Ad

interest

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए लगभग सभी राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं। जिसके अंतर्गत सरकारें किसानों को खाद बीज से लेकर सौर कृषि सिंचाई पंप तक उपलब्ध करवा रही हैं, ताकि किसान अपनी उत्पादकता को तेजी से बढ़ा सकें। खेती करने के लिए किसानों को सरकारें ऋण भी उपलब्ध करवाती हैं, ताकि किसानों को धन की कमी न पड़े। कई बार तो किसानों की ब्याज भी सरकारें खुद ही वहन करती हैं, ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े।


ये भी पढ़ें:
मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान
इस कड़ी में राजस्थान सरकार भी अपने किसानों का खास ख्याल रखते हुए उन्हें धन उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसानों को पैसों की तंगी का सामना न करना पड़े। राजस्थान की कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है, कि राज्य सरकार राजस्थान के किसानों को लोन देने की योजना में 3.17 लाख अतिरिक्त किसानों को शामिल करने जा रही है। जिसमें किसानों को बिना ब्याज के लोन बांटा जाएगा, साथ ही यह काम मार्च 2023 के पहले पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके पहले किसानों को लोन देने की योजना के अंतर्गत इस साल नवम्बर माह तक सरकार ने 26.92 लाख किसानों को लोन बांटा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने किसानों को अब तक 12 हजार 811 करोड़ रुपये का लोन दिया है। राजस्थान सरकार ने इस योजना में इस साल 1.29 लाख नए किसानों को जोड़ा है। अब इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार सभी किसानों को सहकारी समितियों के साथ जोड़ रही है। जो किसानों को बेहद आसानी से लोन उपलब्ध करवाती हैं।


ये भी पढ़ें:
खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार
किसानों को लोन उपलब्ध करवाने की जानकारी सहकारिता विभाग के अधिकायों ने एक बैठक में दी। यह बैठक जयपुर स्थित अपेक्स बैंक के हॉल में पूर्ण हुई। इस अवसर पर अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य सरकार नेशनल बैंक फॉर रूरल एंड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजनाओं का उपयोग करेगी। अपेक्स बैंक के हॉल में हुई मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को एग्री बिजनेस के मॉडल से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। अगर केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्र सरकार ने खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के लिए एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना की भी शुरुआत की है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान भाई कृषि का धंधा या कृषि स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


ये भी पढ़ें:
आप खेती में स्टार्टअप शुरू करना चाहते है, तो सरकार आपकी करेगी मदद
इसके साथ ही बैठक के दौरान बताया गया कि एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना के अंतर्गत सरकार किसान को 45 दिनों का प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण सरकार की तरफ से कृषि लोन या आर्थिक सहायता मिलने से पहले ही दिया जाता है। जिससे किसान को कई तरह के फायदे होते हैं ओर वह अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। पहले जहां किसानों को सहकारी समितियों से सीमित मात्रा में ही लोन मिलता था और उसके लिए किसानों को बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित हो रही है। अगर वर्तमान की बात करें तो अब एग्री बिजनेस यानी कृषि से जुड़ा कोई भी व्यवसाय करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) बहुत आसानी से लोन उपलब्ध करवाता है। यह लोन 20-25 लाख रुपये तक हो सकता है, जिसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होता है।


ये भी पढ़ें:
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए मोदी सरकार ने दिए 10 हजार करोड़
अगर किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की बात करें, तो केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। जिन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कारवाई जा रही है ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए। यह सब्सिडी ऋण पर लगने वाले ब्याज पर दी जाती है, जो 36 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक हो सकती है। इस सब्सिडी योजना में समान्य वर्ग के किसान को ब्याज पर 36 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जबकि एससी-एसटी और महिला आवेदकों को ब्याज पर 44 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार यदि 5 या 5 से अधिक किसान ऋण लेने के लिए एक साथ आवेदन करते हैं, तो उन्हें 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है, साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी दिलवाती है।
असम के चाय उत्पादकों को सामान्य चाय उत्पादन की आशा

