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IMD ने इस मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई है

IMD ने इस मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई है

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस वर्ष के मानसून सीजन का आँकलन जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य से ज्यादा वर्षा होगी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून सीजन 2024 को लेकर अपना अनुमान जारी किया है। आईएमडी ने भविष्यवाणी की है, कि इस बार मानसून सीजन में सामान्य से ज्यादा बरसात होगी। 

IMD ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी साझा की है। आईएमडी का कहना है, कि मॉनसून की बारिश सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान है। यह अनुमान 104% प्रतिशत तक जताया गया है।

अल-नीनो की स्थिति कैसे रहेगी और इसका प्रभाव कैसे कम होगा ?

आईएमडी का कहना है, कि इस वर्ष अल-नीनो की स्थिति मध्यम रहेगी। अल-नीनो धीरे-धीरे कमजोर होगा और मॉनसून की शुरुआत तक न्यूट्रल हो जाएगा। 

मौसम विभाग के अनुसार, मॉनसून की शुरुआत से ला-नीना सक्रिय हो जाएगा, जो कि अल-नीनो के विपरीत प्रभाव दिखाता है।

मौसम विभाग के कहने के अनुसार अल-नीनो के प्रभाव को रोकने में इंडियन डायपोल ओशन (आईओडी) पूरी तरह सक्रिय रहेगा। 

सरल शब्दों में कहें तो, पश्चिमी हिंदी महासागर का पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में बारी-बारी से गर्म व ठंडा होना ही हिंद महासागर द्विध्रुव यानी (आईओडी) कहलाता है। इससे अच्छी खासी मात्रा में वर्षा देखने को मिलेगी। 

भारत के कुछ पूर्वी एवं अन्य इलाकों को छोड़कर, इस बार बारिश सामान्य से ज्यादा होने की संभावना है। जानकारी के लिए बतादें, कि शानदार बरसात के लिए आईओडी का पॉजिटिव होना आवश्यक माना जा रहा है। 

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मौसम विभाग ने अग्रिम तौर पर कहा है, कि दक्षिण-पश्चिम के प्रदूषकों के बढ़ने पर आईओडी सक्रिय होगा और इससे बारिश बढ़ेगी।

आईएमडी के अनुसार कितनी बरसात होनी है ?

आईएमडी के अनुसार, इस वर्ष 104 प्रतिशत तक बारिश होने का अनुमान है, जो कि सामान्य से ज्यादा है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि अगर मानसून में बारिश 90% प्रतिशत से कम हो तो इसे कम बारिश ही माना जाता है। 

इसी प्रकार 90 से 96% प्रतिशत बारिश सामान्य से कम, 96 से 104 प्रतिशत बारिश को सामान्य, 104 से 110 प्रतिशत बारिश को सामान्य से ज्यादा और 110 से अधिक मॉनसूनी बारिश में दर्ज किया जाता है। 

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मौसम विभाग का कहना है, कि केवल उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो सब जगह सामान्य से अधिक वर्षा होगी।

सितंबर के महीने में सबसे ज्यादा वर्षा होने की भविष्यवाणी   

मौसम विभाग के अनुसार, मॉनसून के मौसम जून से सितंबर के मध्य 106% प्रतिशत वर्षा हो सकती है। यह सामान्य से काफी अधिक है। महीने के अनुरूप इस साल मॉनसून के पहले माह जून में लगभग 95% प्रतिशत वर्षा दर्ज होगी। 

वहीं, जुलाई के महीने में 105% प्रतिशत बारिश होगी। इसके बाद अगस्त में थोड़ी कम 98% प्रतिशत वर्षा होगी। इसके उपरांत सबसे ज्यादा वर्षा की उम्मीद सितंबर माह में 110% प्रतिशत तक है। 

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने समय से पहले केरल में दे दी दस्तक

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने समय से पहले केरल में दे दी दस्तक

भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से कहा गया कि 29 मई को मॉनसून ने केरल में दस्तक दे दी है, जबकि इसकी शुरुआत की सामान्य तौर पर जून से होती है| भारत मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department - IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, " दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 1 जून की शुरुआत की सामान्य तारीख के मुकाबले रविवार, 29 मई को केरल में प्रवेश किया है| दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने समय से पहले आ गया है |"

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इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है कि 29 मई को मॉनसून ने केरल में दस्तक दे दी है, जबकि इसकी शुरुआत की सामान्य तौर पर 1 जून से होती है| दक्षिण-पश्चिम मानसून को भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था  माना जाता है| लेकिन मौसम विभाग में कहा गया है कि केरल के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत के लिए स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं| आगे के लिए भी स्थितियां अनुकूल हैं| दक्षिण पश्चिम मॉनसून अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ रहा है|

