग होती है। लोग जैविक ढ़ंग से उगाई जाने वाली सब्जियों के लिए ज्यादा कीमत भी देने को तैयार रहते हैं। ऐसी स्थिति में आज हम आपको जैविक विधि से लहसुन की खेती करने के तरीके के विषय में बताने जा रहे हैं। जिस विधि को अपनाकर आप मोटी आमदनी कर सकते हैं।

जैविक ढ़ंग से खेत तैयार करना

लहसुन की जैविक खेती का उपयुक्त वक्त जुलाई माह की गर्मी में होता है। इस दौरान खेत की जुताई के उपरांत उसमें हरी खाद के साथ ढेंचा की बिजाई भी कर सकते हैं। आप इस बात का विशेष ख्याल रखें कि आप वक्त-वक्त पर हरी खाद के साथ मृदा को पलटते रहें। खेती के लिए मृदा में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। लहसुन की बिजाई के लिए मेढ़ निर्मित की जा सकती है। मेढ़ की लम्बाई जमीन के ढाल के अनुरूप ही तैयार करें।

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लहसुन की खेती के लिए जैविक खाद

खेत के उपजाऊपन में वृद्धि के लिए आप मृदा में सड़ी हुई गोबर की खाद एवं कम्पोस्ट को क्यारियों में मिला दें। आप स्वयं के घर पर नीम की पत्तियों से निर्मित खाद का भी उपयोग कर सकते हैं। खेत में कम्पोस्ट अथवा गोबर खाद का इस्तेमाल लहसुन की रोपाई के 15 से 20 दिन पश्चात ही कर दें।

लहसुन की फसल की सिंचाई

लहसुन की बिजाई के पश्चात इसकी प्रथम सिंचाई 8 से 10 दिन के उपरांत कर देनी चाहिए। इसकी बेहतरीन उपज पाने के लिए दूसरी सिंचाई को 20 से 25 दिन की समयावधि पर मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर करनी चाहिए। लहसुन की फसलों को सदैव निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती रहती है।

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लहसुन का भण्डारण

लहसुन की फसल को पककर तैयार होने में लगभग पांच से छह माह का वक्त लग जाता है। जब इसके पौधों की पत्तियों का रंग पीला नजर आने लगे तो इसकी सिंचाई बंद कर दें। साथ ही, कुछ दिनों के पश्चात इसकी मृदा से निकालना शुरु कर दें। इन गठिलें लहसून को तकरीबन 3 से 4 दिनों तक छाया में सूखने के लिए रख दें। वर्तमान में आप इसे घर की किसी सूखी जगह पर रख दें। यह लहसुन आगामी 6 से 8 महीनों तक भण्डारित करके रखा जा सकता है। एक एकड़ के खेत में आप सुगमता से इसकी खेती कर 2 से 3 लाख रुपये की आमदनी कर सकते हैं।
लहसुन की पैदावार कितनी समयावधि में प्राप्त की जा सकती है

लहसुन की पैदावार कितनी समयावधि में प्राप्त की जा सकती है

किसान भाई अपने घर के अंदर ही बड़ी सहजता से लहसुन का उत्पादन कर सकते हैं। यह लगभग आठ महीने में तैयार हो जाता है। लहसुन एक ऐसा मसाला है, जो किसी भी व्यंजन के स्वाद और जायके को सुगमता से बढ़ा सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लहसुन का महत्व किसी से छिपा नहीं है। आयुर्वेद में लहसुन को सौ मर्ज की एक औषधी बताया गया है। घर की थाली में यदि आप ताजा लहसुन को शम्मिलित करना चाहते हैं, तो इसे अपने घर में उगा सकते हैं। इसके लिए कुछ बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है। कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप घर में उगे लहसुन का लुफ्त उठा सकते हैं।

किसान भाई बेहतर गुणवत्ता वाले लहसुन का ही चयन करें

अगर आप अपने घर के अंदर लहसुन उगाने की योजना तैयार कर रहे हैं, तो सदैव सुनिश्चित करें कि आप बेहतरीन गुणवत्ता वाले लहसुन को ही चुनें। इससे उत्पादन काफी अच्छा होगा। मजबूत और बेदाग बड़ी कलियां चुनें, जिससे कि बेहतरीन गुणवत्ता वाला लहसुन उगाने में सहायता मिलेगी।

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लहसुन उत्पादन के लिए मृदा कैसी होनी चाहिए