असम के चाय उत्पादकों को सामान्य चाय उत्पादन की आशा

चाय का उच्चतम उत्पादक राज्य माने जाने वाले असम राज्य के चाय उत्पादक पूर्व में बेहद चिंताग्रस्त थे। चिंता की वजह यह थी, कि उनको यह संभावना लग रही थी, कि उनकी कम बारिश की वजह से प्रथम फ्लश फसल प्रभावित होगी। दीर्घकाल से सूखे के उपरांत, असम के समस्त चाय बागानों में विगत कुछ दिनों में बेहतरीन बारिश हुई है। जिससे बागान मालिकों के मुँह पर खुशी छा गई है, क्योंकि बरसात से नए सीजन के पूर्व फ्लश उत्पादन के "सामान्य" होने की आशा है। ये भी पढ़े: भारत ने किया रिकॉर्ड तोड़ चाय का निर्यात चाय के उच्चतम उत्पादक राज्य असम में चाय उत्पादक पूर्व में बेहद चिंतित थे। क्योंकि, वह आशा कर रहे थे, कि कम वर्षा से पहली फ्लश फसल प्रभावित होगी। “इससे पहले असम के कुछ इलाकों में बारिश हुई थी, जबकि कुछ इलाके बिल्कुल सूखे रहे थे। लेकिन अब राज्य के सभी हिस्सों में बारिश हुई है। पिछले पांच दिनों में पूरे असम में बारिश हुई है। मुझे लगता है, कि पहली फ्लश फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। हमें एक सामान्य फसल मिलनी चाहिए, ” नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन (NETA) के सलाहकार बिद्यानंद बरकाकोटी ने बताया।

असम चाय उद्योग के लिए पहली फ्लश फसलों का उत्पादन सामान्यतयः मार्च और अप्रैल में किया जाता है।

“पहला फ्लश अब अच्छा रहा है, क्योंकि असम के सभी हिस्सों में बारिश हो रही है। मार्च की फसल पिछले साल की तुलना में बेहतर होनी चाहिए। पिछले साल फसल देरी से शुरू हुई थी। इस साल इसकी शुरुआत जल्दी हो गई है, जो अच्छी बात है। पिछले सप्ताह तक पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वर्षा की कमी थी। अब निश्चित तौर पर यह आगे बढ़ गया है।" ये भी पढ़े: सही लागत-उत्पादन अनुपात को समझ सब्ज़ी उगाकर कैसे कमाएँ अच्छा मुनाफ़ा, जानें बचत करने की पूरी प्रक्रिया प्रथम फ्लश फसल असम में कुल चाय उत्पादन का तकरीबन 10% है। हालांकि, असम चाय उद्योग हेतु दूसरा फ्लश ज्यादा जरुरी है, क्योंकि यह प्रीमियम किस्म होती है। दूसरी फ्लश फसलें सामान्यतः मई एवं जून में उत्पादित की जाती हैं। 2022 में, असम चाय का उत्पादन 687.93 मिलियन किलोग्राम रहा था। वहीं, 2021 में यह 667.73 मिलियन किलोग्राम था। 2021 में उत्पादन वर्ष के आरंभिक माहों (जनवरी, फरवरी और मार्च) के साथ-साथ 2020 के बाद (अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर) के समय कम वर्षा की वजह से कम था। “खरीदार मार्च में असम चाय उत्पादन पर इतना निर्भर नहीं हैं। आगे चलकर कीमतें अप्रैल और मई में हुए उत्पादन पर निर्भर करेंगी। जहां तक मैं देखता हूं बाजार अभी भी भूखा नहीं है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि सर्दियों के दौरान खपत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी थी, जो तुलनात्मक रूप से गर्म थी।"
मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