अगले पांच दिनों में यहां बारिश हो सकती है :

  1. 30 और 31 मई को उप-हिमालयी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी वर्षा की संभावना है|
  2. 29 मई से 01 जून के दौरान असम-मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में बारिश हो सकती है|
  3. केरल और लक्षद्वीप में गरज / बिजली के साथ व्यापक रूप से हल्की / मध्यम वर्षा होने की संभावना है|
  4. अगले 5 दिनों के दौरान आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में छिटपुट भारी वर्षा की संभावना है|
  5. इसके अतिरिक्त कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में अगले 5 दिनों के दौरान हल्की/मध्यम वर्षा की संभावना है. वहीं, अगले 2 दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में बारिश हो सकती है|
  6. जबकि 29 मई को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अलग-अलग जगह ओलावृष्टि की संभावना है|
   
महाराष्ट्रः विदर्भ, मराठवाड़ा में फसलें जलमग्न, किसानों के सपनों पर फिरा पानी

महाराष्ट्रः विदर्भ, मराठवाड़ा में फसलें जलमग्न, किसानों के सपनों पर फिरा पानी

नांदेड़, हिंगोली, लातूर और बीड में नुकसान

गढ़चिरौली, नागपुर, बुलढाणा जिलों में सोयाबीन, कपास की खेती प्रभावित

देश के राज्यों में मौसम के बदले मिजाज ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कई राज्यों में पिछले रिकॉर्ड के अनुसार देर से बारिश शुरू होने से
खरीफ की फसल लेट चल रही है, तो महाराष्ट्र में इतनी बारिश हुई कि किसानों की खेती पर संकट खड़ा हो गया। महाराष्ट्र के किसानों से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदेश में भारी बारिश ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है। सूत्र आधारित सूचना के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में आठ लाख हेक्येटर भूमि खेतों में लगी फसल पानी के कारण खराब हो गई। इंडियन एक्सप्रेस ने कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से महाराष्ट्र में भारी बारिश से फसलों के बारे में न्यूज रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ जिलों और तालुका में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई। खेतों में बाढ़ का पानी भरने से फसलों को खासा नुकसान हुआ। प्रदेश के मराठवाड़ा और विदर्भ के इलाकों में मिट्टी का कटाव होने से नुकसान ज्यादा होने की आशंका है। प्रदेश में किसानों को हुआ नुकसान छिन्न-भिन्न स्थिति में हैं। विभागीय सरकारी स्तर पर यह नुकसान फिलहाल कुछ जिलों तक ही सीमित होने की बात कही गई है।

कहर बनकर बरपा जुलाई

महाराष्ट्र के किसानों के लिए जुलाई का महीना कहर बनकर बरपा। इस महीने के तीसरे सप्ताहांत में हुई भारी बारिश ने खेतों को तगड़ा नुकसान पहुंचाया। कृषि विभाग से प्राप्त सूत्र आधारित सूचना के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में आठ लाख हेक्येटर भूमि खेतों में लगी फसल पानी के कारण खराब हो गई।

आईएमडी ने दी चेतावनी

फिलहाल किसानों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है क्योंकि, मौसम विभाग ने संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD - INDIA METEOROLOGICAL DEPARTMENT) ने उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और कुछ क्षेत्रों में आगामी एक सप्ताह तक अति बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। एक सप्ताह लगातार हुई बारिश के बाद मिली राहत के बाद तटीय कोंकण में फिर एक बार मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।

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कितना पिछड़ी महाराष्ट्र में खेती

सामान्य मानसून की स्थिति में पिछले रिकॉर्ड्स के मान से महाराष्ट्र में अब तक डेढ़ सौ (152) लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसान बुवाई कर चुके होते। जून के महीने में ही महाराष्ट्र में आमद दर्ज कराने वाले मॉनसून से किसानों को जो आस बंधी थी, वह बारिश में देरी होने के कारण काफूर हो गई। बारिश में देरी के कारण बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए किसान लगातार चिंतित रहे। कृषि मंत्रालय ने भी किसानों को पर्याप्त बारिश होने पर ही बुवाई करने की सलाह दी थी। जुलाई के पहले सप्ताह में हुई बारिश के बाद किसानों ने खेत में देर से बुवाई कार्य किया। पहले जिस बारिश ने किसान को बुवाई के लिए तरसाया उसी बारिश ने जुलाई के मध्य सप्ताहों में ऐसा तेज रुख अख्तियार किया कि किसानों के पास खेत में खराब होती फसलों के देखने के सिवाय कोई और चारा नहीं था।

उप-मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए निर्देश

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किसानों ने बाढ़ से हुए फसल के नुकसान का मुआवजा प्रदान कर अगली फसल के लिए सहायता एवं राहत प्रदान करने की मांग की है।