घर में लहसुन उगाना सुगम नहीं होता है। इसके लिए मृदा की पीएच वैल्यू 7.0 के आसपास ही रहनी चाहिए। मृदा अत्यधिक अम्लीय अथवा क्षारीय नहीं होनी चाहिए। मृदा में खाद के साथ गोबर मिलाना फायदेमंद रहेगा। मृदा की आधी मात्रा के बराबर गोबर मिलादें। ज्यादा नाइट्रोजन वाले उर्वरक पौध को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

लहसुन की फसल में कार्बनिक खाद का उपयोग लाभकारी

लहसुन की फसल आठ माह के अंदर पककर तैयार होती है। तब पत्तियां हरा रंग छोड़कर पीली पड़ने लगती हैं। लहसुन की फसल के लिए कार्बनिक खाद का इस्तेमाल अधिक अच्छा माना जाता है।

लहसुन का पौधरोपण इस प्रकार करें

लहसुन की कली को बड़ी ही सावधानी से निकालें। परतदार छिलके को बिल्कुल न हटाएं। कलियां अलग करते वक्त आप कंद को नुकसान न पहुंचाएं। बड़ी कली लगाना सबसे बेहतर होता है, जिसमें छोटे अंकुर दिखाई पड़ते हैं। रोपण के लिए पंक्तियों के मध्य 6 इंच की दूरी होनी चाहिए। रोपण के उपरांत सीमित मात्रा में ही पानी डालें साथ ही कली को मृदा से ढक दें।
लहसुन की खेती करे कमाल (Garlic Crop Cultivation Information )

लहसुन की खेती करे कमाल (Garlic Crop Cultivation Information )

लहसुन की खेती यूंतो समूचे देश में की जाती है लेकिन हर राज्य के कुछ चुनिंदा इलाके इसकी खेती के लिए जाने जाते हैं। यह एक कन्द वाली मसाला फसल है। इसकी कलियों को ही बीज के रूप में रोपा जाता है।  इसमें एलसिन नामक तत्व गंध और इसके स्वाद के लिए जिम्मेदार होता है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। हर दिन लहसुन की एक कली खाने से रोग दूर रहते हैं। इसका उपयोग आचार,चटनी,मसाले तथा सब्जियों में किया जाता है। इसका उपयोग हाई ब्लड प्रेशर, पेट के विकारों, पाचन विकृतियों, फेफड़े के लिये, कैंसर व गठिया की बीमारी, नपुंसकता तथा खून की बीमारी के लिए होता है। इसमें एण्टीबैक्टीरियल तथा एण्टी कैंसरस गुणों के कारण बीमारियों में प्रयोग में लाया जाता है। इसकी खेती मुख्यत: तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, गुजरात, मध्यप्रदेश के इन्दौर, रतलाम व मन्दसौर, में बड़े पैमाने पर होती है। 

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 लहसुन की खेती के लिए मध्यम तापमान ज्यादा अच्छा रहता है। छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिये अच्छे होते हैं। इसकी सफल खेती के लिये 29.35 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70% आद्रता उपयुक्त होती है 

भूमि का चयन

 

 किसी भी कंद वाली फसल के लिए भुरभुरी मिट्टी अच्छी रहती है। इसके लिये उचित जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी होती है।

लहसुन की उन्नत किस्में

 

 एग्रीफाउड व्हाईट किस्म करीब 150 दिन में तैयार होकर 140 कुंतल, यमुना सफेद 1 (जी-1) 150-160 दिनों में तैयार होकर 150-160 क्विन्टल, यमुना सफेद 2 (जी-50) 160—70 दिन में 140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती हैं। जी 50 किस्म बैंगनी धब्बा तथा झुलसा रोग के प्रति सहनशील है। यमुना सफेद 3 (जी-282) किस्म 150 दिन में 200 कुंतल, यमुना सफेद 4 (जी-323) 175 दिन में 250 कुंतल तक उपज देती है। इनके अलावा भी अनेक किस्में क्षेत्रीय आधार पर ​विकसित हो चुकी हैं। इनके विषय में विस्तार से जानकारी हासिल कर किसान उन्हें लगा सकते हैं। लहसुन की बिजाई का उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर माह होता है। 

बीज की बिजाई

 