पुरे विश्व में स्वयं की भीनी-सोंधी खुशबू एवं मीठे स्वाद की वजह से प्रसिद्ध दशहरी आम की खोज 200 वर्ष पूर्व ही हुई थी। लखनऊ के समीप एक गांव में आज भी दशहरी आम का प्रथम पेड़ उपस्थित है साथ बेहद प्रसिद्ध भी है। आम तौर पर लोग गर्मी के मौसम की वजह से काफी परेशान ही रहते हैं। परंतु, एक ऐसा फल है, जिससे गर्मियों का मजा दोगुना कर देती हैं। उस फल का नाम है आम जिसको सभी फलों का राजा बोला जाता है। जी हां, भारत में आम की बागवानी बड़े स्तर पर की जाती है। भारत की मिट्टी में आम की हजारों किस्मों के फल स्वाद लेने को उपस्थित हैं। लेकिन यदि हम देसी आम की बात करें तो इसकी तरह स्वादिष्ट फल पूरे विश्व में कहीं नहीं मिल पाएगा। सभी लोगों की जुबान पर दशहरी आम का खूब चस्का चढ़ा हुआ है। यूपी में ही दशहरी आमों की पैदावार होती है। बतादें कि केवल यहीं नहीं अन्य देशों में भी इस किस्म के आमों का निर्यात किया जाता है। साथ ही, आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी आम का नामकरण एक गांव के नाम के आधार पर हुआ था।

इस आम का नाम दशहरी आम क्यों रखा गया था

यूपी के लखनऊ के समीप काकोरी में यह दशहरी गांव मौजूद है। ऐसा कहा जाता है, कि दशहरी गांव के 200 वर्ष प्राचीन इस वृक्ष से सर्वप्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ग्रामीणों से मिलकर इस आम का नामकरण गांव दशहरी के नाम पर हुआ था। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी ना तो इस दशहरी आम के स्वाद में कोई बदलाव आया है और ना ही वो पेड़, जिससे विश्व का प्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ये भी पढ़े: नीलम आम की विशेषताएं (Neelam Mango information in Hindi)

इस पेड़ के आम आखिर क्यों नहीं बेचे जाते

फिलहाल, दशहरी आम लखनऊ की शान और पहचान बन चुका है। देश के साथ-साथ विदेशी लोग भी इसका स्वाद चखते हैं। हर एक वृक्ष द्वारा काफी टन फलों की पैदावार हांसिल होती है। परंतु, विश्व का पहला दशहरी आम देने वाला पेड़ अपने आप में भिन्न है। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी यह वृक्ष भली-भांति अपनी जगह पर स्थिर है। आम के सीजन की दस्तक आते ही इस बुजुर्ग वृक्ष फलों के गुच्छे लद जाते हैं। परंतु, तेवर ही कुछ हटकर है, कि इस वृक्ष का एक भी फल विक्रय नहीं किया जाता है। मीडिया खबरों के मुताबिक, दशहरी गांव में इस आम के पेड़ को नवाब मोहम्मद अंसार अली ने रोपा था और आज भी उन्हीं के परिवारीजन इस पेड़ पर स्वामित्व का हक रखते हैं। इसी परिवार को पेड़ के सारे आम भेज दिए जाते हैं।

दशहरी आम कैसे पहुँचा मलीहाबाद

दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि बहुत वर्ष पूर्व इस दशहरी आम की टहनी को ग्रामीणों से छिपाकर मलीहाबाद ले जाया गया। जब से ही दशहरी आम मलीहाबादी आम के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। ग्रामीणों की श्रद्धा को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। वह इसको एक चमत्कारी वृक्ष मानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ वर्ष पूर्व यह वृक्ष पूर्णतयः सूख गया था। समस्त पत्तियां पूरी तरह झड़ गई थीं। परंतु, वर्तमान में सीजन आते ही 200 साल पुराना यह वृक्ष आम से लद जाता है।