सोयाबीन सड़ी, कपास डूबी

महाराष्ट्र में विदर्भ का इलाका सोयाबीन और कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां भंडारा, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर, अमरावती, यवतमाल और बुलढाणा जिलों में भारी बारिश के कारण किसानों ने नुकसान की जानकारी दी है।

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मराठवाड़ा में नुकसान

मराठवाड़ा के लगभग सभी प्रमुख जिलों में भारी वर्षा के कारण कृषि उपज को नुकसान हुआ है। यहां नांदेड़, हिंगोली, लातूर और बीड जिलों में तेज बारिश से भारी बारिश होने की जानकारियां सामने आई हैं। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भारी बारिश से प्रभावित संबंधित जिलों के प्रशासनिक अमले को नुकसान का आंकलन कर मुआवजा राशि तय करने के लिए निर्देशित किया है।

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नुकसान जांचने में परेशानी

महाराष्ट्र में तेज बारिश से हुए नुकसान का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, बाढ़ की स्थिति के कारण प्रदेश में कई गांवों से संपर्क टूट गया है। संपर्क टूटने के कारण फील्ड अधिकारी एवं उनके मातहत बाढ़ एवं डूब प्रभावित इलाकों के किसानों के खेतों, मकानों में हुए नुकसान का आंकलन करने में असमर्थ हैं।
मानसून की धीमी रफ्तार और अलनीनो बढ़ा रहा किसानों की समस्या

मानसून की धीमी रफ्तार और अलनीनो बढ़ा रहा किसानों की समस्या

आपकी जानकरी के लिए बतादें, कि विगत 8 जून को केरल में मानसून ने दस्तक दी थी। इसके उपरांत मानसून काफी धीमी गति से चल रही है। समस्त राज्यों में मानसून विलंभ से पहुंच रहा है। केरल में मानसून के आने के पश्चात भी फिलहाल बारिश औसत से कम हो रही है। साथ ही, मानसून काफी धीरे-धीरे अन्य राज्यों की ओर बढ़ रही है। पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत बहुत से राज्यों में लोग बारिश के लिए तरस रहे हैं। हालांकि, बिहार एवं झारखंड में मानसून की दस्तक के उपरांत भी प्रचंड गर्मी पड़ रही है। लोगों का लू एवं तेज धूप से हाल बेहाल हो चुका है। यहां तक कि सिंचाई की पर्याप्त उपलब्धता में गर्मी की वजह से फसलें सूख रही हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के मध्य अलनीनो का खतरा एक बार पुनः बढ़ चुका है। साथ ही, जानकारों ने बताया है, कि यदि मौसम इसी प्रकार से बेईमान रहा तो, इसका असर महंगाई पर भी देखने को मिल सकता है, जिससे खाद्य उत्पाद काफी महंगे हो जाऐंगे।

अलनीनो की वजह से महंगाई में बढ़ोत्तरी हो सकती है

मीडिया खबरों के अनुसार, अलनीनो के कारण भारत में खुदरा महंगाई 0.5 से 0.6 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। मुख्य बात यह है, कि अलनीनो की वजह से आटा, गेहूं, मक्का, दाल और चावल समेत खाने-पीने के समस्त उत्पाद भी महंगे हो जाऐंगे। साथ ही, अलनीनो का प्रभाव हरी सब्जियों के ऊपर भी देखने को मिल सकता है। इससे
शिमला मिर्च, खीरा, टमाटर और लौकी समेत बाकी हरी सब्जियों की कीमतों में काफी इजाफा हो जाऐगा।

मानसून काफी आहिस्ते-आहिस्ते चल रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि केरल में 8 जून को मानसून का आगमन हुआ था। जिसके बाद मानसून काफी आहिस्ते-आहिस्ते चल रही है। यह समस्त राज्यों में विलंब से पहुँच रहा है। विशेष बात यह है, कि मानसून के आगमन के उपरांत भी अब तक बिहार समेत विभिन्न राज्यों में वर्षा समान्य से भी कम दर्ज की गई है। अब ऐसी स्थिति में सामान्य से कम बारिश होने से खरीफ फसलों की बिजाई पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर मानसून के अंतर्गत समुचित गति नहीं आई, तो देश में महंगाई में इजाफा हो सकता है। यह भी पढ़ें: मानसून के शुरुआती जुलाई महीने में किसान भाई क्या करें

2023-24 में इतने प्रतिशत महंगाई होने की संभावना

भारत में अब तक बारिश सामान्य से 53% प्रतिशत कम दर्ज की गई है। सामान्य तौर पर जुलाई माह से हरी सब्जियां महंगी हो जाती हैं। साथ ही, ब्रोकरेज फर्म ने फाइनेंसियल ईयर 2023-24 में महंगाई 5.2 प्रतिशत रहने का अंदाजा लगाया है। उधर रिजर्व बैंक ने कहा है, कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई 5 प्रतिशत अथवा उससे कम भी हो सकती है।

