सिरसा।
किसानों के लिए वरदान बनी कपास की खेती को गुलाबी सुंडी (Pink bollworm) का खतरा हो सकता है। हरियाणा राज्य में कृषि विभाग ने इसके लिए अलर्ट जारी किया है। सरकार ने कपास की खेती करने वाले सभी किसान भाईयों को गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को बचाने के लिए निर्देश भी दिए हैं। पिछले दो साल से कपास की खेती किसानों के लिए सफेद सोना साबित हुई है। कपास ने किसानों को अच्छा मुनाफा दिया है। जिसके चलते किसानों में लगातार कपास की खेती के प्रति रुचि बढ़ रही है। अकेले सिरसा जिले में 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती की जा रही है।
ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में शुरू हुई कपास की खेती के लिए अनोखी मुहिम – दोगुनी होगी किसानों की आमदनी
- कपास की कलियों और बीजकोषों को क्षति का कारण गुलाबी सुंडी (इल्ली) पेक्टिनोफोरा गॉसिपिएला का लार्वा है। वयस्कों का रंग और आकार अलग-अलग होता है लेकिन आम तौर पर वे चित्तीदार धूसर से धूसर-भूरे होते हैं। वे दिखने में लंबे पतले और भूरे से होते हैं। अंडाकार पंख झालरदार होते हैं। करीब 4 से 5 दिन में लार्वा अंडे से बाहर निकल आते हैं। और तुरंत ही कपास की कलियों या बीजकोष में घुस जाते हैं। और फिर करीब 12 से 14 दिन तक फसल को खाता है।
1- जैविक नियंत्रण के अनुसार पेक्टिनोफोरा गॉसिपिएला से प्राप्त सेक्स फेरोमोन्स का संक्रमित खेत में छिड़काव करने से गुलाबी सुंडी की क्षमता और तादात कम होती है।
2- रासायनिक नियंत्रण के अनुसार इन गुलाबी पतंगों को मारने के लिए क्लोरपाइरिफास, एस्फेंवैलेरेट या इंडोक्साकार्ब के कीटनाशक फार्मूलेशन का पत्तियों पर छिड़काव किया जा सकता है।
3- कीट के लक्षणों को पहचानने के लिए नियमित कपास के पौधों पर निगरानी रखें।
ये भी पढ़ें: कपास की उन्नत किस्में लगाएँ
4- कपास की जल्द परिवक्व होने वाली वैरायटी का उपयोग करें, ताकि सीजन शुरू होने से पहले ही फसल की उपज मिल जाए। आमतौर पर गुलाबी सुंडी सीजन में ज्यादा जोर पकड़ती है।
5- कीटनाशक दवाओं का सावधानी से प्रयोग करें, ताकि कोई नुकसान न हो।
6- कटाई के तुरंत बाद पौधों को नष्ट कर देना चाहिए।
7- ध्यान रहे कि कभी भी दो रासायनिक पदार्थों को मिलाकर छिड़काव न करें। इससे फसल को नुकसान संभावना बढ़ जाती है। 8- अधिकांश तौर पर नीम आधारित दवाओं का इस्तेमाल करें।
------- लोकेन्द्र नरवार
जहाँ इत्र, अगरबत्ती, गुलाल, तेल बनाने के लिए सुगंध के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं कई फूल ऐसे हैं जिन का औषधि उपयोग भी किया जाता है. कुल मिलाकर देखें तो अगर किसान फूलों की खेती करते हैं तो वे कभी घाटे में नहीं रहते.
ये भी पढ़ें: कीचड़ में ही नहीं खेत में भी खिलता है कमल, कम समय व लागत में मुनाफा डबल !
ये भी पढ़ें: गर्मियों के मौसम मे उगाए जाने वाले तीन सबसे शानदार फूलों के पौधे
ये भी पढ़ें: सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ (Sunflower Farming in Hindi)
ये भी देखें: घर की बालकनी को गुलाब के फूलों से महकाने का आसान तरीका
ये भी देखें: पारंपरिक खेती की जगह इस फूल की खेती किसानों को कर सकता है मालामाल
ये भी देखें: बारह महीने उपलब्ध रहने वाले इस फूल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान
ये भी देखें: फूलों की खेती से कमा सकते हैं लाखों में
ये भी देखें: फूलों की खेती से कमा सकते हैं लाखों मेंअगर आप चाहते हैं, कि एक बार गुलाब का पौधा उग जाने के बाद आप कंटेनर को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना चाहते हैं। हमेशा ही हल्के कंटेनर या गमले का इस्तेमाल करें। आप चाहे तो प्लास्टिक के बने हुए गमले का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
ये भी देखें: गुलाब में लगने वाले ये हैं प्रमुख कीड़े एवं उनसे बचाव के उपाय
ये भी देखें: बारह महीने उपलब्ध रहने वाले इस फूल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे किसानइस तरह से इन सभी छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपने घर के छोटे या फिर बड़े बगीचे में गुलाब के खूबसूरत फूल उगा सकते हैं।