मिर्जा गालिब भी इस दशहरी आम के मुरीद रहे हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी गांव फिलहाल मलीहाबाद क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मलीहाबाद के लोगों का कहना है, कि कभी मिर्जा गालिब भी कोलकाता से दिल्ली की यात्रा किया करते थे। तब मलीहाबादी आम का स्वाद अवश्य चखा करते थे। वर्तमान में भी बहुत से सेलेब्रिटी दशहरी आम को बेहद पसंद करते हैं। दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि भारतीय फिल्म जगत के बहुत से अभिनेता इस वृक्ष को देखने गांव आ चुके हैं। दूसरे गांव से भी लोग इस वृक्ष को देखने पहुँचते हैं। इसकी छांव के नीचे बैठकर ठंडी हवा का आंनद लेते हैं। सिर्फ इतना ही नही लोग इस पेड़ की यादों को तस्वीरों में कैद करके ले जाते हैं।
महिला निधि योजना के अंतर्गत लोन लेने पर सरकार देगी 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान

महिला निधि योजना के अंतर्गत लोन लेने पर सरकार देगी 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान

राजस्थान की सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नित नए प्रयास करती रहती है। इसके लिए अब सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के महिला निधि योजना में बड़ा संशोधन किया है। सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि अब सरकार महिला निधि के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को देने वाले लोन पर 8 प्रतिशत का अनुदान देगी। इसके लिए राज्य सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 12 करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान को भी मंजूरी दी है। जानकारी के अनुसार, गहलोत सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को 2 साल की समय सीमा पर मिलने वाले 1 लाख रुपये के लोन पर 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान दिया जाएगा। इस अनुदान से महिलाओं को सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान में मदद मिलेगी। राजस्थान की सरकार पहले भी ऐसी योजनाओं को राज्य में लागू कर चुकी है ताकि महिलायें भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकें। इनके अलावा महिला उत्थान के लिए कई अन्य योजनाएं भी हैं जिन पर अभी काम चल रहा है। निकट भविष्य में इनके धरातल पर उतरने की पूर्ण संभावनाएं हैं। इसके पहले 26 अगस्त 2022 को सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के स्वयं सहायता समूहों के वित्तीय प्रबंधन के लिए 'राजस्थान महिला निधि' की शुरुआत की थी। यह शुरुआत 'महिला समानता दिवस' के मौके पर की गई थी। 'राजस्थान महिला निधि' का लक्ष्य महिलाओं को बेहद आसानी से स्वरोजगार हेतु पर्याप्त मात्रा में लोन उपलब्ध करवाना है।

इसलिए शुरू की गई थी 'महिला निधि योजना'

राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया है कि 'महिला निधि योजना' की शुरुआत महिला स्वयं सहायता समूह को मजबूत बनाने, बैकों से ऋण दिलाने, गरीब, सम्पत्तिहीन और सीमान्त महिलाओं की आय बढ़ाने और महिलाओं के कौशल के विकास के लिए की गई है। इससे महिलायें सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से उन्नति करेंगी। अभी तक राजस्थान में 36 लाख परिवार इस योजना का लाभ ले चुके हैं। ये भी पढ़े: इस राज्य में 3000 महिलाएं होंगी सशक्त 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगा पौष्टिक आहार राजस्थान के पहले तेलंगाना में भी 'महिला निधि योजना' की स्थापना की गई थी। राजस्थान इस योजना को लागू करने वाला दूसरा राज्य बन गया है। इस योजना के अंतर्गत 40 हाजर रुपये तक का लोन मात्र 48 घंटे के भीतर मिल जाता है। 40 हजार रुपये से ज्यादा का लोन 15 दिन के भीतर दे दिया जाता है।