चीनी की पैदावार में इस बार गिरावट देखने को मिली है

बतादें, कि भारत में सामन्यतः चीनी की पैदावार में विगत वर्ष की अपेक्षा कमी दर्ज की गई है। साथ ही, चावल की हालत भी ठीक नहीं है। इस्मा के अनुसार, चीनी की पैदावार 3.40 करोड़ टन से घटकर 3.28 करोड़ टन पर पहुंच चुकी है। साथ ही, यदि हम चावल की बात करें तो अलनीनो के कारण इसका क्षेत्रफल इस बार सिकुड़ सकता है। वर्षा कम होने के चलते किसान धान की बुवाई कम कर पाऐंगे, क्योंकि धान की फसल को काफी ज्यादा जल की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में धान की पैदावार में गिरावट आने से चावल महंगे हो जाएंगे, जिसका प्रभाव थोक एवं खुदरा बाजार में देखने को मिल सकता है।
मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

मौसम विभाग द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों में 29 जून तक मूसलाधार बारिश के साथ आंधी एवं बिजली गिरने की चेतावनी जारी कर दी है। यहां जानें आज कहां बारिश होगी। जानकारी के लिए बतादें, कि मौसम ने अपना रुख बदलना चालू कर दिया है। यदि देखा जाए तो मानसून 2023 ने भारत के विभिन्न राज्यों में दस्तक दे दी है। ऐसी स्थिति में IMD ने भी मौसम से जुड़ी ताजा जानकारी जारी कर दी है। जिससे कि लोग बारिश और गर्मी से अपने आप को बचा कर रख सकें। आइए जानते हैं कि आज आपके शहर में मौसम का हाल कैसा रहने वाला है।

देश की राजधानी दिल्ली में हुई बारिश

दिल्ली में कल रात्रि से हो रही हल्की बारिश से दिल्ली का मौसम अचानक ठंडा हो गया है। अनुमान यह है, कि आज भी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रचंड वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है, कि दिल्ली में बारिश का यह दौर 29 जून तक बना रह सकता है। IMD के अनुसार, आज दिल्ली का न्यूनतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस एवं अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा सकता है। यह भी पढ़ें: मौसम विभाग: यूपी में आने वाले दिनों में होगी हल्की बारिश

भारत के इन क्षेत्रों में प्रचंड बारिश की चेतावनी

ओडिशा में अच्छी-खासी बारिश होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त IMD के अनुसार, आगामी दिनों में मतलब कि 28 और 29 तारीख को असम, मेघालय एवं अरुणाचल प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में हल्की से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।मौसम विभाग का अनुमान है, कि अगले 2 दिनों के दौरान पूर्वी भारत के कुछ इलाकों में छिटपुट वर्षा होने की संभावना है। 28 जून को पूर्वी राजस्थान में तीव्र हवाओं के साथ अत्यधिक भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है। 26, 27 एवं 29 तारीख तक उत्तराखंड के भिन्न-भिन्न इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और विदर्भ में हल्की/मध्यम सी बारिश के साथ आंधी एवं बिजली गिरने की संभावना है। साथ ही, आगामी 2 दिनों के दौरान केरल, कर्नाटक और माहे में भी काफी प्रचंड वर्षा होने की संभावना है।
भारत के इन हिस्सों में होने वाली है बारिश, IMD ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है

भारत के इन हिस्सों में होने वाली है बारिश, IMD ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है

मौसम विभाग का कहना है, कि ओडिशा के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बरसात होगी। विशेषज्ञों के अनुसार तो यह बरसात किसानों के लिए अत्यंत फायदेमंद होगी। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश का सिलसिला चल रहा है। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ओर से ओडिशा के विभिन्न क्षेत्रों के लिए ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) जारी किया है। मौसम विभाग के मुताबिक 24 घंटों के दौरान पूर्वी राज्य में भारी से बहुत तेज बरसात हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो यह बारिश किसान भाइयों के लिए काफी फायदेमंद है।

किसानों को इस वर्षा से क्या फायदा होगा

मौसम विभाग की ओर से कोरापुट, नबरंगनगर और मलकानगिरी में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जहां 24 घंटों के दौरान एक अथवा दो स्थानों पर भारी से बहुत भारी बरसात होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग के मुताबिक, विगत कुछ घंटों के दौरान ओडिशा के गंजम जनपद में 142.4 मिलीमीटर वर्षा हुई है। वहीं, मयूरभंज में 132 मिलीमीटर बरसात हुई है। मौसम विशेषज्ञों ने तीन दिनों में राज्य में व्यापक वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है। जानकारों की मानें तो बारिश से किसानों को काफी फायदा होगा। प्रदेश में विगत कुछ दिनों से भारी बारिश के उपरांत बारिश का प्रतिशत कम हुआ है। उम्मीद है, कि अगले तीन दिनों में व्यापक वर्षा से किसानों को फायदा होगा। ये भी पढ़े: मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना

इसके अतिरिक्त मौसम विभाग ने 9 सितंबर तक भारत के विभिन्न अन्य क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश की भी भविष्यवाणी की है। आईएमडी (IMD) ने पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है, कि विदर्भ के कुछ भागों में 6 सितंबर को भारी से बहुत भारी बारिश और 7-9 सितंबर तक भारी बारिश होने की संभावना है। साथ ही, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गांगेय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, पुडुचेरी, यनम के कुछ क्षेत्रों में आज बारिश की संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत में आज मौसम का मिजाज कुछ बदला हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, बहुत सारे राज्यों में आज बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है, जिसके बाद शीतलता का एहसास होगा। वहीं, केरल और तमिलनाडु में भी आने वाले दो दिनों तक भारी बारिश का अंदाजा है। नवरात्रि के दौरान दिल्ली-यूपी समेत अन्य राज्यों में भी मौसम ने तासीर बदल दी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश की आशंका जताई गई है। वहीं, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में भी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में बर्फबारी शुरू हो चुकी है। केदारनाथ धाम में बीते रविवार को सीजन की पहली बर्फबारी हुई। जबकि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, मुजफ्फराबाद में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हल्की बारिश होगी। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में भी बारिश की संभावना है। इसके अतिरिक्त राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी हल्की बारिश होगी। वहीं, कोकण, गोवा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, महाराष्ट्र, बिहार समेत पं बंगाल और तटीय कर्नाटक में भारी बारिश की संभावना है।

आगामी 24 घंटों में मौसम कैसा रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार, तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। वहीं, पश्चिमी हिमालय पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश के साथ छिटपुट ओलावृष्टि संभव है। वहीं, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार में हल्की बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अतिरिक्त उत्तरी मध्य प्रदेश, दक्षिणी कोंकण एवं गोवा और रायलसीमा में हल्की बारिश की संभावना है।

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दिल्ली में आज मौसम कैसा रहने वाला है

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है, जिसके चलते अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट देखी जा सकती है। इसके बाद ठंड का भी एहसास होगा।

यूपी में मौसम का क्या मिजाज रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार 17-18 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश के लगभग 50 जिलों में गरज और चमक के साथ बूंदाबांदी से हल्की बारिश की आशंका है. वहीं रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल और बदायूं में गरज हल्की से मध्यम बारिश होने के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग के अनुसार, मध्य प्रदेश के बहुत सारे जिलों में हल्की वर्षा होने की संभावना जताई है। वहीं, विगत 24 घंटों के दौरान राज्य के उज्जैन, ग्वालियर , चंबल एवं जबलपुर संभागों के जनपदों में कहीं-कहीं बारिश हुई है।

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राजस्थान में मौसम कैसा रहेगा

राजस्थान में फिर से बारिश की संभावना हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस सप्ताह के आखिर तक एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है। राजस्थान के अधिकतर क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
जानें आने वाले दिनों में मौसम कैसा रहेगा, कहाँ पड़ेगी बर्फ और कहाँ होगी बारिश

जानें आने वाले दिनों में मौसम कैसा रहेगा, कहाँ पड़ेगी बर्फ और कहाँ होगी बारिश

मौसम विभाग के मुताबिक, आने वाले दिनों में बहुत सारे राज्यों में बारिश होने की संभावना हैं। IMD ने कहना है, कि गुजरात, दक्षिण पश्चिम मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी कोंकण में 24 से 27 नवंबर के मध्य बरसात होने की संभावना हैं। आइए आपको बताते हैं की मौसम का मिजाज क्या कहता है।  भारत में मौसम का रवैय्या इन दिनों काफी बदला-बदला सा दिखाई दे रहा है। उत्तर भारत में ठंड का आगमन हो चुका है। विगत कुछ दिनों से ठंड में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। दिल्ली सहित बहुत सारे राज्यों में तापमान आहिस्ता - आहिस्ता कम होने लगा है। हालांकि, दक्षिण भारत सहित पूर्वोत्तर के विभिन्न इलाकों में आज भी भारी बारिश का दौर जारी है। साथ ही, आने वाले दिनों में मौसम में एक बड़ी तब्दीली देखने को मिल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तर पश्चिम और पश्चिम भारत को 25 नवंबर से प्रभावित करने जा रहा है, जिसके चलते मौसम में परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस परिवर्तन के चलते दक्षिण पश्चिम, मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी कोंकण और गुजरात में 24 से 27 नवंबर के बीच बारिश होने की आशंका है। 