 लहसुन की बुवाई हेतु स्वस्थ एवं बडे़ आकार की कलियों का उपयोग करें। इनका फफूंदनाशक दबा से उपचार अवश्य करें। ऐसा करने से कई तरह के रोग संक्रमण से फसल को प्रारंभिक अवस्था में बचाया जा सकता है। बीज 5-6 क्विंटल प्रति हैक्टेयर लगता है। शल्ककंद के मध्य स्थित सीधी कलियों का उपयोग बुआई के लिए न करें।  कलियों को मैकोजेब+कार्बेंडिज़म 3  ग्राम दवा के सममिश्रण के घोल से उपचारित करना चाहिए। लहसुन की बुआई कूड़ों में, छिड़काव या डिबलिंग विधि से की जाती है। कलियों को 5-7 से.मी. की गहराई में गाड़कर उपर से हलकी मिट्टी से ढकना चाहिए। बोते समय कलियों के पतले हिस्से को उपर ही रखते है। बोते समय कलियों से कलियों की दूरी 8 से.मी. व कतारों की दूरी 15 से.मी.रखना उपयुक्त होता है। 

खाद एवं उर्वरक

 

 लहसुन की खेती के लिए कम्पोस्ट खाद ​के अलावा  175 कि.ग्रा. यूरिया, 109 कि.ग्रा., डाई अमोनियम फास्फेट एवं 83 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश की जरूरत होती है। गोबर की खाद, डी.ए. पी. एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि मे मिला देनी चाहिए। शेष यूरिया की मात्रा को खडी फसल में 30-40 दिन बाद छिडकाव के साथ देनी चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु 20 से 25 किलोग्राम माइक्रोन्यूट्रियंट मिश्रण मिट्टी में मिलाएं। 

सिंचाई प्रबंधन

कंद वाली ज्यादातर फसलों का बीज बोने के तत्काल बाद अच्छे अंकुरण हेतुु हल्की सिंचाई करें। तदोपरांत जरूरत और जमीन की मांग के अनुरूप पानी लगाएंं। जड़ों में उचित वायु संचार हेतु खुरपी या कुदाली द्वारा बोने के 25-30 दिन बाद प्रथम निदाई-गुडाई एवं दूसरी निदाई-गुडाई 45-50 दिन बाद करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण हेतु प्लुक्लोरोलिन 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व बुआई के पूर्व या पेड़ामेंथिलीन 1 किग्रा. सक्रिय तत्व बुआई बाद अंकुरण पूर्व 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।

मध्य प्रदेश: लहसुन की फसल को खेत में जलाने पर मजबूर हुए किसान, वहीं चीन से आयात हो रहा लहसुन

मध्य प्रदेश: लहसुन की फसल को खेत में जलाने पर मजबूर हुए किसान, वहीं चीन से आयात हो रहा लहसुन

इस साल देश में लहसुन (Garlic) का बंपर उत्पादन हुआ है, जिसके कारण बाजार में लहसुन की भरपूर उपलब्धता है। जरुरत से ज्यादा सप्लाई होने के कारण इन दिनों किसानों को लहसुन के मन मुताबिक़ दाम नहीं मिल पा रहे हैं। मध्य प्रदेश की कई मंडियों में तो यह हालात हो चुके हैं कि आढ़तिये लहसुन की फसल को कौड़ियों के दाम खरीदने के लिए तैयार हैं। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए प्रदेश के लहसुन किसान निराश होते जा रहे हैं। अब किसानों ने अपनी लहसुन की फसल को खुले में फेंकना शुरू कर दिया है, तो कई किसान अपनी फसल को नदी में फेंक आए हैं। बीते दिनों इस प्रकार के घटनाक्रमों के वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए हैं। अगर कृषि उपज मंडी में लहसुन के वर्तमान भाव की बात करें यह मात्र 2 से 5 रूपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। जबकि इसी समय पिछले साल लहसुन का भाव 25-30 रूपये प्रति किलो था। लहसुन का गिरता हुआ भाव किसानों के लिए एक बड़ी क्षति है, जिसके कारण किसान पूरी तरह से निराश हो चुके हैं। अभी खबर आई है कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में कई किसानों ने लहसुन की फसल के पर्याप्त दाम न मिलने के कारण उसमें आग लगा दी। इस मामले में किसानों का कहना है कि मौजूदा लहसुन के भाव इनपुट लागत और बाजारों तक परिवहन लागत को भी कवर नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वो इस फसल को बेवजह घर में नहीं रखना चाहते।


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चीन से आयात हो रहा है भारत में लहसुन