'महिला निधि योजना' के लिए पात्रता एवं आवश्यक दस्तावेज

इस योजना के अंतर्गत राजस्थान में रहने वाली सभी महिलायें एवं स्वयं सहायता समूह आवेदन कर सकते हैं। 'महिला निधि योजना' के अंतर्गत आवेदन करने के लिए आवेदक के पास आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ होना आवश्यक है। यह योजना हाल ही में शुरू की गई है इसलिए इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए अभी तक कोई वेबसाइट नहीं बनाई गई है। जैसे ही सरकार की तरफ से वेबसाइट की स्वीकृति मिल जाती है तो महिलायें बेहद आसानी से वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर पाएंगी।
मधुमक्खी के डंक से किसान जल्द हो सकते हैं अमीर, 70 लाख रुपये है कीमत

मधुमक्खी के डंक से किसान जल्द हो सकते हैं अमीर, 70 लाख रुपये है कीमत

मधुमक्खी से प्राप्त शहद के साथ ही अब मधुमक्खी का डंक भी बिकने के लिए तैयार है। बाजार में इसकी कीमत 70 लाख रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। इसके लिए मध्य प्रदेश में डंक के प्रोसेसिंग के लिए एक यूनिट की स्थापना की जा रही है। यह यूनिट मुरैना के महात्मा गांधी सेवा आश्रम में लगाई जा रही है। जिस पर चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यहां पर शहद की गुणवत्ता की जांच की जाएगी, साथ ही उसकी पैकिंग और ब्रांडिग भी की जाएगी। मुरैना में शहद की यूनिट लगने से सबसे ज्यादा मधुमक्खी पालकों को फायदा होने वाला है। इस यूनिट के माध्यम से ही मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही एक विशेष मशीन के माध्यम से मधुमक्खियों के डंक निकालने का काम भी किया जाएगा। भारतीय बाजार में मधुमक्खियों के डंक की कीमत 70 लाख रुपये प्रति किलो तक बताई जा रही है। मशीन के माध्यम से मधुमक्खी का डंक निकालने से मधुमक्खी को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होगी। साथ ही मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले शहद से लेकर गोंद तक की बाजार में भारी डिमांड रहती है। इनका उपयोग दवा बनाने के साथ ही कई अन्य चीजों में किया जाता है।

मधुमक्खी पालन से किसानों को होते हैं ये फायदे

मधुमक्खी पालन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, इससे किसानों की आय में तेजी से वृद्धि होती है। साथ ही किसानों की फसल का उत्पादन भी बढ़ जाता है, क्योंकि मधुमक्खियां फसलों का परागकण निकालती हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है और लगभग 15 से 30 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ जाता है। मधुमक्खियों के माध्यम से शहद का उत्पादन किया जाता है। इसके साथ ही मधुमक्खी के छत्तों से रायल जेली भी प्राप्त की जाती है। यह जेली मानव शरीर के लिए बेहद लाभप्रद मानी जाती है क्योंकि इसमें उत्तम पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। मधुमक्खी पालन के माध्यम से मोम का भी उत्पादन भी किया जाता है। जिसका उपयोग कॉस्मेटिक सामग्री तैयार करने में और मोमी बेस शीट बनाने में किया जाता है।

भारत में मधुमक्खियों की प्रमुख प्रजातियां

भारत में मधुमक्खियों की प्रमुख तौर पर 4 प्रजातियां पाई जाती हैं।

एपिस डोरसेटा (भंवर मधुमक्खी): इसे सब्स ज्यादा गुस्सैल मधुमक्खी माना जाता है। यह आकर में बड़ी होती है तथा लोगों पर खतरनाक रूप से हमला करती है। यह मधुमक्खी एक साल में 20 से 25 किलो शहद देती है। यह भी पढ़ें: मधुमक्खी पालन को बनाएं आय का स्थायी स्रोत : बी-फार्मिंग की सम्पूर्ण जानकारी और सरकारी योजनाएं एपिस मेलिफेरा (इटालियन मधुमक्खी): यह भी आकर में बड़ी होती है। इसकी रानी मधुमक्खी अन्य मधुमक्खियों की अपेक्षा ज्यादा अंडे दे सकती है। इसलिए यह शहद का उत्पादन भी ज्यादा करती है। अगर इसे दो खण्ड के बक्सों में पाला जाए तो यह एक साल में 80 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है। एपिस फलोरिया (उरम्बी मधुमक्खी): यह बेहद छोटे आकर की मधुमक्खी होती है। यह सुरक्षित जगहों पर अपना छत्ता बनाती है। यह मधुमक्खी साल में 2 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है। एपिस सेराना इण्डिका (भारतीय मधुमक्खी): यह एक ऐसी मधुमक्खी होती है जो वीरान इलाकों में अपना छत्ता बनाती है, इसके छत्ते ज्यादातर पेडों व गुफाओं में होते हैं। यह पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है। यह साल में 6 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है।