वर्षा का दौर किन इलाकों में जारी रहेगा 

साथ ही, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र एवं उत्तर पश्चिम के मैदानी क्षेत्रों में भी 27 और 28 नवंबर को हल्की वर्षा दर्ज की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, मौसम विभाग ने कहा है, कि आगामी दो से तीन दिनों तक दक्षिण भारत में मूसलाधार बारिश का दौर जारी रहेगा। इस दौरान लक्षद्वीप, दक्षिणी कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश, तटीय ओडिशा और दक्षिणी छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और केरल में हल्की से मध्यम वर्षा के साथ कुछ जगहों पर भारी वर्षा होने की आशंका है। मौसम विभाग ने कहा है, कि इस दौरान पश्चिमी पहाड़ी इलाकों पर भी हल्की वर्षा के आसार हैं, जिससे ठंड में और बढ़ोतरी होगी। 

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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पुनः बढ़ा   

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम होने की जगह निरंतर बढ़ रहा है। दिवाली के पश्चात बढ़े प्रदूषण से दिल्लीवासियों को कुछ सीमा तक सहूलियत अवश्य मिली थी। परंतु, अब एक बार पुनः प्रदूषण का स्तर खराब होता दिखाई दे रहा है। दिल्ली में बुधवार को वायु गुणवत्ता की हालत काफी खराब रही है। शहर का एक्यूआई बुधवार को 394 पर दर्ज किया गया। वहीं, एक दिन पूर्व मंगलवार को यह 365 था। प्रदूषण के साथ-साथ फिलहाल दिल्ली में कोहरे का कहर भी देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में इस संपूर्ण सप्ताह कोहरा देखने को मिलेगा। इसके साथ-साथ, पहाड़ों पर होने वाली वर्षा के चलते मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाएं चल सकती हैं।
आने वाले दिनों में मौसम के चलते किसानों को नुकसान या होगा शानदार लाभ

आने वाले दिनों में मौसम के चलते किसानों को नुकसान या होगा शानदार लाभ

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि सर्दियों ने फिलहाल दस्तक दे दी है। वर्तमान में तापमान फसलों के अनुकूल होने पर फायदा होगा। वहीं, तापमान अनुकूल ना होने की वजह से फसल में झुलसा जैसी समस्या का खतरा हो सकता है। भारत में फिलहाल मौसम में बदलाव हो रहा है। गर्मियों के पश्चात अब तीव्रता से सर्दी के मौसम ने दस्तक दे ड़ाली है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल भारत में मानसून काफी सामान्य रहा। मानसून का सामान्य रहना कृषकों के लिए काफी शानदार समाचार था। दरअसल, इसकी वजह से फसलों को शानदार बारिश मिली जिसके परिणामस्वरूप फसलों का उत्पादन भी अच्छा हुआ।  राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो आज सुबह तापमान में कमी देखी गई, जिससे ठंड भी बढ़ी है। IMD के अनुसार, तो दिल्ली में दिसंबर के प्रथम सप्ताह का तापमान सामान्य रहेगा। वहीं, तापमान में ज्यादा गिरावट की संभावना काफी कम है। मौसम विभाग के अनुसार, 4 दिसंबर तक राजधानी दिल्ली का अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा। 

आने वाले दिनों में ठंड बढ़ने से फसलों को होगा फायदा  

खबरों की मानें तो आगामी दिनों में ठंड काफी बढ़ेगी। फसलों में ठंड से तब तक लाभ होता है, जब तक तापमान फसल की सहनशीलता के अनुकूल हो। सर्दी के दिनों में फसलों में रोगों एवं कीटों का संक्रमण कम होता है। फसलों में पौष्टिक तत्वों का संचय भी काफी बढ़ता है। साथ ही, फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है। साथ ही, जब फसलों के मुताबिक तापमान नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में हानि होती है। अत्यधिक ठंड की वजह से फसलों का रंग तथा आकार परिवर्तित हो सकता है। फसलों में सूखा, झुलसा जैसी परेशानियां सकती हैं। 

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इसके अतिरिक्त फसलों की पैदावार कम हो जाती है। किसानों के लिए मौसम की ज्यादा जानकारी के लिए IMD की आधिकारिक वेबसाइट अथवा फिर मोबाइल ऐप का उपयोग कर सकते हैं। इससे वह वक्त रहते ही मौसम की जानकारी हांसिल हो पाऐगी। साथ ही, किसान भाई अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। 