एक तरफ भारतीय किसानों को लहसुन के पर्याप्त दाम नहीं मिल पा रहे हैं, वहीं चीन से बड़ी मात्रा में भारत में लहसुन आयात किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण चीनी लहसुन में बड़े बल्ब का होना है। भारतीय बाजार में इन दिनों बड़े बल्ब वाली लहसुन दिनोंदिन फेमस होती जा रही है। जिसके कारण ग्राहक देशी लहसुन की अपेक्षा बड़े बल्ब वाली लहसुन खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं। इसका एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि चीनी लहसुन के बल्ब बड़े होने के कारण इनको छीलना बेहद आसान होता है। भारत में लहसुन की पर्याप्त कीमत न मिलने का एक बहुत बड़ा कारण लहसुन के रकबे में लगतार वृद्धि भी है। जिसके कारण उत्पादन बढ़ा है और बाजार में डिमांड उस रूप से नहीं बढ़ी, जिससे लहसुन के दाम धरातल पर आ गए। अगर पिछले 3 सालों में गौर करें तो पूरे देश में लहसुन के रकबे में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है। जिन किसानों ने भी लहसुन की खेती में अच्छी मेहनत की है तथा इनपुट लागत के रूप में बड़ी रकम लगाई है, वो अब निराश हो चले हैं। राजस्थान के कोटा और झालावाड़ के लहसुन किसानों का कहना है कि उन्होंने पहले तो लहसुन की खेती में अच्छी खासी रकम खर्च कर दी है, उसके बाद लहसुन को 6 माह तक स्टोर करने में भी पैसा लगाया है। अब इसके विक्रय से लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
लहसुन की इन पांच किस्मों की बुवाई करके आप भी ले सकते है बेहतर उपज

लहसुन की इन पांच किस्मों की बुवाई करके आप भी ले सकते है बेहतर उपज

लहसुन की खेती करके किसानों को कम समय में अधिक पैसा मिल सकता है। लहसुन की फसल से ही किसान आसानी से दस से पंद्रह लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। लेकिन लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जाननी चाहिए। वास्तव में, लहसुन की खेती न तो अधिक गर्म न तो अधिक ठंडा सीजन में की जाती है। कुल मिलाकर, अक्टूबर-नवंबर का महीना लहसुन के लिए सबसे अच्छा है क्योंकि इस महीने में कम ठंड और कम गर्मी है। अगर आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो आपको को ये भी पता होना जरुरी है कि किन किस्मों की बुवाई करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। यहां हम आपको लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जो की अधिक पैदावार देती है।

लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में कितनी पैदावार देती है 

किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बता दी की लहसुन की ये टॉप पांच उन्नत किस्में 140-170 दिनों में तैयार हो जाती हैं, और साथ ही 125-200 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम हैं। बता दें कि लहसुन की इन पांच उन्नत किस्मों का नाम यमुना सफेद-2 (जी-50), टाइप 56-4 किस्म, जी 282 किस्म, सोलन किस्म और एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) है। आइए अब इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते है।

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लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में

यमुना सफेद-2 (जी-50)-  लहसुन की इस किस्म का कंद काफी ठोस होता है और इसका गूदा क्रीमी रंग का होता है। इस किस्म की उपज 165-170 दिन में मिल सकती है और प्रति हेक्टेयर 130-140 क्विंटल उत्पादन देती है।

टाइप 56-4 किस्म-  पंजाब कृषि विश्वविधालय ने हुसन टाइप 56-4 किस्म विकसित की है। इस लहसुन की गांठें छोटी और सफेद होती हैं। इस किस्म में 25 से 34 कलियां हैं। यह प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल की उत्कृष्ट उपज देता है।

जी 282 किस्म- इस किस्म की लहसुन काफी सफेद रंग की होती है, जिसके गांठे बड़े-बड़े होते हैं. 282 किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं। खेत में 140 से 145 दिन में यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। 

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सोलन किस्म - हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने सोलन किस्म का लहसुन बनाया है। इस प्रकार की लहसुन बहुत मोटी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोलन लहसुन की किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादकता देती है।

एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)-  इस किस्म की लहसुन के कंद में 20-25 कलिया होती हैं। यह खेत में 160-165 दिन में तैयार होकर बेचने के लिए तैयार हो जाती है। लहसुन की एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) से किसान प्रति हेक्टेयर 125-130 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।