भारत में मधुमक्खी पालन का उपयुक्त समय

चूंकि मधुमक्खी पालन में सबसे ज्यादा महत्व फूलों का होता है, क्योंकि मधुमक्खियां फूलों से मकरंद व पराग एकत्रित करती हैं, जिससे शहद बनता है। इसलिए मधुमक्खी पालन का सबसे उचित समय अक्टूबर से लेकर दिसम्बर तक होता है।
11.9 लाख किसानों का कर्ज माफ कर रही है शिवराज चौहान सरकार,  बनाई गई है लिस्ट

11.9 लाख किसानों का कर्ज माफ कर रही है शिवराज चौहान सरकार, बनाई गई है लिस्ट

अगर आप मध्य प्रदेश के किसान है तो आपके लिए शिवराज चौहान सरकार एक बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आई है. मध्यप्रदेश में शिवराज चौहान सरकार ने राज्य के कुल 11.9 लाख किसानों का कर्ज माफ करने की योजना तैयार की है. किसानों को इस योजना के बारे में एक बात जानना जरूरी है कि इसके लिए एक लिस्ट जारी की गई है और इस लिस्ट में उन्हीं किसानों को रखा गया है जिनका मूल और ब्याज मिलाकर कुल बकाया रुपए केवल ₹200000 बचा है. अगर आप डिफाल्टर किसानों की लिस्ट में आते हैं तो इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए आपको अलग से आवेदन करना होगा और उसके बाद जांच करने के बाद ही आप का कर्ज पूरी तरह से माफ किया जाएगा

2,123 करोड़ रुपए के प्रस्ताव के लिए दी गई है मंजूर

मध्यप्रदेश राज्य में बहुत से किसान ऐसे हैं जिन्होंने कई साल पहले कर दिया था और किसी कारण वश में है यह कर्ज नहीं चुका पाए थे. सरकार ने पूरी तरह से जांच करते हुए ऐसे किसानों की एक लिस्ट तैयार की है और इसमें ऐसे किसानों को शामिल किया गया है जिन का बकाया राशि ₹200000 तक का है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसके लिए लगभग 2123 करोड रुपए का प्रस्ताव मंजूर किया गया है जिससे लाखों किसान फायदा उठाने वाले हैं. मंत्रिमंडल बैठक में फैसला ले लिया है और बुधवार को ही है प्रस्ताव सामने रखा गया है. ये भी पढ़े: अब किसानों को घर बैठे मिलेगा कृषि योजनाओं का लाभ, इस एप पर मिलेगी सम्पूर्ण जानकारी

किसानों को है इसके लिए आवेदन करने की जरूरत

अगर किसान इस लिस्ट में आना चाहते हैं तो कर्ज माफी के लिए उन्हें एक आवेदन देना होगा जिसकी सरकार के द्वारा जांच की जाएगी और उसके बाद यह निर्धारित किया जाएगा कि उनका कर्ज माफी किया जाएगा या नहीं.यह आवेदन ऑनलाइन किसानों से मांगे गए हैं. पहले कांग्रेस सरकार ने भी किसानों के लोन माफी की घोषणा की थी जिसके बाद बहुत से किसानों ने लोन की राशि जमा ही नहीं की थी लेकिन उसके बाद ही सरकार बदल गई और किसानों पर यह लोन माफी की योजना को रोक दिया गया और तब से किसान उस कर्ज के तले दबे हुए हैं.माना जा रहा है कि इस योजना से किसानों को लाभ मिलेगा.
किसान विकास पत्र योजना के अंतर्गत सिर्फ 115 महीने में ही दोगुने हो जाऐंगे पैसे