किसान भाई फसल से बेहतर उत्पादन पाने के लिए इन उपायों को अपनाऐं 

किसान भाई अपनी फसलों से बेहतरीन उत्पादन पाने के लिए फसलों की बुवाई सही समय पर करें। इसके साथ-साथ फसलों की नियमित तौर पर सिंचाई करें।  फसलों को कीटों एवं रोगों से संरक्षित करने के लिए समय-समय पर दवाओं का छिड़काव अवश्य करें। ठंड के दौरान फसलों को ढ़कने के लिए प्लास्टिक की चादर या शेड का उपयोग अवश्य करें।
मिचौंग चक्रवाती तूफान को लेकर कृषकों के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है

मिचौंग चक्रवाती तूफान को लेकर कृषकों के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है

मिचौंग चक्रवाती तूफान को लेकर कृषकों के लिए मौसम विभाग ने कुछ सलाह जारी की है। हालांकि, ये सलाह भिन्न-भिन्न राज्यों के कृषकों के लिए अलग-अलग है। यहां आप अपने प्रदेश के हिसाब से जानकारी ले सकते हैं।  चक्रवाती तूफान मिचौंग दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में कहर बरपा रही है। यही कारण है, कि मौसम विभाग ने वर्तमान में इसको लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार, 6 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के उत्तरीय तटीय क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश हो सकती है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों में भी भारी वर्षा के अनुमान हैं। वहीं, विदर्भ को लेकर मौसम विभाग का कहना है, कि यहां के कुछ क्षेत्रों में मध्यम वर्षा होगी। साथ ही, कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश के अनुमान हैं।

कृषकों के लिए क्या कहा गया है

मिचौंग चक्रवाती तूफान को लेकर कृषकों के लिए मौसम विभाग ने कुछ सलाहें जारी की हैं। मौसम विभाग का कहना है, कि आंध्र प्रदेश के जो भी कृषक हैं वो पके चावल, देर से बोई गई मूंगफली तथा मिर्च की कटाई वर्तमान में बंद कर दें। वहीं, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिशा के कृषकों को लेकर मौसम विभाग ने कहा कि यहां के कृषक चावल, बाजरा और पके हुए कपास के बीजों को चुनना रोक दें।

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भारतीय मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में बढ़ सकता है बारिश और ठंड का प्रकोप बतादें, कि जो फसलें काटी जा चुकी हैं, उनको लेकर मौसम विभाग का कहना है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रख दें। यदि आपकी फसल खेत है तो उसे तिरपाल से बेहतरीन तरीके से ढक दें। वहीं, जिन पौधों पर फसल अच्छी मात्रा में लगी है उनको तीव्र हवाओं से संरक्षित करने के लिए सपोर्ट दे दें। मुख्य रूप से सब्जियों के पौधों के साथ ऐसा अवश्य करें। यदि ऐसा समय रहते आपने नहीं किया तो ये पौधे नीचे गिर जाएंगे। आपकी फसल को प्रचंड हानि पहुंच सकती है।

आगामी 5 दिनों तक सावधान रहें 

मौसम विभाग ने केरल तथा दक्षिण भारतीय राज्यों के तटीय क्षेत्रों के लिए आने वाले पांच दिनों का पूर्वानुमान लगाया है, कि गरज बिजली के साथ बहुत सारी जगहों पर हल्की वर्षा होगी तो कई स्थानों पर प्रचंड वर्षा होगी। वहीं, पंजाब के क्षेत्रों में घना कोहरा छाए रहने की आशा है। वहीं, मछुआरों को सलाह दी जाती है, कि वो आने वाले पांच दिनों तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उत्तरी तमिलनाडु-पुडुचेरी के तटों के पास ना जाएं। यहां हालात कभी भी बिगड़ सकती है।
इस नई साल में आने वाली ठंड किसानों की फसलों को कितना नुकसान पहुँचाने वाली है?

इस नई साल में आने वाली ठंड किसानों की फसलों को कितना नुकसान पहुँचाने वाली है?

नये साल के दस्तक देते ही फिलहाल तेजी से ठंड बढ़नी शुरू हो गई है, जिससे आमजन जीवन पर भी काफी प्रभाव पड़ रहा है। सर्दियों के दिनों में खेती से संबंधित काम करने में भी कठिनाइयाँ आती हैं। ऐसे में मौसम विभाग ने किसानों की चिंता को और ज्यादा बढ़ा दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, आगामी दिनों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। IMD के मुताबिक, बहुत सारी जगहों पर तापमान शून्य से भी नीचे जाने की संभावना जताई जा रही है।अब ऐसी स्थिति में किसानों को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

किसानों पर संकट आने की काफी संभावना है 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी दी है। इस दौरान तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से भी नीचे जा सकता है।ठंड की वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इससे कृषकों को सर्वाधिक समस्या हो सकती है। उनमें फल, सब्जी समेत बाकी फसलों का उत्पादन करने वाले कृषक भाई सम्मिलित हैं।

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किसान भाई क्या उपाय करें ?