किसान विकास पत्र योजना के अंतर्गत सिर्फ 115 महीने में ही दोगुने हो जाऐंगे पैसे

किसान भाइयों के लिए केंद्र सरकार एक बेहतरीन शानदार योजना चला रही है, जिसमें निवेश करते ही कृषकों की किस्मत बदल जाएगी। इसके लिए किसानों को अधिक धन भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। यदि आप किसान हैं और निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए बहुत ही अच्छा अवसर है। पोस्ट ऑफिस डिपार्टमेंट अभी किसानों के लिए किसान विकास पत्र योजना चला रही है, जिसमें निवेश करने पर अच्छा खासा रिटर्न मिलेगा। विशेष बात यह है, कि इस योजना पर मिलने वाली ब्याज दर को सरकार ने हाल ही में बढ़ाया है। इस योजना के अंतर्गत निवेश करने पर आपको 7.5 फीसदी ब्याज दर मिलेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि अब धनराशि 120 महीने के बजाए 115 महीने में ही दोगुना हो जाएगा।

विकास पत्र योजना जारी की गई है

दरअसल, भारत सरकार ने किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए किसान विकास पत्र योजना की शुरुआत की है। यह एक प्रकार की एकमुश्त निवेश योजना है। मतलब कि इस योजना में आपको वन टाइम धन जमा करना पड़ेगा। इसकी सबसे बड़ी खासियत है, कि एक तय अवधि के अंतर्गत ही किसानों का पैसा दोगुना हो जाएगा। ऐसे में निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न मिल जाता है। फिलहाल, देश में बेहद ज्यादा तादात में किसान इस योजना से जुड़ रहे हैं।

ये भी पढ़ें:
यदि तीन सप्ताह बाद भी नहीं आई है प्रधानमंत्री किसान योजना की किस्त तो यहां दर्ज करें शिकायत

न्यूनतम 1000 रुपये का इंवेस्ट कर सकते हैं

केंद्र सरकार ने इसी वर्ष एक अप्रैल को किसान विकास पत्र पर मिलने वाले व्याज दर को 7.2% से बढ़ाकर 7.5 % एनुअल कर दिया। मतलब कि अब इंवेस्टर्स का पैसा 115 महीने में ही दोगुना हो जाएगा। साथ ही, सरकार ने पहले इसकी मैच्योरिटी टाइमिंग को 123 महीने से घटाकर 120 महीने किया था। परंतु, वर्तमान में इसे और कम कर के 115 माह कर दिया है। किसान विकास पत्र योजना का संचालन भारत के सभी डाकघरों और बड़े बैंकों में किया जा रहा है। यदि किसान भाई इस योजना में अपनी पूंजी निवेश करना चाहते हैं, तो डाक घर में जाकर अधिकारियों से बात कर सकते हैं। किसान भाई इस योजना में मिनिमम 1000 रुपये का निवेश कर सकते हैं। परंतु, अधिकतम धनराशि के लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है।

ये भी पढ़ें:
पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी

इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता है, कि किसान के घर का कोई भी सदस्य अपना खाता खुलवा सकता है। बस इसके लिए निवेशक की आयु 10 साल से ज्यादा होनी चाहिए। इसके लिए किसी अभिभावक की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। साथ ही, खाता खुलवाने का प्रोसेस भी बहुत सुगम है। इसके लिए आपको सबसे पहले घर के समीपवर्ती स्थित पोस्ट ऑफिस जाना पड़ेगा। फिर, अधिकारी से बात करने के उपरांत खाता खुलवाने के लिए फॉर्म भरना होगा। खाता खुलते ही आपको किसान विकास पत्र का प्रमाणपत्र मिल जाएगा। किसान भाई पोस्ट ऑफिस जाते वक्त अपने साथ आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म एवं मोबाइल जरूर ले जाएं, क्योंकि इसकी आवश्यकता पड़ सकती है।
इस योजना के तहत किसानों का कुछ ही माह में पैसा दोगुना हो जाएगा