  • फल और सब्जियों की फसलों को ढ़ककर रखें। 
  • पशुओं को गर्म रखने की व्यवस्था करें। समय पर उनके लिए उचित मात्रा में चारा एवं पानी मुहैय्या कराऐं। 
  • कौन-से क्षेत्रों में ज्यादा ठंड पड़ेगी ?
  • पहाड़ी क्षेत्रों के अतिरिक्त राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में आगामी दिनों में प्रचंड ठंड पड़ेगी। 

मौसमिक परिवर्तन से बागवानी को काफी हानि 

बतादें, कि सर्दी में इजाफा होने की वजह से फल और सब्जियों की फसलों को काफी क्षति पहुंच सकती है। बतादें, कि गोभी, मटर, प्याज, टमाटर, बैंगन और आलू जैसी फसलों को हानि हो सकती है। इन फसलों को ठंड से संरक्षित करने के लिए किसानों को काफी सावधानी बरतनी पड़ेगी। साथ ही, ठंड की वजह से धान की फसलों के बीज अंकुरण में विलंभ हो सकता है। इससे धान की फसल की उपज काफी प्रभावित हो सकती है। इनके अतिरिक्त ठंड की वजह से पशुओं के बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। पशुओं को ठंड से संरक्षित रखने के लिए किसानों को अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।

मौसम विभाग ने मार्च माह में गेहूं और सरसों की फसल के लिए सलाह जारी की है

मौसम विभाग ने मार्च माह में गेहूं और सरसों की फसल के लिए सलाह जारी की है

गेहूँ की फसल के लिए एडवाइजरी

  1. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आगे बारिश के पूर्वानुमान के कारण खेतों में सिंचाई न करें/उर्वरक न डालें।
  2. उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत पर नियमित निगरानी रखें क्योंकि यह मौसम गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग
  3. विकास के लिए अनुकूल है।
  4. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में सिंचाई न करें/उर्वरक न डालें। आगे बारिश के पूर्वानुमान के कारण अन्य कृषि संबंधी अभ्यास करें।
  5. पीली रतुआ की उपस्थिति के लिए गेहूं की फसल का नियमित सर्वेक्षण करें।
  6. नए लगाए गए और छोटे पौधों के ऊपर बाजरा या ईख की झोपड़ी बनाएं और इसे पूर्व-दक्षिण दिशा में खुला रखें ताकि पौधों को सूरज की रोशनी मिल सके।
  7. किसानों को गेहूं की बुआई की तकनीक जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर या अन्य फसल अवशेष प्रबंधन अपनाने की भी सलाह दी जाती है।
  8. नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस की पूरी मात्रा, पोटाश तथा जिंक सल्फेट को बुआई के समय छिड़कें।
  9. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है, कि वे तीसरी और चौथी पत्ती पर 0.5% जिंक सल्फेट के साथ 2.5% यूरिया का छिड़काव करें। पौधों का रंग पीला हो जाता है जो जिंक की कमी के लक्षण दर्शाता है।    
  10. गेहूं की बुआई के 30-35 दिन बाद "जंगली पालक" सहित गेहूं में सभी चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए मेटसल्फ्यूरॉन (एल्ग्रिप जी.पा या जी. ग्रैन) का 8.0 ग्राम (उत्पाद + सहायक) प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। हवा बंद होने पर फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करके 200-250 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे करें।

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सरसों की फसल के लिए एडवाइजरी    

  1. सिंचाई के दौरान पतला पानी ही डालें और खेत में पौधों में पानी जमा न होने दें।
  2. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है, कि वे अपने खेत की नियमित निगरानी करते रहें। क्योंकि यह मौसम इसके लिए अनुकूल है। सफेद रतुआ रोग का विकास और सरसों में एफिड का प्रकोप। पौधे का संक्रमित भाग घटना की प्रारंभिक अवस्था में नष्ट कर दें। 
  3. देश के जिन हिस्सों में तना सड़न रोग प्रति वर्ष होता है, वहां 0.1% की दर से कार्बेन्डाजिम का पहला छिड़काव करना चाहिए। स्प्रे बिजाई के 45-50 दिन पश्चात करें। कार्बेन्डाजिम का दूसरा छिड़काव 0.1 फीसद की दर से 65-70 दिन के बाद करें।  
  4. किसान भाई अपने खेतों की लगातार निगरानी करते रहें। जब यह पुष्टि हो जाए कि सफेद रतुआ रोग ने खेतों में दस्तक दे दी है, तो 250-300 लीटर पानी में 600-800 ग्राम मैन्कोजेब (डाइथेन एम-45) मिलाएं और 15 दिनों के समयांतराल पर प्रति एकड़ 2-3 बार छिड़काव करें।