इस योजना के तहत किसानों का कुछ ही माह में पैसा दोगुना हो जाएगा

किसान विकास पत्र योजना के अंतर्गत किसानों का पैसा कुछ ही माह में दोगुना हो जाएगा। योजना का फायदा लेने के लिए किसान भाई अपने आसपास के पोस्ट ऑफिस में संपर्क कर सकते हैं। अगर आप किसान होते हुए भी निवेश नहीं कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है। सरकार की तरफ से एक ऐसी योजना जारी की गई है, जिसमें आपको निवेश करने पर अच्छा-खासा मुनाफा होने वाला है। पोस्ट ऑफिस विभाग ने किसानों के लिए किसान विकास पत्र योजना जारी की है, इस योजना में निवेश करने पर आपको मोटा रिटर्न मिलेगा। बतादें, कि इस योजना पर मिलने वाली ब्याज दर को सरकार ने बढ़ाया है। योजना के अंतर्गत निवेश करने पर किसानों को 7.5 प्रतिशत ब्याज दर मिलेगी।

किसानों को मजबूत बनाने के लिए योजना जारी की गई है

इस योजना की शुरुआत सरकार की ओर से आर्थिक रूप से किसानों को सशक्त बनाने के लिए की है। यह एक प्रकार की एकमुश्त निवेश योजना है। इस योजना में किसान को एक बार ही धनराशि जमा करनी पड़ती है। योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि निर्धारित वक्त के अंतर्गत ही किसानों का पैसा दोगुना हो जाएगा। योजना के अंतर्गत धनराशि 120 महीनों की जगह 115 महीनों में ही दोगुनी हो जाएगी। यह भी पढ़ें: ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

योजना से जुड़ी जानकारी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि केंद्र सरकार की तरफ से एक अप्रैल को किसान विकास पत्र पर मिलने वाली निवेश दर को 7.2% से बढ़ाकर 7.5 % सालाना कर दिया गया है। वर्तमान में योजना के अंतर्गत आवेदन करने वालों का पैसा 115 महीने में ही दोगुना हो जाएगा। सरकार ने मैच्योरिटी के वक्त को भी कम कर दिया है, जो कि पूर्व में 123 महीने था। परंतु, फिलहाल 120 माह ही है। इस योजना का संचालन भारत भर के समस्त डाक घरों व बड़े बैंकों में किया जा रहा है। यदि किसान इस योजना में निवेश करना चाहते हैं तो वह डाकघर में जाकर अधिकारियों से बात कर सकते हैं. किसान भाई इस योजना में कम से कम एक हजार रुपये का निवेश कर सकते हैं. बताते चलें कि अधिकतम अकाउंट के लिए अभी कोई लिमिट तय नहीं की गई है। यह भी पढ़ें: इस राज्य सरकार ने किसान हित में देवारण्य योजना जारी की है

योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसान विकास पत्र योजना के अंतर्गत किसान के घर का कोई भी सदस्य अपना खाता खुलवा सकता है। योजना का फायदा लेने के लिए उम्मीदवार को डाक घर जाकर अधिकारी से बात करनी पड़ेगी। साथ ही, फॉर्म भी भरना पड़ेगा। खाता खुलने के साथ ही आवेदक को किसान विकास पत्र का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए जाते वक्त आवेदक अपने साथ आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म जैसे आवश्यक दस्तावेज अवश्य लेकर जाएं। इस दौरान उम्मीदवार अपना फोन भी अपने साथ ही ले जाएं।